Tiger in Madhya Pradesh: बाघों के संरक्षण में लापरवाही, प्रदेश बाघों की मौत में पहले स्थान पर
मध्यप्रदेश। बाघों का प्रदेश कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ही अब बाघों की मौत की संख्या बढ़ती जा रही हैं, बाघों के संरक्षक के लिए जाने वाला मध्यप्रदेश अब बाघों की मौत के लिए जानने वाला बन गया हैं। बाघों की मौत के मामले में देश में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर बना हुआ है।पिछले कुछ सालो से यहां बाघों की मौत के आंकड़े बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। अभी कुछ साल पहले के मिले आकड़ो के अनुसार मध्यप्रदेश में लगभग 30-35 बाघों की मौत के आकड़े सामने आये हैं और इसी आकड़े के साथ मध्यप्रदेश देश के प्रथम स्थान पर विराजमान हैं। बाघों की मौत के मामलो में दूसरे नंबर पर राज्य कर्नाटक और तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है। इस वर्ष में अब तक छह बाघों की मौत हुई है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की रिपोर्ट के अनुसार :
NTCA की रिपोर्ट में बताया गया है कि, पिछले एक साल के दौरान पूरे भारत में 99 टाइगरों की मौत हुई है, जिनमें सबसे ज्यादा 32 मौतें मध्य प्रदेश में दर्ज की गई है, मध्य प्रदेश में नवंबर के महीने तक 31 बाघों की मौत हुई थी, जबकि पन्ना टाइगर रिजर्व में मिले बाघ के शव के बाद यह आंकड़ा 32 पहुंच गया। पहली मौत मादा टाइगर की 8 जनवरी 2022 को बांधगढ़ में हुई थी।
मध्य प्रदेश में टाइगरों की सुरक्षा की बात कही जाती है, लेकिन प्रदेश में बाघों की कितनी सुरक्षा होती है, NTCA के आंकड़े में साफ़ नजर आ रहा हैं, मध्य प्रदेश में पिछले 10 सालों में जुलाई 2022 से अब तक 270 टाइगरों की मौत हो चुकी है। इनमें भी सबसे ज्यादा 66 टाइगरों की मौत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दर्ज की गई है। ऐसे में बाघों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बता दें कि पिछले साल ही दोबारा से मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था, लेकिन टाइगरों की मौत के मामले में भी मध्य प्रदेश सबसे आगे है।
प्रदेश में बढ़ते सुरक्षा के आयाम :
NTCA की रिपोर्ट के बाद बाघों की सुरक्षा के लिए और शिकार की घटनाओ को रोकने के लिए प्रदेश में निर्मित सभी टाइगर रिज़र्व,पन्ना, बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व पर ड्रोन से निगरानी करना शुरू कर दिया गया हैं, इससे संरक्षित क्षेत्र में अनाधिकृत प्रवेश पर भी काबू पाया जायेगा।
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