ग्वालियर, मध्य प्रदेश। तत्कालीन परिवहन आयुक्त वी मधुकुमार का वीडियो वायरल कर उनको पद से हटवाने जो काम किया गया है उसके बाद जो नए परिवहन आयुक्त आएं हैं उनको अपनों से ही सावधान रहने की चुनौती रहेगी। इसके पीछे कारण यह है कि विभाग में एक ग्रुप ऐसा है जो परिवहन आयुक्त पर दबाव बनाकर काम कराने के लिए लम्बे समय से सक्रिय रहा है और वह इसमें सफल भी होता रहा है। वैसे नए परिवहन आयुक्त के तौर पर आईपीएस मुकेश कुमार जैन काफी अनुभवी बताएं गए हैं, क्योंकि उन्होंने अधिकांश समय दिल्ली में बिताया है, अब उनके सामने विभाग की जो बदनामी हुई है उसे धोने की चुनौती तो होगी ही साथ ही मुंह पर मीठा बोलने वालों से भी सावधान रहना होगा।
परिवहन आयुक्त पद से व्ही. मधु कुमार को वायरल वीडियो के सामने आने के बाद हटाने के बाद से विभाग की छवि को खासा धक्का लगा है। अब इस बदनामी करने के पीछे व्ही. मधुकुमार से मनमाफिक काम न कराने वाली गैंग सक्रिय है। इस गैंग में कुछ आईपीएस अधिकारी भी शामिल है, क्योंकि ऐसे अधिकारियों की निगाह परिवहन आयुक्त पद पर बनी रहती है। इस दौड़ में जो पीछे रह जाता है वह आगे चलकर कोई नया खेल खेलना शुरू कर देता है ओर उसी का शिकार मधुकुमार हुए। मधुकुमार की रवानगी के बाद मुकेश कुमार जैन को परिवहन आयुक्त पद की जिम्मेदारी मिली है। अब वह भी ऐसे समय आएं है जब एक परिवहन आयुक्त वीडियो वायरल होने के कारण रात को ही सरकार ने हटा दिया था, वैसे अभी तक कई आईपीएस अधिकारी परिवहन आयुक्त पद पर रहे, लेकिन षडयंत्र का शिकार होने से बचते रहे है और अपना लम्बा कार्यकाल भी किया है। ऐसे में मुकेश कुमार के सामने भी विभाग के अंदर और बाहर मौजूद ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है जो घुलमिलकर मीठी बातो का जाल फैलाते है। आईपीएस जैन दिल्ली में सेवाएं देते रहे है इस कारण उनको मीठी बातो के जाल का भान होगा, क्योंकि दिल्ली में ऐसे ही लोग जाल फैलाने के लिए सक्रिय रहते है। इस कारण नए परिवहन आयुक्त अपनी निगाह से मीठी बातो का जाल फैलाने वालों को पहचान सकने में सक्षम हो सकते हैं।
बात नहीं मानी तो बदनाम करने का खेल हो जाता शुरू :
नए परिवहन आयुक्त के सामने एक नहीं बल्कि कई चुनौती आ सकती है, क्योंकि विभाग के साथ ही बाहर के लोग भी उन पर अपनी बात मनमाने का दवाब बना सकते है। इसके पीछे कारण यह है कि अभी तक यही होता रहा है ओर जो बात नहीं मानता था उसको बदनाम करने के लिए विभाग की ही गैंग को सक्रिय कर दिया जाता था। चेकपोस्टो पर जो प्रभारी होते थे वह इस काम में मदद करने का काम करते आ रहे है और आगे भी कर सकते है। चेकपोस्ट प्रभारियों को पोस्टिंग चाहिए जिसके लिए वह गैंग के हिसाब से संचालित होते आ रहे है। परिवहन आयुक्त को ऐसी गैंग की पहचान करने के साथ ही उनकी चैन तोड़ने की चुनौती से भी सामना करना पड़ सकता है।
इन चेकपोस्टो पर टीसी के विपरीत होता है काम :
विभागीय सूत्र की माने तो परिवहन विभाग में कुछ चेकपोस्ट ऐसे है जहां जो पदस्थ रहता है वह गैंग के हिसाब से संचालित होता है। इन चेकपोस्टो में मोतीनाला, खबासा, खरई पड़ौरा, सौयत, मालथौन, प्राणपुर, बिलौआ सहित कुछ अन्य चेपपोस्ट प्रभारी है जो आयुक्त के विपरीत काम करते है, इसके पीछे कारण यह है कि उक्त प्रभारी टीसी पर दवाब बनाने की गैंग के हिसाब से संचालित होते आ रहे है। नए परिवहन आयुक्त को गैंग को ध्वस्त करने के लिए यह भी देखना होगा कि कई चेकपोस्ट ऐसे है जहां प्रधान आरक्षको को प्रभारी बनाया हुआ है जबकि निरीक्षक लूपलाइन में मौजूद है। आखिर क्या कारण है कि निरीक्षक होने के बाद भी चेकपोस्टो का प्रभारी प्रधान आरक्षक व आरक्षको को बनाया जाता है। प्राणपुर व बिलौआ में भी प्रधान आरक्षक प्रभारी है जबकि मुख्यालय पर ही कई निरीक्षको को मैदान से हटाकर कार्यालय में अटैच कर रखा है। अब देखना होगा कि नए परिवहन आयुक्त मुकेश कुमार जैन चुनौतियों से किस तरह से पार पाते हैं।
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