हाइलाइट्स :
पोकलेन से नदी के सीने पर खंजर
खतरे में जलीय जीव और वन्य प्राणी
अधिकारियों की शह पर मानसून सत्र में अवैध उत्खनन
उमरिया, मध्य प्रदेश। सर्वोच्च न्यायालय सहित राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने मानसून सत्र के दौरान नदी और नालों से रेत के उत्खनन पर पाबंदी लगाई है, क्योंकि इस दौरान जलीय जीव-जन्तुओं का प्रजनन काल रहता है। जिले की सीमा और कटनी जिले से लगे जाजागढ़ वन क्षेत्र से प्रवाहित होने वाली पिपही नदी में कटनी जिले की सभी रेत खदानों की ठेका लेने वाली कंपनी विस्टा सेल्स एण्ड प्राइवेट लिमिटेड ने अदालतों के आदेशों को रद्दी की टोकरी में फेंककर पूरे सत्र में विशालकाय मशीन और वाहनों से उत्खनन कराया। जितनी जिम्मेदार कंपनी है, उतना ही दोनों ही जिले के जिम्मेदार अधिकारी भी हैं, क्योंकि जिस प्रकार से अवैध उत्खनन का खेल-खेला गया, उससे पर्यावरण तो, नष्ट हुआ ही, नदी की भौगोलिक स्थिति से भी छेड़छाड़ की गई।
मोड़ दी नदी की धार :
बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र से निकलने वाली पिपही नदी में रेत के अवैध कारोबार के लिए विस्टा कंपनी के कारिंदों ने मानसून सत्र के दौरान मोटी कमाई करने के फेर में नदी की धार को भी मोड़ दिया। मानसून सत्र के जुलाई और अगस्त में धड़ल्ले से रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन किया गया, नदी की भौगोलिक स्थिति से भी कथित ठेकेदार ने छेड़छाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पिपही के सीने में विस्टा का खंजर :
रेत का ठेका लेने वाली कंपनी ने रेत के उत्खनन और परिवहन के लिए विशालकाय पोकलेन मशीन लगाकर रेत की निकासी करवाई और बड़े वाहनों को रैम्प बनाकर नदी के भीतर परिवहन के लिए उतार दिया। इस अवैध कारोबार में ठेका कंपनी के द्वारा वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाली पिपही नदी के सीने में खंजर घोपने का काम किया गया, तहसील से लेकर जिले और संभाग में बैठे अधिकारियों ने इस मामले में मौन स्वीकृति दे दी। बहरहाल जल्द ही मामला प्रदेश की राजधानी होते हुए, देश की राजधानी तक पहुंचने वाला है।
सजती है रेत की मंडी :
जाजागढ़ में पिपही नदी पर अवैध रेत उत्खनन के कारोबार में सैकड़ा भर से अधिक वाहन हर समय पहुंचते हैं। कुल मिलाकर जाजागढ़ रेत की मंडी में शुमार हो चुका है। ठेकेदार मोटी रकम लेने के बाद बड़े वाहनों में पोकलेन मशीन के माध्यम से रेत का उत्खनन और परिवहन करवा रहा है। महज कुछ ही दूरी पर स्थित वन पुलिस और राजस्व महकमें के अधिकारी खामोश हैं। खनिज विभाग और उसमें बैठे खनिज अधिकारी ने ठेकेदार को अवैध कारोबार करने के लिए पिपही सहित जिले की नदियां बेच दी हैं।
नहीं हो सकता उत्खनन :
बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व, पनपथा वन्य जीव अभ्यारण के साथ ही वन विभाग कटनी के अधिकारी कार्यवाही के लिए गेंद एक-दूसरे के पाले में डाले रहे हैं। जाजागढ़ बीट के पंकज द्विवेदी नामक बीट गार्ड के संरक्षण में पूरा खेल चल रहा है। केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार इको सेनसिटिव जोन की 2 किलो मीटर की परिधि में किसी भी प्रकार की खनन गतिविधि नहीं हो सकती, बफर जोन को भी शासन ने इको सेनसिटिव जोन के दायरे में माना है।
संविधान भी भूले जिम्मेदार :
रेत के उत्खनन से जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण होता है, जिससे प्राकृति पर्यावरण के साथ वन्य प्राणियों पर भी खतरा मंडराता रहता है, वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 ए में सरकार पर्यावरण संरक्षण और सुधार करने हेतु बाध्य है, इसके साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 अ (जी) के तहत पर्यावरण का संरक्षण हर नागरिक का मूल कर्तव्य है, जो अधिकारी एक दूसरे पर कार्यवाही के लिए कह रहे हैं, शायद उन्हें संविधान का भी ज्ञान नहीं है। अगर यह मामला अदालत तक पहुंच गया तो, ऐसे अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही भी हो सकती है।
इनका कहना है :
बीट मेरी है, लेकिन राजस्व क्षेत्र से उत्खनन हो रहा है, बफर क्षेत्र और इको सेंसिटिव जोन अलग-अलग होते हैं, बाकी जानकारी बड़े अधिकारी देंगे, रेत का उत्खनन तो चल रहा है।
पंकज द्विवेदी, बीट गार्ड, बिसपुरा
जंगल में खदान नहीं हो सकती, रेत तो निकाली जा रही है, हमने एनओसी नहीं दी है, पहले के अधिकारियों ने दी होगी तो, हमें जानकारी नहीं है, नोटिफिकेशन हमें भेज दें तो, हम कुछ बता पायेंगे।
गौरव सक्सेना, रेंजर, बरही वन परिक्षेत्र
मेरी पदस्थापना अभी हुई है, जाजागढ़ का पूरा मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, अगर ऐसा हो रहा है तो, गलत है, खनिज विभाग को इस मामले में कार्यवाही करनी चाहिए।
रमेश चंद्र विश्वकर्मा, डीएफओ, कटनी
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