राजधानी के वन विहार में नजर आएंगे बमेरा के शावक

उमरिया, मध्यप्रदेश: प्रदेश की राजधानी के वन विहार में शावकों को भेजने के बाद अब अन्य शावकों को भी देश व प्रदेश में स्थित पार्काे में भेजने की तैयारी।
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राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में लगभग 2 सालों तक बांधवगढ़ रिजर्व फारेस्ट एरिया के बमेरा इलाके में मिले नर व मादा शावकों की सेवा करने के बाद प्रबंधन ने उन्हें भोपाल स्थित वन विहार पार्क में भेजने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि दोनों शावकों को जन्म से लेकर अभी तक पार्क प्रबंधन के प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा पाला पोसा गया है, यही नहीं जन्म के समय ही बाघिन द्वारा इन्हें छोड़कर अन्यत्र चले जाने के बाद जब प्रबंधन की नजर दोनों नवजात पर पड़ी थी, तभी से उन्हें दूध पिलाने से लेकर बड़े होने पर उनकी खुराक और देखभाल पार्क प्रबंधन द्वारा ही की जाती रही।

9 और बाघ हैं बहेरहा इनक्लोजर में

वर्ष 2017 में बाघिन के छोड़ जाने के बाद भोपाल भेजे जा रहे दोनों शावक यही पल रहे थे, इनके साथ ही 9 अन्य शावक भी इसी इनक्लोजर में रखे गये हैं। जिन्हें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने हरी झंडी दी है, लिहाजा योजनाबद्ध तरीके से बाघ शिफ्ट किये जायेंगे, हाल ही में दो बाघों की पहली खेप सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेजे जाने के बाद दूसरी खेप वन विहार भोपाल भेजी गई है, इसके बाद में एक और बाघ सतपुड़ा भेजा जाना है, जबकि दो बाघ नौरादेही के लिए प्रस्तावित हैं।

9 और बाघ हैं बहेरहा इनक्लोजर में
9 और बाघ हैं बहेरहा इनक्लोजर मेंAfsar Khan

दुनिया का बेहतर हैबिटेट

बांधवगढ टाइगर रिजर्व में बाघों के प्रजनन एवं संरक्षण के लिए दुनिया का सबसे बेहतर हैबिटेट मौजूद है, यही वजह है कि दुनियाभर के पर्यटकों को यह टाइगर रिजर्व 100 फीसदी बाघ दर्शन की गारंटी भी देता है। यहां के बाघ वंशजों से मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य टाइगर रिजर्व बाघों से गुलजार भी हो रहे हैं, बांधवगढ़ से अब तक संजय टाइगर रिजर्व, पन्ना, सतपुड़ा वन विहार भोपाल, नौरादेही अभ्यारण एवं उड़ीसा के सतकोशिया अभ्यारण में दर्जनों बाघ पहले भी भेजे जा चुके हैं ।

पार्क परिवार का हिस्सा बने चुके थे शावक

दो वर्षो से पार्क प्रबंधन के कर्मचारियों द्वारा दोनों बाघों को अपने हाथों से खाना और दूध आदि सामग्री प्रदाय की जाती रही, बीते इस लंबे अंतराल में अपनी मां से बिछड़ जाने की वजह से यह दोनों शावक बाघों की अपेक्षा इंसानों के ज्यादा संपर्क में रहे, उन्हें राजधानी के पार्क में भेजे जाने का सबसे बड़ा कारण यह भी रहा कि, अपनी प्रजाति के अलावा दोनों बाघ मानव स्वभाव को भी समझने लगे थे। दो वर्षा के इस लंबे अंतराल में लगातार पार्क प्रबंधन के कर्मचारियों के नजदीक रहने के कारण दोनों शावक पार्क के परिवार का हिस्सा बन चुके थे। जिनके यहां से जाने की खबर ने ही उनकी देखभाल में लगे कर्मचारियों के चेहरों पर उदासी ला दी।

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