राज एक्सप्रेस। बिलासपुर तहसील के अंतर्गत ग्राम कोटलदे, जैतपुरी, आमदरा करुआ, भलवार, तमारा, ओबरा, बेलमना सहित अखड़ार में लगभग दस से 12 गांव में बाघ-बाघिन दोनों के आ जाने से इन ग्रामों में भारी खतरा बना रहता है, कोई खेत में रहता है, कोई शाम के मजदूरी करके लौटता है, इन गांव के बीच जंगल है इनके अगल-बगल गांव में बाघ-बाघिन का मूवमेंट देखा जा रहा है। जिससे गांव के लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
5 मवेशियों को बनाया निवाला
एसडीओ, वन परिक्षेत्र अधिकारी एवं क्षेत्रीय कर्मचारियों ग्रामीणों को सतर्क रहने को कहा है, बाघ-बाघिन को भगाने के लिए पटाखे फोड़कर जंगल के अंदर भगाने का प्रयास किया जा रहा है, साथ ही ग्राम सलैया एवं करुआ के बीच के जंगलों में 5 मवेशियों को मौत के घाट उतार दिया गया। जिसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश भी देखने को मिल रहा है, ग्रामीणों ने इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों से जल्द ही बाघ-बाघिन को जंगल की ओर खदेड़ने की मांग की है।
बाघ हैं मध्य प्रदेश की आन-बान और शान
आपको बता दें कि 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री कमल नाथ ने देश में बाघ गणना में मध्यप्रदेश को सर्वोच्च स्थान दिये जाने पर कहा था 'बाघ हैं मध्यप्रदेश की आन-बान और शान।' मुख्यमंत्री का कथन हर प्रदेशवासी को गौरव से भर देता है। बाघ संरक्षण की नीति की विवेचना करते हुए, उन्होंने आगे कहा कि, "बाघ संख्या में देश में शिखर स्थान मिलने से मध्यप्रदेश की विश्व के वन्य-प्राणी क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहचान स्थापित हुई है। वन्य-प्राणियों में सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र, बाघ परिवार में रहने वाला प्राणी नहीं है। बाघ शावक बड़े होते ही अपनी नई टेरिटरी बनाते हैं। अक्सर देखा जाता है कि, वर्चस्व की लड़ाई में कमजोर नर बाघ या तो पलायन कर जाता है या मारा जाता है।"
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