गैस पीड़ितों की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी के गैस त्रासदी प्रभावितों को यूनियन कार्बाइड से अतिरिक्त मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर गुरूवार को सुनवाई पूरी हो गई है। 3 दिन तक सुनवाई चली। जिसके बाद जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं गैस पीड़ित संगठनों को उम्मीद है कि जल्द ही सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा। दिसंबर 1984 में भोपाल में हुई गैस त्रासदी को लेकर केन्द्र सरकार ने 2010 में अतरिक्त मुआवजे की मांग के लिए सुधार याचिका दायर की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसी सप्ताह मंगलवार से सुनवाई शुरू की थी, जो बुधवार और गुरूवार को भी चली। सुनवाई के तीसरे दिन सरकार की ओर से अर्टीनी जरनल और गैसपीड़ित संगठनों के वकीलों ने दलीलें रखीं। वहीं यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पैरवी की। लंबी चली सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर दिया है।
तीसरे दिन रखा गया गैस पीड़ितों का पक्ष :
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने बताया कि गुरुवार को गैस पीड़ितों की ओर से पक्ष रखा गया था। जिसमें बैंच ने हमें सुना। ढींगरा ने बताया कि यूनियन कर्बाइड को इसकी जानकारी थी कि गैस रिसाव की वजह से परमानेंट क्षति पहुंचेगी। सरकार से भी यह बात छुपाई गई थी। यह पक्ष भी कोर्ट में रखा गया है। हमने कोर्ट से अपील की है कि कैसे गैस पीड़ितों को राहत दी जा सकती है। सरकार को मानना पड़ा कि गैस पीड़ितों की चोंटे एक दिन की नहीं बल्कि जिंदगी भर की है। गैस पीड़ितों के साथ नाइंसाफी हुई है, यह भी कोर्ट ने माना है।
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