दिवाली के बाद भी अतिथि शिक्षकों को नहीं मिला वेतन, प्राचार्य की बड़ी लापरवाही
उमरिया, मध्यप्रदेश। जिले के पाली ब्लाक के अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मालाचुआ के प्रभारी प्राचार्य तरुणेश झा द्वारा व्यापक स्तर पर लापरवाही व मनमानी की जा रही है, वहीं शासन की नीतियों व आदेशों की अवहेलना का स्पष्ट उदाहरण मालाचुआ का हायर सेकेंडरी स्कूल है।
अतिथि शिक्षकों का वेतन दिवाली के बाद भी नहीं :
26 अक्टूबर को जारी लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के आदेशानुसार सभी विद्यालयों के अतिथि शिक्षकों के वेतन दिवाली में देने का स्पष्ट आदेश है और इस आदेश का पालन करायें जाने राज्य के समस्त कलेक्टर को सम्बंधित आदेश भी प्रेषित किया गया है। मालाचुआ के इस विद्यालय का इतिहास रहा है कि मालाचुआ के इस शासकीय विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य तरुणेश झा वर्ग 1 के इंग्लिश के टीचर के साथ ही प्रभारी भी है इन्होने आज तक कभी भी किसी भी क्लास में इंग्लिश नहीं पढ़ाई वहीं,आदिवासी समाज के बच्चे इंग्लिश में बहुत कमजोर हो चुके हैं। यह कि प्राचार्य द्वारा अतिथियों को दी जा रही मानसिक प्रताड़ना से व अमानवीय कृत्यों से अत्यंत दुखी हैं। कम वेतन में कार्य करने वाले अतिथियों के घर में दिए नहीं जले वहीं, अब भी वेतन नहीं मिलने से पेट भर भोजन को अतिथि शिक्षक मोहताज हैं।
कलेक्टर से जताई उम्मीद :
कलेक्टर से अतिथि शिक्षकों ने मांग की है कि वेतन आहरण मामले को संज्ञान में लेकर भ्रष्ट व लापरवाह तत्कालीन प्राचार्य के विरुद्ध लोक शिक्षण भोपाल के आदेश की अवहेलना के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए व जानकारी ली जाए कि दीपावली के पर्व में पर्याप्त बजट होने के बाद भी प्राचार्य ने बीईओ कार्यालय में बिल क्यों जमा नहीं किये। वहीं, जब अतिथियों ने बीईओ पाली के लिपिक से संपर्क किया, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्राचार्य ने अब तक कोई बिल कार्यालय में जमा नहीं किये और अब तक केवल कार्य दिवस की जानकारी दी है और किस शिक्षक का कितना वेतन बनाना है यह तो प्राचार्य ही बता पायेंगे, यदि मेरे पास विधिवत बिल 3 अक्टूबर को भी मिलता तो वेतन आहरित किया जा सकता था।
प्राचार्य की लापरवाही :
यह कार्य प्रकार प्राचार्य के कार्य, उत्तरदायित्व व जबाबदारी के प्रति उदासीनता एवं गंभीर लापरवाही को दर्शाता है और कदाचरण व अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है, विद्यालय के प्राचार्य द्वारा जहाँ एक और नित्य नए भ्रस्टाचार के कारनामे उजागर हो रहे है वही दूसरी और प्रशासनिक स्तर पर भी मनमानी की जा रही है, ऐसा कृत्य वरिष्ठ कार्यालयों व शासन के आदेशो की अवहेलना है जो कदाचरण की श्रेणी में आता है, प्राचार्य द्वारा मनमानी करके अतिथि शिक्षकों को लगातार परेशान किया जा रहा है, आज तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है जबकि संस्था के प्रभारी के विरुद्ध कार्यवाही नही किये जाने से व मनमानी किये जाने से "जवाबदेयता के प्रति उदासीनता" प्रदर्शित होती है,जो कि घोर लापरवाही का सूचक है ,जिससे मध्यप्रदेश की शिक्षण व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो चुका है व प्रशासन की छवि धूमिल हुई है, टेबल में पैर रखकर कार्यालय में बैठने वाले प्रभारी प्राचार्य का ऐसा कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा संहिता 'वर्गीकरण व नियंत्रण' की सेवा व शर्तो के विपरीत है, हमें आशा है कि आपके द्वारा विद्यालय के इस मामले को संज्ञान में लिया जाएगा व आपके दिशा निर्देश पर शीर्ष अधिकारियो की उच्च स्तरीय टीम बनाकर व आपके निर्देश पर पूर्णत: निष्पक्ष जाच व कार्यवाही होगी।
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