राज एक्सप्रेस। 'कबाड़' घरों में इस्तेमाल नहीं होने वाली या गैरज़रूरी वस्तुएं हमारे लिए कबाड़ ही है। दीपावली की सफाई के दौरान इन वस्तुओं को हम अपने घरों से निकालते हैं और कबाड़ी वाले को बेच देते हैं। कबाड़ी वाले को बेची गई वस्तुओं से मिलने वाली राशि भी हमें संतुष्ट नहीं कर पाती।
हम अक्सर कबाड़ी वाले को बोल दिया करते हैं 'क्या भइया सामान तो इतना ज्यादा है और खरीदी आप बहुत कम दे रहे हो,' लेकिन बाद में खुद को ये बोलकर दिलासा दे देते हैं कि 'चलो उन कबाड़ों से राहत तो मिली।'
हर घर में ऐसी न जाने कितनी ही उपयोगी वस्तुएं उपयोग नहीं होने के कारण रखे-रखे खराब हो जाती हैं और फिर हम सस्ते भाव में उसे बेच देते हैं। यदि उन्हें बेचने के बजाय उसे सुधारकर किसी जरूरतमंद को दान करें तो सोचिए उसको कितनी बड़ी सहायता मिलेगी।
इस नेक सोच के साथ आगे बढ़ते हुए, आकांक्षा गुप्ता अबतक 3 लाख जरूरतमंद लोगों की मदद कर चुकी हैं। कैसे? पढ़िए इस पूरी स्टोरी में।
उदास चेहरों पर इंसानियत की लकीरें खींच
गैर ज़रूरी चीजें दानपात्र को दीजिए.....
एक कदम इंसानियत की ओर.....
'दानपात्र' कुछ युवाओं की पहल है, एक ऐप है जरूरतमंदों की मदद के लिए। दानपात्र डेढ़ साल से इंदौर और उसके आस-पास के इलाकों में जरूरतमंदों के लिए काम कर रहा है। दानपात्र को ऐप की शक्ल देने वालीं आकांक्षा गुप्ता AV Web World (आईटी सॉफ्टवेयर) नामक कंपनी की सीईओ हैं।
ऐप बनाने के संदर्भ में आकांक्षा ने बताया 'मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ तो मुझे लगा कि, क्यों न एक ऐसा एप बनाया जाए, जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति घर बैठे बचा हुआ खाना, किताबें या कोई सामान सरलता से दान कर सकता है।'
पैसा न दें घर का कोई सामान दान करें-
दानपात्र ऐप भी दान मांगता है तो दान में ये आपसे 'रूपए' नहीं मांगता बल्कि, आपके उपयोग में न आने वाली कोई वस्तु या फिर आप चाहें तो रुपए से कोई सामान खरीद कर दान कर सकते हैं।
इंदौर की एआईजी का सुझाव मददगार रहा-
हमसे बात करने के दौरान आकांक्षा ने हमें बताया कि, उनकी मुलाकात एक बार इंदौर की एआईजी सोनाली दुबे से हुई। उन्होंने मुझसे कहा 'इंसान को खाने के अलावा काफी वस्तुओं की ज़रूरत होती है जैसे कपड़े, किताबें, बच्चों के खेल-खिलौने आदि। तो आप खाना बांटने के साथ-साथ ये सुविधाएं भी गरीब तबके के लोगों तक मुहैया कराएं।' इसके बाद इन सुझावों पर काफी विचार किया और आज हम खाने के अलावा अन्य वस्तुएं भी लोगों से लेकर जरूरतमंदों तक पहुँचाते हैं।
डोनेट करने वालों से हम सामान लेते हैं। अगर वो खराब हालत में होता है तो उसको रिसाइकल करते हैं और फिर उस सामान को जरूरतमंद तक पहुँचा देते हैं।
घर की शादी में ऐप बनाने का आइडिया आया
पिछले साल मेरे भइया की शादी थी, फंक्शन खत्म होने के बाद हमारे घर बहुत सारा खाना बच गया था। तब मैंने एक एनजीओ में डोनेट करा दिया था। उस दिन मेरे दिमाग में आया कि, पूरे इंदौर में एक दिन में कितने ही ऐसे प्रोग्राम होते हैं। अगर सब जगह से खाना इक्ट्ठा कर लिया जाए और जरूरतमंदों को बांटा जाए तो कितने सारे लोगों को मदद मिल सकती है। उस दिन मुझे ये आइडिया आया और मैंने ये सामाजिक काम शुरू किया।
हमारे काम की टीवी कलाकारों ने भी सराहना की है। ‘भाभीजी घर पर हैं' में मनमोहन तिवारी का किरदार निभाने वाले रोहिताश गौड़ ने सोशल मीडिया अकाउंट पर दानपात्र की पहल को सराहा। इनके अलावा ‘दीया और बाती हम’ में मीनाक्षी का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस कनिका माहेश्वरी ने दिल्ली से भी दान किया है।
अब तक इस ऐप से इंदौर शहर के 35 हजार से ज्यादा शहरवासी जुड़ चुके हैं। हमारा उद्देश्य है भविष्य में हम ये सुविधा देशभर में पहुँचा सकें। इस काम के लिए हमारे पास 11 युवा टेक्निकल और 14 सदस्य सामान एकत्रित करने के लिए हैं।
जो भी सामान दान करना होता है वो लोग एप के माध्यम से सूचित कर देते हैं। पिकअप टीम 7 से 21 दिन में सामान लेने पहुंच जाती है। दान सामग्री किसने दी है, उनके फोटो-वीडियो भी इससे लाभांवित होने वाले लोगों तक पहुंचाते हैं।
ऐप से मिलने वाला सामान जब हम जरूरतमंदों तक लेकर जाते हैं तो उनके चेहरों पर जो खुशी दिखाई देती है, सिर्फ उस खुशी के लिए दान कीजिए। हम सभी को समाज के बड़े जरूरतमंद तबकों के लिए दान करने चाहिए। सबको आगे आना चाहिए।
आकांक्षा गुप्ता (संस्थापक)
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