उमरिया, मध्यप्रदेश। प्रदेश सरकार को जब फायदें की बात होती है तो यहां अधिकारी और जनप्रतिनिधि अपनी खामोशी की चादर ओढ़ लेते है, हर माह जिले से सरकार को होने वाला फायदा सीधे तौर पर मुनाफा खोर अपनी जेब में डाल रहे है, टाऊन एंड कंट्री प्लान की किताब आज दो वर्षो से राजधानी में अटकी पड़ी है, जिसके लिए मंत्री से लेकर कलेक्टर तक पत्र लिखकर आग्रह कर चुके हैँ, बावजूद इसके किताब भेजना तो दूर छपी तक नहीं है।
ऐसे लग रहा घाटा :
जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण अंचलों तक फैले कालोनियों को लेकर सरकारी नियम तो यह कह रहे है कि जब भी संबंधित बिल्डर अपनी कालोनी विकसित करता है, तो उसे साईट प्लान की आवश्यकता होती है, जिस पर वह विभाग से नक्शा बनवाता है, जिसके लिए बकायदा सरकार को निर्धारित फीस जमा करनी होती है, लेकिन आज स्थिति यह है कि टाउन एंड कंट्री प्लान की किताब नहीं छपने के कारण नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूरी नहीं मिलती है, कालोनियों को विकसित करने के लिए अब न तो परमीशन मिल रही है और न ही सरकार का खजाना भर रहा है। जिसके कारण बिना परमीशन के ही बड़ी कालोनियों का निर्माण किया जा रहा है और बचे बिल्डर किताबों के छपने का इंतजार कर रहे है, जिससे नगर जिले का विकास थमा हुआ है।
आज भी जिले जैसा नहीं उमरिया :
उमरिया को जिले का दर्जा मिले 22 साल पूरे होने को है, 22 साल वाले इस जिले मे पहले जितना था आज भी वही है, जबकि जिले की सूरत बदलने के लिए नेताओं ने जो जद्दोजहद की है वह किसी से छुपी नहीं है और यह भी किसी से छुपा नही है कि नगर की तस्वीर बदलने के लिए अधिकारियों ने कितने हाथ पांव मारे है। टाऊन एंड कंट्री प्लान की छपी 15 साल पुरानी किताब आज भी उसी ढर्रे पर चल रही है, अधिकारी किताब न छपने का बहाना बता हैं तो बिल्डर इसी बात का फायदा उठाकर बड़ी ईमारतें खड़ी करने पीछे नहीं हैं।
कलेक्टर लिख चुके पत्र :
नगर के विकास मे बाधक बनी किताब के कारण निवेशकों को भी भारी परेशानी उठानी पड़ रही है, जिसको लेकर बीते दिन नगर के बिल्डरों ने जिला कलेक्टर को पत्र देकर टाऊन एंड कंट्री पुस्तक के प्रकाशन को लेकर आग्रह किया था, जिसके फलस्वरूप कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने संचालक नगर तथा ग्राम निवेश संचालनालय भोपाल को पत्र लिख कर अनुरोध किया गया था कि उमरिया जिले का टाऊन एंड कंट्री प्लान 10 से 15 वर्ष पुराना है, जिसके कारण 2 वर्ष से विकास संबंधी होने वाले निर्माण की अनुमति नही दी जाती है, जिसका कारण है पुस्तक का प्रकाशन न होना। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि हर साल सरकार को करोड़ो रुपये की चपत लग रही है, बाबजूद इसके भोपाल से किसी भी प्रकार की कोई सूचना पुस्तक के छपने से संबंधित नहीं दी है।
जिला योजना समिति मे शामिल है एजेण्डा :
वर्ष भर से अटकी पड़ी इस किताब को लेकर उप संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय शहडोल द्वारा लिखे गये पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि उमरिया विकास योजना 2031(प्रारुप) 18/02/2019 को कलेक्टर उमरिया के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जिसके बाद उमरिया विकास योजना को जिला योजना समिति के एजेंडे में शामिल मे शामिल करते हुए बैठक दिनांक 04 जुलाई 2019 को अनुमोदित करते हुए पूर्व कलेक्टर के कार्यवाही विवरण क्रमांक 411/2019/ जि. यो. स. / बैठक उमरिया दिनांक 19 अगस्त 2019 द्वारा अनुमोदित की गई जो कि इस कार्यालय के पत्र क्रमांक 70/ वि. यो./ नग्रानि./2019 शहडोल दिनांक 04 सितम्बर 2019 द्वारा प्रकाशन हेतु भोपाल को पत्र प्रेषित किया जा चुका है।
जनप्रतिनिधि करें पहल :
जिले के विकास और रोजगार बढ़ाने के अवसर को लेकर जिस प्रकार से नगर का विकास रोका जा रहा है, उससे अब उमरिया जिले के रहवासियों को ही नुकसान है, अगर यह किताब छप जाती है कि यह आदिवासी बाहुल जिला भी अग्रिम पंक्ति में खड़ा दिखाई देगा, उसके लिए अब जिले जनप्रतिनिधियों को आगे आकर यह रुका काम कराना होगा।
इनका कहना है :
मेरा प्रयास है कि जल्द ही किताब का प्रकाशन हो, जिससे नगर के विकास में मदद मिल सके।
संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर उमरिया
हमने शासन को पत्र लिखा है, अब सरकार इसमें क्या कर रही है, मुझे नहीं मालूम।
संकल्प शुक्ला, जॉइंट डायरेक्टर, नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय शहडोल
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