उमरिया: अवैध उत्खनन-परिवहन पर मूंदी आंखें

उमरिया, मध्य प्रदेश। अवैध उत्खनन-परिवहन पर मूंदी आंखें, इंट्रो-कैप निर्माण की आड़ में अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का खेल खेला...
उमरिया: अवैध उत्खनन-परिवहन पर मूंदी आंखें
उमरिया: अवैध उत्खनन-परिवहन पर मूंदी आंखेंAfsar khan- RE
Published on
Updated on
4 min read

हाइलाइट्स:

  • कैप ठेकेदार पर मेहरबान खनिज विभाग

  • ऑनलाइन प्रमाण के बाद भी कार्यवाही शून्य

  • ठेकेदार ने दूसरे जिले में ले जाकर बेच दी रेत

उमरिया, मध्य प्रदेश। इंट्रो-कैप निर्माण की आड़ में अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का जो खेल खेला, उसमें ठेकेदार ने रेत उत्खनन कर परिवहन तो किया, लेकिन निर्माण स्थल की जगह रेत को दूसरे स्थान पर ले जाकर बेच दिया गया, खनिज विभाग के पास ई-खनिज के ऑनलाइन पोर्टल में सारे प्रमाण होने के बावजूद अभी तक विभाग ने ठेकेदार पर कार्यवाही करने की बजाय, आंखे मूंद रखी हैं।

जिले में चंदिया के बेसहनी व मानपुर के खुटार में कैप निर्माण का ठेका मेसर्स अतुल कुरारिया को सौंपा गया था, वैसे तो शासकीय विज्ञप्ति के अनुसार निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो चुका था, लेकिन इंदवार में ग्रामीणों के विरोध के बाद वाहन और मशीन पुलिस ने पकड़ कर थाना में खड़ा कराया था, जिसके बाद खनिज विभाग के 5 हजार घन मीटर रेत की आवश्यकता बताते हुए विशेष परिस्थितियों के तहत चंसुरा में अनुमति के लिये राज्य सरकार को पत्र भेजा था, लेकिन प्रतिबंधित क्षेत्र और मामला 'राजएक्सप्रेस' में प्रकाशित होने के बाद चंसुरा की अनुमति निरस्त कर दी गई और उसके स्थान पर गोवर्दे का चयन किया गया, फिर रेत की मात्रा भी उसी दिन घटकर 3 हजार घन मीटर हो गई। ठेकेदार ने विभागीय अधिकारियों की सह पर बिना ईटीपी के वाहनों से परिवहन कराया और रेत को दूसरे जिले में ले जाकर बेच दिया। इतना ही नहीं रेत गोर्वेदे से चंदिया लाना दिखाया गया, लेकिन निर्माण स्थल पर रेत मुश्किल से 5 से 10 हाइवा ही पहुंची। सारे प्रमाण होने के बावजूद खनिज विभाग अभी भी कार्यवाही की जगह ठेकेदार को अभयदान देकर कुंभकर्णीय नींद में सोया हुआ है।

घटती गई रेत की मात्रा

पहले कैप निर्माण के लिये जो प्रस्ताव राजधानी भेजा गया था, उसमें 5 हजार घन मीटर रेत की आवश्यकता बताई गई थी, बाद में गोवर्दे के लिये 3 हजार घन मीटर कर दिया गया। एनजीटी की रोक के बावजूद मशीन और बड़े वाहनों के प्रयोग का मामला सामने आने के बाद मामले ने जब तूल पकड़ा तो दिन में ही उत्खनन शुरू करवा दिया गया, ठेकेदार को 25 अप्रैल से 15 दिवस के भीतर 3 हजार घन मीटर रेत का उठाव करना था, लेकिन वह अवधि भी समाप्त हो जाने के बाद, खनिज विभाग ने ऑनलाइन पोर्टल बंद नहीं किया और ठेकेदार ने रेत का उत्खनन और परिवहन 17 मई तक जारी रखा। इसमें भी नियमों और शर्तों का उल्लंघन हुआ।

72 ट्रिप निकली रेत

खनिज विभाग केे पोर्टल के अनुसार जिन 8 वाहनों के माध्यम से ठेकेदार के द्वारा रेत का परिवहन कराया जा रहा था, उनमें से 7 वाहन की ईटीपी ही 30 अप्रैल से लेकर 17 मई तक जनरेट हुई, एक वाहन की ईटीपी किसी भी दिनांक को जनरेट नहीं हुई, जबकि यह वाहन लगातार रेत लेकर निकला, इसके प्रमाण टाइगर रिजर्व के चेक पोस्टों में दर्ज हैं, 72 ट्रिप रेत ईटीपी के माध्यम से निकाली गई, लेकिन चंदिया कैप निर्माण स्थल पर महज 5 से 10 हाइवा रेत ही पहुंची, उसके अलावा बिना ईटीपी के रोजाना कई वाहन अवैध परिवहन कर कटनी और सतना ले जाये गये, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में अभी भी सारे प्रमाण होने के बावजूद खामोश बैठे हुए हैं।

ये हैं ऑनलाइन प्रमाण

'राजएक्सप्रेस' ने जब ई-खनिज की पोर्टल से ठेकेदार के द्वारा उपयोग में लाये गये वाहनों के रेत के परिवहन के रिकार्ड की पड़ताल की तो, जो प्रमाण सामने आये, उनमें वाहन क्रमांक-एमपी 19 एचए 5590 से 30 अप्रैल से 17 मई तक कुल 11 ट्रिप, वाहन क्रमांक-एमपी 19 एचए 9890 से 11 ट्रिप, एमपी-19 एचए 9290 से 9 ट्रिप, एमपी-19 एचए 4536 से 14 ट्रिप, एमपी-19 एचए 8190 से 2 ट्रिप, एमपी-19 एचए 5490 से 11 ट्रिप, एमपी-19 एचए 4679 से 14 ट्रिप ही परिवहन किया गया।

बिना ईटीपी के दौड़ा वाहन

ठेकेदार अतुल कुरारिया के द्वारा रेत के परिवहन में एक ऐसे वाहन का भी उपयोग किया गया, जिसका क्रमांक-एमपी-19एचए 4119 है, जिसकी 30 अप्रैल से लेकर 17 मई तक फारेस्ट के बैरियरों में रेत के परिवहन को लेकर इंट्री तो है, लेकिन खनिज विभाग के ऑनलाइन पोर्टल में ईटीपी जनरेट ही नहीं हुई है। कुल मिलाकर विभाग की सह पर कथित ठेकेदार ने अवैध उत्खनन कराकर परिवहन किया, अगर अधिकारी अपने आपको इस मामले में पाक-साफ मानते हैं तो, उन्हें इस मामले में अभी तक कथित ठेकेदार के खिलाफ नवीन रेत नियम 2019 के विभिन्न प्रावधानों के तहत कार्यवाहियां कर देनी चाहिए थी, इससे यह साबित होता है कि मंजूरी देने के लेकर कार्यवाही करने में खनिज विभाग के अधिकारियों के साथ ही राजस्व विभाग और निर्माण एजेंसी का ठेकेदार को खुला अभयदान मिला हुआ है।

जमकर हुआ अवैध परिवहन

उपयोग किये गये 8 वाहनों के अगर रिकार्ड ऑनलाइन विभाग खुद ही ट्रेक कर ले तो, यह प्रमाण खुद ही सामने आ जाएंगे कि 30 अप्रैल से लेकर 17 मई तक हालांकि अनुमति सिर्फ 15 दिनों की थी, फिर भी ऑनलाइन पोर्टल 17 तक चलता रहा, कितने वाहन बिना ईटीपी के दौड़े और फारेस्ट विभाग के बैरियरों में दर्ज रिकार्डों से वह यह प्रमाण भी निकाल सकते हैं कि रोजाना इन वाहनों की इंट्री हुई है, उसके आधार पर कथित ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है, जिससे शासन को लाखों रुपये का राजस्व मिल सकता है और ऐसे भ्रष्ट ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी हो सकती है, लेकिन जब अधिकारियों ने ही ठेकेदार को अभयदान दे दिया है तो, उम्मीद किससे की जा सकती है।

इनका कहना है

ठेकेदार कोई साहूकार नहीं है, अगर उसने नियमों का उल्लंघन किया होगा तो, पूरे मामले की विधिवत जांच होगी और उसके बाद नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जायेगी, चाहे वह कोई भी क्यों न हो।

श्रीमान सिंह बघेल सहायक खनिज अधिकारी, उमरिया

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com