पाकिस्तान से जंग जीतने वाला सैनिक अफसरशाही से हारा, रिटायरमेंट के सालों बाद भी नहीं मिली जीवन यापन के लिए जमीन
नर्मदापुरम, मध्य प्रदेश। भारतीय सेना का एक सूबेदार ने जंग के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए, लेकिन रिटायरमेंट के बाद अब वह वह नर्मदापुरम की अफसरशाही से हार गया। सेवानिवृत्ति के बाद सैनिकों को जीवन यापन के लिए सरकार की ओर से जमीन दी जाती है, लेकिन सूबेदार भवानी शंकर दुबे सरकार की ओर से दी जाने वाली इस जमीन के लिए एक से दूसरे कार्यालय भटक रहे हैं।
सूबेदार भवानी शंकर दुबे ने ड्यूटी के दौरान पाकिस्तान से जंग लड़ी। इस युद्ध मैं देश ने अजीम जंग जीती। सैनिक इस जंग का अहम हिस्सा रहा। इसके अलावा श्रीलंका से मुठभेड़ के दौरान एक ऑपरेशन का हिस्सा रहा। जिस सैनिक ने देश की ओर से पाकिस्तान से जंग लड़ते हुए जीत हासिल की। वही, सैनिक आज अफसरशाही के सामने अपनी जंग हार रहा है। सैनिक को मुसद्दीलाल बना दिया गया है। इस दफ्तर से उस दफ्तर, इस टेबिल से फाइल उस टेबिल और जल्द काम होने का आश्वासन। 80 साल का भूतपूर्व सैनिक सूबेदार भवानी शंकर दुबे सेना से रिटायर्ड होने के बाद जीवन यापन के लिए मिलने वाली कृषि भूमि के लिए ऑफिस ऑफिस भटक रहे है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
15 साल से प्रयास कर रहा, सुनवाई नहीं:
भूतपूर्व सैनिक दुबे ने बताया कि, पिछले 15 वर्षों से लगातार प्रयास करने के बाद भी कोई सुनवाई नही की जा रही है। बड़े अफसरों द्वारा फाइल आगे तो बड़ा दी गई है। लेकिन उनके नीचे के अफसर ऑफिस ऑफिस दौड़ा रहे है। जीवन यापन हेतु शासन द्वारा भूतपूर्व सैनिकों को भूमि आवंटित करने के नियम है। दुबे का कहना है कि, अब आयु 80 वर्ष हो चुकी है। भूतपूर्व सैनिक को निरंतर परेशान किया जा रहा है, जबकि मैने देश के लिए श्रीलंका एवं पाकिस्तान युद्ध मैं जंग लड़ी।
राष्ट्रपति से मिला था नियुक्ति पत्र:
दुबे ने बताया कि, उन्हे तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा नियुक्ति पत्र भी प्रदान किया गया था, के रूप मैं उन्होंने वो नियुक्ति पत्र भी दिखाए और छाया प्रतियां दी, जो राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा उन्हें दिए गए थे। पूरे मामले को लेकर नागरिकों का कहना है कि, अफसरों को भूतपूर्व सैनिक की आगे आकर मदद करनी चाहिए और जल्द जल्द भूमि आवंटन की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए।
जंग के दौरान मिला था लिली और पवन कोर्ड वर्ड:
दुबे ने अपनी दोनो युद्धों को याद करते हुए बताया कि, पाकिस्तान और श्रीलंका जंग के दौरान कमांडर ने उनका नाम कोर्ड वर्ड मैं दिया था। कोर्ड वर्ड से ही एक दूसरे की पहचान होती थी। उन्होंने बताया पाकिस्तान से जंग सन 1971 मैं हुई थी। इस जंग में मैं गुरदासपुर सेक्टर मैं तैनात था। इस दौरान उनको ओपी कैक्टस लिली कोर्ड वर्ड दिया गया था। उन्होंने श्रीलंका से जंग का जिक्र छेड़ते हुए बताया कि, ये जंग किस सन मैं हुई थी ये तो याद नहीं। लेकिन इस जंग मैं उन्हें ओपी पवन कोर्डवर्ड दिया गया था।
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