उमरिया : बाघ ने तेन्दुएं को बनाया निवाला

उमरिया, मध्य प्रदेश : भारी भरकम अमले वाले वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है, सघन गश्ती न होने के चलते ढाई वर्ष के नर तेन्दुए की बाघ ने जान ले ली।
बाघ ने तेन्दुएं को बनाया निवाला
बाघ ने तेन्दुएं को बनाया निवालाAfsar Khan
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हाइलाइट्स :

  • वर्चस्व की लड़ाई में गई जान

  • तेन्दुए के सभी अंग वन अमले को मिले सुरक्षित

  • क्षेत्र में बाघ का मूवमेंट, दहशत में ग्रामीण

उमरिया, मध्य प्रदेश। सामान्य वन मण्डल के वन परिक्षेत्र बिरसिंहपुर पाली के बरबसपुर बीट में शुक्रवार की दोपहर तेंदुए का शव मिलने की सूचना वन अमले को ग्रामीणों ने दी। मौके पर पहुंचने के बाद वन विभाग की टीम ने शव को कब्जे में लेते हुए पीएम कराकर अंतिम संस्कार करते हुए मौत के कारणों का पता लगाने के लिए बिसरा फॉरेंसिक लैब भेजा जायेगा, वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बाघ और तेंदुए के बीच वर्चस्व की लड़ाई में तेंदुए की मौत हो गई।

रिहायशी इलाके पास मिला शव :

वन परिक्षेत्र बिरसिंहपुर पाली के बरबसपुर बीट के कक्ष क्रमांक- आर 578 में जहां तेंदुए का शव पाया गया है, उससे महज 500 मीटर दूरी पर रिहायशी बस्ती है, घटना सामने आने के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है, वहीं विभाग के मुताबिक बाघ का विचरण आस-पास के क्षेत्र में ही बना हुआ है, जिसे जंगल में खदेड़ने के लिए वन विभाग का अमला जुटा हुआ है। भारी भरकम अमले वाले वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है, सघन गश्ती न होने के चलते ढाई वर्ष के नर तेन्दुए की बाघ ने जान ले ली।

वर्चस्व की लड़ाई में गई जान :

मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक कयास यह लगाये जा रहे हैं बाघ और तेंदुए के बीच हुई वर्चस्व की लड़ाई में तेंदुए की मौत हो गई। तेंदुए के गले में बाघ के पंजे के निशान और घटना स्थल और उसके आस-पास के क्षेत्र में बाघ के पद चिन्ह भी वन विभाग की टीम को मिले हैं। अधिकारियों का कहना है कि बाघ अपने विचरण वाले क्षेत्र में अन्य वन्य जीवों को नहीं रहने देता। तेंदुआ भटक कर वहां पहुंचा होगा और दोनों के बीच हुई लड़ाई में उसकी मौत हो गई होगी।

युवा बाघ ने किया शिकार :

एसडीओ आर. एल. शर्मा ने बताया कि काले धब्बे वाले तेंदुए शातिर और तेज शिकारी होते हैं और वह आराम से पेड़ पर चढ़ जाते हैं और अपने-आपको सुरक्षित कर लेते हैं, लेकिन इस मामले में यह भी प्रारंभिक जांच में सामने आ रही है कि वर्चस्व की लड़ाई जिस बाघ से हुई होगी, वह युवा बाघ और फुर्तीला होगा। जिसके चलते बाघ ने तेन्दुए को अपना निवाला बना लिया और शातिर तेंदुआ अपनी जान नहीं बचा सका।

सभी अंग सलामत :

मौके से वन विभाग की टीम को मृत तेन्दुए के सभी अंग सुरक्षित मिले हैं, फिलहाल शिकार की कोई भी संभावना सामने नहीं आ रही है। विटनरी डॉक्टरों के पीएम करने के बाद वन अमले की टीम ने तेन्दुए का अंतिम संस्कार करते हुए क्षेत्र में सर्किय बाघ को जंगल की ओर खदेडऩे के लिए टीम का गठन किया है। रिहायशी इलाके से लगे क्षेत्र में लोगों को जंगल की ओर न जाने की समझाईश भी वन विभाग की टीम के द्वारा दी जा रही है।

घुनघुटी में मौजूद है बाघों का कुनबा :

बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व से सटे सामान्य वन मण्डल के वन परिक्षेत्र बिरसिंहपुर पाली और घुनघुटी में पार्क के अलावा 9 बाघों का कुनबा मौजूद है। द-टाइगर प्रोजेक्ट के तहत केन्द्र के द्वारा बाघों के संरक्षण के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है, आमतौर पर बिरसिंहपुर पाली और घुनघुटी में बाघों का विचरण रहता है, यहां तक की शहडोल संभागीय मुख्यालय में भी बाघ अपनी दस्तक देते रहे हैं। बीते वर्षाे में लगातार हुई बाघों की मौतों के बाद वन वृत्त शहडोल के तात्कालीन मुख्य वन संरक्षक ने घुनघुटी क्षेत्र को सेन्चुरी बनाने का प्रस्ताव भी राज्य शासन को भेजा था, जो कि अभी तक लंबित है।

इनका कहना है :

प्रारंभिक जांच और शार्ट पीएम रिपोर्ट में ढ़ाई वर्ष के तेन्दुएं की बाघ से वर्चस्व की लड़ाई में मौत होने के प्रमाण सामने आ रहे है, पीएम रिपोर्ट आने और फॉरेसिंक रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो पायेगा, बाघ को जंगल में खदेडऩे के लिए टीम जुटी हुई हैं।

आर.एल.शर्मा, एसडीओ, वन, बिरसिंहपुर पाली

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