ओबीसी आरक्षण पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए राज्य सरकार : कांग्रेस

भोपाल, मध्यप्रदेश : वंचित तबकों का आरक्षण समाप्त करना,आरएसएस और भाजपा के गुप्त एजेंडे का हिस्सा। पूर्व मंत्री एवं विधायक सज्जन वर्मा, पी सी शर्मा और कमलश्वर पटेल ने की संयुक्त पत्रकार वार्ता।
ओबीसी आरक्षण पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए राज्य सरकार : कांग्रेस
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भोपाल, मध्यप्रदेश। भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में अन्य पिछडा वर्ग के आरक्षण को समाप्त करना चाहती है। शिवराज सिंह चौहान सरकार पहले ही नौकरियां और शिक्षा में कमलनाथ सरकार के समय दिए गए आरक्षण को अदालतों में कमजोर पैरवी करके धीर-धीरे खत्म करती जा रही है, वही तरीका पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को समाप्त करने के लिए अपनाया गया है।राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए। वहीं सदन में ओबीसी आरक्षण के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजे सरकार। यह मांग बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान पूर्व मंत्री एवं विधायक सज्जन वर्मा, पी. सी शर्मा और कमलेश्वर पटेल ने प्रदेश सरकार से की।

वक्ताओं ने ओबीसी आरक्षण पर प्रदेश सरकार के रवैये को लेकर इसें आरएसएस और भाजपा का आरक्षण को खत्म करनें का गुप्त एजेंडा बताया।

श्री वर्मा ने कहा कि 10 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय ने बिना ओबीसी आरक्षण के ही पंचायत चुनाव कराने का आदेश दिया। असल में मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस विषय में लगातार उच्चतम न्यायालय में अन्य पिछड़ा वर्ग का पक्ष सही तरीके से नहीं रखा और जानबूझकर असंगत आंकड़े पेश करके ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी कि न्यायालय से इस तरह का फैसला आए।

श्री पटेल ने कहा कि भाजपा की सरकार ने ओबीसी के खिलाफ यह जो काम किया है वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के गुप्त एजेंडे का हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी ने जब भी ओबीसी वर्ग को कोई अधिकार दिया है तब-तब बीजेपी ने चोर रास्ते से ओबीसी से वह अधिकार छीनने का काम किया है। ओबीसी आरक्षण को वर्तमान शिवराज सिंह चौहान सरकार अदालतों में गलत तथ्य रखकर धीरे-धीरे खत्म करती जा रही है। पंचायत चुनाव में आरक्षण के मुद्दे से स्पष्ट पता चलता है कि शिवराज सिंह चौहान सरकार ने एक गहरे षड्यंत्र के तहत कदम दर कदम ओबीसी का आरक्षण खत्म कराने का षड्यंत्र किया।

पंचायत एवं निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में यही हुआ। ओबीसी की जनगणना संबंधी आंकड़े सुप्रीम कोर्ट की ओर से मांगे जाने के बावजूद 6 महीने तक मध्य प्रदेश की सरकार ने कोई पहल नहीं की। जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में न्यायालय ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं और न्यायालय अपना फैसला सुनाना चाहता है तब सरकार ने आनन-फानन में खानापूर्ति करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की एक साथ ही रिपोर्ट न्यायालय में पेश की। इस रिपोर्ट में ओबीसी की आबादी के वास्तविक आंकड़े पेश करने के बजाय सरकार ने मतदाता सूची के आंकड़े पेश किए। इस तरह एक बार फिर से असंगत आंकड़े पेश कर सरकार ने भी परिस्थितियां निर्मित की जिनसे उच्चतम न्यायालय बिना आरक्षण के ही चुनाव करने का फैसला सुनाने को विवश हो जाए।

श्री पटेल ने कहा कि अब एक बार फिर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कह रहे हैं कि मध्य प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। यह बहुत साफ है कि सरकार सिर्फ अपना दामन बचाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का ढोंग कर रही है। जब सरकार ने अब तक ओबीसी के आबादी के आंकड़े ही उपलब्ध नहीं किए हैं ना ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक ट्रिपल टेस्ट किया है और इससे पहले असंवैधानिक तरीके से ऑर्डिनेंस भी ला चुकी है और बाद में उसे वापस भी ले लिया, तो जाहिर है कि सरकार की नियत ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की नहीं है। फिर भी कांग्रेस पार्टी पुनर्विचार याचिका के दाखिल होने और उस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने का इंतजार करेगी। कांग्रेस पार्टी अपनी तरफ से हर उस संभावना पर विचार कर रही है कि किस तरह ओबीसी वर्ग को पंचायत और निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सके। भाजपा सरकार ओबीसी पर लगातार अत्याचार कर रही है और उसका आरक्षण खत्म करना चाहती है।

श्री शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को इस बात का अंदेशा है कि भाजपा और आरएसएस इसी तरह का षड्यंत्र रच कर आगे चलकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण भी खत्म कर देंगे, साजिश रच सकते हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी देश के दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग को दिए गए आरक्षण को बचाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करने के लिए तैयार है।

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