राज एक्सप्रेस। रिपोर्टाे में लगातार यह बातें सामने आ रही थी कि, दूषित जल के चलते प्राकृतिक जल स्त्रोत दूषित हो रहे हैं, राष्ट्रीय हरित अधिकरण की मुख्य पीठ नई दिल्ली ने 2 अलग-अलग याचिकाओं में सुनवाई के दौरान इस मामले को सख्ती से लेते हुए प्रदेश सरकार से पहले प्राकृतिक जल को दूषित करने और सही समय पर कारगर कदम न उठाने के लिए 15 करोड़ की बैंक गारंटी जमा कराते हुए निर्देश जारी किये।
प्रदेश की सभी नगरीय निकायों में 31 मार्च 2020 तक दूषित जल उपचार का शत-प्रतिशत उपचार करने के लिए संयंत्र लगाने के साथ ही घरेलू दूषित जल का कम से कम इन्सीटू बायोरेडियन्स किया जाये, जो कि प्रत्येक नगरीय निकाय के मुख्य नाले में लगाया जाना है, ऐसा न होने पर बैंक गारंटी तो राजसात होगी ही, बल्कि सभी निकायों को हर्जाने के तौर परकेन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 15 लाख रूपये हर माह अदा करने होंगे।
डेढ़ माह का समय शेष :
एनजीटी के द्वारा दिये गये आदेश में कहा गया है कि नगरीय निकाय द्वारा प्राकृतिक जल स्त्रोतों में निस्तारित होने वाले समस्त घरेलू दूषित जल का100 प्रतिशत उपचार सुनिश्चित किया जाना है। ऐसा न करने वाले सभी निकायों को 10 लाख रूपये प्रतिमाह जुर्माने के तौर पर अदा करने होंगे, आदेश हालांकि बहुत पहले जारी किया गया था, पर्यावरण विभाग द्वारा कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग ने इस मामले में कोई कारगर कदम नहीं उठाये, अब कोर्ट के आदेश की अवहेलना न हो, इसके लिए राज्य सरकार के पास केवल डेढ़ माह का समय शेष है, 31 मार्च तक सभी नगरीय निकायों में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाना अनिवार्य होगा, ऐसा न होने पर प्रदेश सरकार की 15करोड़ की राशि जब्त हो जायेगी।
ड्रेन में हो इन्सीटू बायोरेडियन्स :
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि नगरीय क्षेत्र में निस्तारित होने वाले घरेलू दूषित जल का इन्सीटू बायोरेडियन्स किया जाये, यह एक प्रकार की पद्धति है, जिसमें एक सिस्टम के माध्यम से पौधे और बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं, जो कि दूषित जल के उपचार में सहायक होते हैं। हर नगरीय निकाय को अपने दायरे में आने वाले प्रति मेजरड्रेन (नाला) में इन्सीटू बायोरेडियन्स की व्यवस्था करनी होगी, ऐसा न करने पर प्रत्येक ड्रेन के हिसाब से 5 लाख रूपये का जुर्माना अलग से होगा, अगर किसी नगरीय निकाय में चार ड्रेन हैं तो 20 लाख रूपये जुर्माने के तौर पर देने होंगे।
प्राकृतिक जल स्त्रोतों के प्रति गंभीर एनजीटी :
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने माना की नगरीय निकायों से निकलने वाले दूषित जलके उपचार किये बगैर प्राकृतिक जल स्त्रोतों में छोड़े जाने से जल प्रदूषण की मात्रा नदियों और तालाबों में बढ़ती जा रही है, जिसका असर उनके प्राकृतिक स्त्रोतों पर पड़ रहा है। इस मामले में एनजीटी ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित कई एजेंसियों और रिपोर्ट के बाद गंभीरता से विचार करते हुए सख्त निर्देश पारित किया है।
आज पीसीबी के अधिकारी लेंगे बैठक :
संभाग के दायरे में आने वाले शहडोल, अनूपपुर, उमरिया के अलावा पीसीबी के कार्यक्षेत्र डिण्डौरी जिलों के अंतर्गत जितने भी नगरीय निकाय हैं, उनके मुख्य नगरपालिका अधिकारियों की एक बैठक मानस भवन ऑडिटोरियम में आयोजित की गई है, जिसके लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के संयुक्त संचालक मकबूल खान ने सभी सीएमओ को पत्र भेजा है, इस बैठक में पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव कुमार मेहरा एनजीटी के आदेश के पालन के संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी देंगे। पीसीबी के वैज्ञानिक के माध्यम से सभी निकायों के अधिकारियों को संबोधित करेंगे, ताकि समय पर न्यायालय के आदेश का पालन हो सके और घरेलू दूषित जल का 100 प्रतिशत उपचार होने के बाद ही उसे प्राकृतिक जल स्त्रोतों पर छोड़ा जाये।
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