भोपाल, मध्यप्रदेश। इन दिनों देश-प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। बता दें कि, नीट पीजी काउंसलिंग में देरी होने के कारण जूनियर डॉक्टर्स का लगातार आक्रोश बढ़ता जा रहा है। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का आज तीसरा दिन है। तीसरे दिन जूनियर डॉक्टरों ने रूटीन और इमरजेंसी में काम बंद किया है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा हड़ताल का असर :
मिली जानकारी के अनुसार जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि मण्डल ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग और आयुक्त निशांत वरवड़े से की मुलाकात, लेकिन बात नही बनी। बता दें कि बढ़ते काम के दवाब को लेकर भोपाल सहित पूरे प्रदेश में जनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी है। आज हड़ताल का तीसरा दिन है। गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के जूनियर डाक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरीत असर पड़ रहा है।
डॉक्टरों की हड़ताल का आज दूसरा दिन था :
जूडा की ओर से बुधवार से इमरजेंसी सेवाएं देना बंद कर दिया गया, हालांकि मरीजों को दिक्कत न हो इसके लिए कॉलेज डीन ने वैकल्पिक सेवाएं जुटाई। मिली जानकारी के अनुसार बढ़ते काम के दवाब को लेकर भोपाल सहित पूरे प्रदेश में जनियर डॉक्टरों ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी है। बुधवार को हड़ताल का दूसरा दिन था। इस दिन जूडा सदस्यों ने गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में पौधारोपण किया गया था।
बताते चलें कि, नीट पीजी की काउंसलिंग में हो रही देरी से पीजी छात्रों की कमी है, जिसकी वजह से मौजूदा जूनियर डॉक्टर्स पर अत्याधिक कार्य भार बढ़ चुका है, इसकी वजह से पूरे देश में जूनियर डॉक्टर्स को दोगुना काम करना पड़ रहा है, जिसका न सिर्फ उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, बल्कि मरीजों को भी बराबर इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसी वजह से पूरे देश एवं प्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं। मप्र जूडा संगठन के डॉक्टर का कहना है कि प्रदेश में कई डॉक्टरों की कमी है। बीते कई महीने से जूनियर डॉक्टर दबाव में काम कर रहे हैं। प्रदेश सरकार से मांग है कि एमबीबीएस कर चुके छात्रों को मदद के लिए रखा जाए।
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