हाइलाइट्स :
एसएन हॉस्पिटल के मेडिकल में मिली थीं दस पेटी अंग्रेजी शराब
श्रद्धा का लाईसेंस निरस्त तो एसएन हॉस्पिटल के नाम से हो रहा संचालित
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। एसएन हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से पुलिस ने तीन दिन पहले दस पेटी अंग्रजी शराब बरामद की थी। तीन दिन बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का अमला वहां झांकने तक नहीं पहुंचा। जबकि स्वास्थ्य विभाग को अपना दायित्व निभाते हुए टीम को वहां पहुंचाना चाहिए था और अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लेना चाहिए था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ऐसा कुछ नहीं किया।
गर्ल्स कॉलेज मुरार के सामने संचालित होने वाले एसएन हॉस्पिटल के सूर्या मेडिकल स्टोर से मुरार थाना पुलिस ने 10 पेटी अंग्रेजी शराब बरामद की थी। पुलिस तो अपनी कार्रवाई कर वापस लौट आई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का अमला तीन दिन बीत जाने के बाद भी अस्पताल में झांकने तक नहीं पहुंचा। जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लेना चाहिए था और नियमानुसार कार्रवाई करनी थी।
यहां बता दें कि एसएन हॉस्पिटल कोई नया अस्पताल नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने 27 अप्रैल को श्रद्धा हॉस्पिटल का पंजीयन निरस्त कर दिया था। उसके बाद 15 मई को एसएन हॉस्पिटल के नाम से संचालित करने की परमिशन दे दी थी। उसके बाद से वह एसएन हॉस्पिटल के नाम से ही संचालित हो रहा है।
शराब की पेटी पकड़े जाने के बाद यह भी हुआ खुलासा :
मेडिकल स्टोर से अवैध शराब के पकड़े जाने के बाद चौकाने वाला सच सामने आया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन भले ही डॉ. धर्मवरी दिनकर के नाम पर है, लेकिन पर्दे के पीछे इस अस्पताल में तापोश गुप्ता भी शामिल है। तापोश गुप्ता वही नाम है जिसे पुलिस ने ठीक पांच साल पहले बच्चों की खरीद फरोख्त के सनसनीखेज पलाश हॉस्पिटल कांड में मुख्य आरोपी बनाया था। जानकारी मिली है कि जमानत पर रिहा होने के बाद एक बार फिर तापोश गुप्ता पर्दे के पीछे रहकर अस्पताल के संचालन में जुट गया है।
सीएमएचओ डॉ.मनीष शर्मा से सीधी बात :
क्या स्वास्थ्य विभाग की टीम एसएन हॉस्पिटल का निरीक्षण करने पहुंची?
शराब की पेटी मेडिकल स्टोर से पकड़ी गई हैं। इसलिए इस मामले को ड्रग इंस्पेक्टर देख रहे हैं। हमारे यहां से अभी टीम निरीक्षण करने नहीं पहुंची।
क्या परमिशन देने के बाद हॉस्पिटलों का निरीक्षण किया जाता है?
हां, समय-समय पर हॉस्पिटलों का निरीक्षण किया जाता है।
ग्वालियर में ऐसे कितने हॉस्पिटल हैं। जिनकों संचालित करने की परमिशन देने के बाद टीम व्यवस्थायें देखने पहुंची हो?
मुझे यह देखना पड़ेगा। शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम संबंधित हॉस्पिटल में निरीक्षण करने के लिए पहुंचती है।
क्या स्वास्थ्य विभाग की टीम एसएन हॉस्पिटल का निरीक्षण करने जाएगी?
हां, निरीक्षण करने जाएगी और व्यवस्थाओं को देखेगी।
यह उठ रहे सवाल :
स्वास्थ्य विभाग की टीम अभी तक हॉस्पिटल पर कार्रवाई करने क्यों नहीं पहुंची?
पंजीयन देने के बाद हॉस्पिटलों का निरीक्षण क्यों नहीं किया जाता?
शिकायत आने का इंतजार क्यों करता है स्वास्थ्य विभाग ?
एक ही अस्पताल को दो नामों से कैसे परमिशन दे सकता है विभाग ?
अस्पतालों का निरीक्षण स्वास्थ्य विभाग की रूटीन प्रक्रिया में क्यों नहीं है शामिल?
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