हाइलाइट्स
भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने जारी किये आदेश।
आदेश का उल्लंघन करने वाले कॉलेजों पर होगी कार्रवाई।
आयोग ने स्टाफ की कमी होने पर भर्ती करने को कहा।
दिल्ली। सरकारी आयुष संस्थानों की चालाकी अब नहीं चलेगी। इस पर लगाम लगाने के लिए भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने एक आदेश जारी कर स्पष्ट कह दिया है कि, कोई भी सरकारी कॉलेज शैक्षणिक और पैरा मेडिकल स्टाफ को मूल पदस्थापना से अन्य कॉलेज में ट्रांसफर या अटैच नहीं करेगा। मेडिकल असिस्मेंट एण्ड रेटिंग बोर्ड फॉर इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ रघुराम भट्ट ने पत्र जारी किया है। ऐसा करने वाले कॉलेजों के विरुद्ध कार्रवाई होगी, उन्हें सम्बंधित शैक्षणिक सत्र संचालन की अनुमति नहीं मिलेगी। इसके अलावा आयोग ने कॉलेजों को स्टाफ की कमी होने पर भर्ती करने को भी कहा है।
दरअसल, (आयुष) सरकारी आयुर्वेद, सिद्धा, यूनानी एएसयूएस मेडिकल कॉलेज प्रबंधन शैक्षणिक सत्र संचालन की अनुमति प्राप्त करने के लिए हर साल चालाकी करते है। ये कॉलेज शैक्षणिक और पैरा मेडिकल स्टाफ को उन कॉलेजों में एक के बाद एक पदस्थ करते है या प्रतिनियुक्ति पर भेजते है जहाँ भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग की टीम द्वारा निर्धारित मापदंडो का निरिक्षण करने के लिए दौरा किया जाता है। कॉलेज में स्टाफ की कमी होने पर इस तरह की चालाकियां की जाती रही और शैक्षणिक सत्र संचालन की अनुमति लेने का क्रम कई वर्षों से जारी है। बीते वर्षों में कॉलेज प्रशासन इस चालाकी का भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग को जानकारी मिल रही थी। अब आयोग ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए आदेश जारी किये है कि, एक कॉलेज का स्टाफ दूसरे कॉलेजों में प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा जायेगा या कुछ समय के लिए ट्रांसफर नहीं होंगे।
निरीक्षण के बाद मिलती है अनुमति
सरकारी कॉलेजों को शैक्षणिक सत्र या पाठ्यक्रम संचालन के लिए हर साल भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग से अनुमति लेनी होती है। आयोग अनुमति देने से पहले सभी कॉलेजों में निरीक्षण करता है। इसकी रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को भेजी जाती है। आयुष मंत्रालय के अनुमोदन के बाद सम्बंधित कॉलेज को अनुमति मिलती है।
अब तक यह करत्ते है कॉलेज
आयुष कॉलेजों में प्रतिवर्ष ही भारतीय चिकित्सा पद्दति राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली - एनसीआईएसएम निरीक्षण करता है और रिपोर्ट्स के आधार पर ही केंद्रीय आयुष मंत्रालय प्रतिवर्ष मान्यता प्रदान करता है। केवल मान्यता पाने के लिये निरीक्षण के वक्त आयुष विभाग एक से दूसरे कुछ सरकारी आयुष कॉलेजों में जहां कमी है टीचिग व हॉस्पिटल स्टॉफ का स्थानान्तरण या प्रतिनियुक्ति कर काम निकाल लेते हैं और जैसे ही मान्यता मिल जाती है फैकल्टी को वापस मूल कॉलेज में बुला लिया जाता है! इससे मान्यता तो मिल जाती है परंतु शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। छात्रों को पर्याप्त सभी विषयों के शिक्षक न मिलने से अध्ययन-अध्यापन में कमी रह जाती है।
मध्यप्रदेश में इतने आयुष कॉलेज
प्रदेश में 7 शासकीय आयुर्वेद कॉलेज क्रमश: भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, बुरहानपुर, इंदौर, रीवा तथा 1 यूनानी कॉलेज देवास समेत देशभर में 200 से ज्यादा शासकीय एएसयूएस मेडिकल कॉलेज संचालित हैं।
इनका कहना
सरकारी एएसयूएस कॉलेजों की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार के लिए एनसीआईएसएम का छात्र हित में उचित कदम है। नवीन पूर्ण रेग्युलर स्टॉफ की नियुक्ति से नये आयुष यूजी -पीजी डिग्रीधारी डॉक्टर्स सरकारी रोजगार भी प्राप्त कर सकेंगे।
डॉ. राकेश पाण्डेय, प्रवक्ता -आयुर्वेद सम्मेलन व एएमए
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