Gwalior : केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की शमी वृक्ष की पूजा
हाइलाइट्स :
शमी वृक्ष पर तलवार लगाते ही सरदारों ने लूटी सोना पत्तियां।
आर्यमन के साथ गोरखी स्थित देवघर में भी की पूजा।
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। विजयादशमी पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने अपने घराने की 200 साल पुरानी परंपरा के अनुसार मांढरे की माता मंदिर के पास स्थित मैदान में शमी के वृक्ष की पूजा की। इस मौके पर उनके बेटे आर्यमन भी राजसी पोशाक में साथ नजर आए। सिंधिया परिवार के पुरोहित ने विधि-विधान के साथ पहले पूजन कराया।इसके बाद सिंधिया ने शमी के वृक्ष पर तलवार चलाकर उसकी सोना पत्तियां गिराईं। वहां मौजूद सिंधिया परिवार के करीबी सरदारों और उनके वंशज ने यह पत्तियां लूटीं। इससे पहले सिंधिया, आर्यमन के साथ गोरखी स्थित देवघर पहुंचे। यहां उन्होंने राजसी चिन्हों का पूजन किया। हर वर्ष सिंधिया घराने के मुखिया यहां आकर पूजा करते हैं। इस मौके पर सिंधिया ने सभी शहरवासियों को दशहरा की शुभकामनाएं दी।
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनके सुपुत्र महाआर्यमन (Mahanaryaman Scindia) राजसी पोशाक पहनकर शुक्रवार की सुबह गोरखी देवघर पहुंचे। यहां उन्होंने राजसी पद चिन्हों का पूजन किया। इसके बाद वह शाम को मांढरे की माता मंदिर पहुंचे और यहां सामने मैदान पर शमी पूजन किया। यहां उन्होंने सिंधिया घराने की करीब 200 साल पुरानी परंपरा के आधार पर पूजन किया। इसके बाद शमी के वृक्ष (Shami Tree) की पूजा करने के बाद तलवार चलाई, जिससे सोना पत्ती उड़कर जमीन पर गिरीं। जिनको सालों साल पुरानी परंपरा के अनुसार सिंधिया घराने के सरदारों ने लूटा। माना जाता है कि यह पत्तियां बहुत शुभ होती हैं।
इसलिए करते हैं शमी के वृक्ष की पूजा :
विजयादशमी के दिन शमी के वृक्ष के पूजन का महत्व है। क्षत्रिय समाज में भी इसके पूजन की विशेष मान्यता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध से पहले अपने अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इसी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे। उसके बाद उन्होंने युद्ध में कौरवों पर विजय प्राप्त की। इस पेड़ के पत्तों को सोना पत्ती कहा जाता है। इस कारण घर या समाज का मुखिया पूजन के बाद इसकी पत्तियों को बांटते हैं। मान्यता है कि विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष का पूजन करने से धन, वैभव, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसीलिए राजा-महाराजा भी राज्य और प्रजा की खुशहाली की कामना को लेकर पूजन करते थे।
200 साल पुरानी है परंपरा :
200 साल से सिंधिया घराने के मुखिया हर दशहरा पर शमी पेड़ की विशेष पूजा-अर्चना करता आ रहे हैं। यह पूजा राजवंश की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार और रीति-रिवाजों के अनुसार राजवंश के पुरोहितों द्वारा कराई जाती है, इसके बाद सिंधिया घराने का प्रमुख तलवार से शमी पेड़ को छूता है, उसके बाद पूजा संपन्न होती है। जैसे ही सिंधिया तलवार से उस पेड़ को छूते हैं, वैसे ही वहां पर मौजूद लोग पेड़ से पत्तियों को लेने के लिए दौड़ते हैं, इस दौरान सुखमय जीवन और सुख समृद्धि की कामना की जाती है।
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