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प्रदेश कांग्रेस ने गांधी स्मारक न्यास भवन ट्रस्ट का मांगा हिसाब , शहर कांग्रेस अध्यक्ष को जारी किया नोटिस

कांग्रेस लगातार भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगाती रहती है, लेकिन जब उसके ही ट्रस्ट में गोलमाल होने की बात कोई कांग्रेसी करता है तो उसका मुंह बंद करा दिया जाता है।
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ग्वालियर। राजनीति में दूसरे पर आरोप लगाना बड़ा आसान होता है, लेकिन अपनी कमी हर कोई छिपाता है ओर यही काम इस समय शहर कांग्रेस का जो भवन है उसके लिए बनाएं गए गांधी स्मारक न्यास भवन ट्रस्ट में देखने को मिल रहा है, क्योंकि पिछले 13 सालो से इसका कोई हिसाब किताब कांग्रेसियो के सामने नहीं रखा है जिसको लेकर एआईसीसी से लेकर प्रदेश कांग्रेस तक शिकायते की गई थी कि गांधी स्मारक न्यास भवन ट्रस्ट में भारी गोलमाल किया जा रहा है। इन शिकायतो के आधार पर एआईसीसी ने प्रदेश कांग्रेस को एक 15 बिन्दुओ का पत्र लिखा था जिस पर प्रदेश कांग्रेस ने शहर कांग्रेस अध्यक्ष को 2 अप्रैल को नोटिस भेजकर  7 दिन के अंदर पूरा हिसाब किताब भेजने का निर्देश दिया था, लेकिन समय निकलने के बाद भी उक्त नोटिस का जवाब नहीं दिया गया है।

कांग्रेस लगातार भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगाती रहती है, लेकिन जब उसके ही ट्रस्ट में गोलमाल होने की बात कोई कांग्रेसी करता है तो उसका मुंह बंद करा दिया जाता है। शहर में गांधी स्मारक कांग्रेस भवन न्यास की बैठके लम्बे समय से नहीं की गई साथ ही चुनाव भी 13 साल से नहीं कराए गए है। वैसे ट्रस्ट की हिसाब किताब सीए द्वारा कराया जाना होता है ओर उसकी जानकारी कलेक्टर को भेजी जाती है, लेकिन शहर कांग्रेस अध्यक्ष तो इस नियम का भी पालन नहीं कर रहे है। अब पूरे मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष को नोटिस जारी किया तो एकाएक हड़कंप मच गया, क्योंकि अब यह समझ में नही आ रहा है कि आखिर हिसाब- किसाब कै से बने ओर उसको कहां खर्च किया जाना बताया जाएं, जबकि शहर कांग्रेस कार्यालय की हालत यह है कि उसका सालो से पुताई तक नहीं की साथ ही जो बोर्ड शहर कांग्रेस कार्यालय का लगा हुआ है वह भी मिट गया है, लेकिन उस बोर्ड को बनाने तक के लिए पैसे खर्च करने से कांग्रेस बच रही है।

यहां बता दे कि कांग्रेस भवन के लिए ट्रस्ट का गठन 1972 में किया गया था। उस समय जो जमीन कांग्रेस भवन के लिए मिली थी उस पर किराएदारो का कब्जा था। ट्रस्ट बनने के बाद जमीन को खाली कराने का काम किया गया ओर कांग्रेस भवन के लिए कक्का डोंगर सिंह ने पैसा दिया था उसके बाद कांग्रेस भवन का निर्माण शुरू  हुआ था। पहली मंजिल बनने के बाद जो दुकाने बनी थी उनसे जो पैसा मिला उससे ऊपर की मंजिले बनी। पहले ट्रस्ट का हिसाब किताब नियमित रूप से कांग्रेस सदस्यों के बीच रखा जाता था ओर यह नियम दर्शन सिंह के अध्यक्ष रहने तक चला था। गांधी स्मारक कांग्रेस भवन न्यास के तहत मुरार एवं शिंदे की छावनी पर बना कांग्रेस भवन आता है ओर दोनो में ही करीब 100 दुकाने है। मुरार में जो कांग्रेस का दफ्तर है वहां की दुकानो का किराया तो अभी भी 100 से 150 रुपए ही हिसाब किताब में चल रहा है जबकि वास्तविक स्थिति इससे उलट है, क्योंकि मुख्य बाजार में इस समय दुकानो का किराया कम से कम 10 हजार रुपए से कम नहीं है। लेकिन इसके बाद भी मुरार की दुकानो का किराया 100 से 150 ही अंकित किया जा रहा है। इसको लेकर कांग्रेसियो ने कई बार सवाल किए तो उसका जवाब नहीं दिया गया बल्कि ऐसे कांग्रेसियो के  खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्यवाही करने की धमकी देकर उनको शांत कराया जाता रहा है।

हिसाब किताब सार्वजनिक करने से आखिर क्यों बचा जा रहा

किसी भी ट्रस्ट का हिसाब किताब नियमित रूप से साल में सभी सदस्यों  के बीच सार्वजनिक रूप से उनके समक्ष रखा जाता है ताकि कोई सवाल न उठा सके। वैसे नियम के हिसाब से साल में सीए से ऑडिट कराया जाता है ओर उसकी  रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी जाती है, लेकिन इस न्यास में इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। यहां बता दे कि वर्ष 2017 मेें दुकानो का जो किराया बाकी  थी उसकी एवज में 12 लाख रुपए किराया वसूला गया था, लेकिन उसके बाद से ही किराया कितना आ रहा है , किसी को नहीं बताया गया। नियम के  हिसाब से ट्रस्ट के चुनाव कराएं जाते है, लेकिन कांग्रेस के ट्रस्ट का नियम अलग ही है, क्योंकि इस ट्रस्ट के चुनाव वर्ष 2010  से नहीं कराएं गए। हालत यह है कि ट्रस्ट में कौैन ओर कितने सदस्य है इसकी जानकारी भी कांग्रेस कार्यकर्ताओ को नहीं है। शुरूआत में इस ट्रस्ट में तारा सिंह वियोगी,  शोभा कश्यप, रघुनाथराव पापरीकर एवं दर्शन सिंह सदस्य थे, लेकिन उन सभी का देहांत हो चुका है ओर रमेश अग्रवाल,  अनवर दाउद एवं इस्माइल खां पठान ने इस्तीफा दे दिया है। इस तरह अब ट्रस्ट में कितने सदस्य है ओर उनके क्या नाम है इसकी जानकारी भी कांग्रेस कार्यकर्ताओ को नहीं है।

एआईसीसी ने प्रदेश कांग्रेस को भेजा पत्र, मांगी जानकारी

शहर कांग्रेस के गांधी स्मारक न्यास ट्रस्ट से जुड़े मामले को लेकर जब शिकायते एआईसीसी तक पहुंची तो पवन बंसल ने एक पत्र प्रदेश कांग्रेस को भेजा था जिसमें कांग्रेस की संपत्तियो की जानकारी मांगी गई थी।  इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि संपत्ति का स्थान, भूखंड का क्षेत्रफल, सर्वे नंबर, इमारत की मौजूदा हालत, संपत्तिकर कब तक चुकाया गया,संपत्ति का प्रबंधन अगर ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है तो  बोर्ड में रिक्त स्थानो के बारे में स्थिति का जांच करें ओर कांग्रेस संविधान के तहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की अनुमति से विश्वसनीय व वफादार कांग्रेस कार्यकर्ताओ को नियुक्त करने का काम किया जाएं व ट्रस्ट डीड की एक प्रति अधोहस्ताक्षर करता को भी भेजे। एआईसीसी के इस पत्र में साफ उल्लेख किया गया है कि वफादार कांग्रेसियो को ट्रस्ट में शामिल किया जाएं, लेकिन गांधी स्मारक न्यास ट्रस्ट में अभी भी सिंधिया समर्थक सचिव बने हुए है जिसको सालो से शहर कांग्रेस नजर अंदाज कर रहे है।

प्रदेश कांग्रेस ने भेजा शहर कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र

प्रदेश कांग्रेस की तरफ से 2 अप्रैल को पत्र क्रमांक 853/ 23 के माध्यम से शहर कांग्रेस अध्यक्ष को जो पत्र भेजा गया है उसमें जिला कांग्रेस के स्वामित्व के भवन का विवरण मांगा गया है। इस पत्र में उल्लेख किया गया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने निर्देश दिए है कि शहर कांग्रेस के स्वामित्व के भवन का संपूर्ण विवरण तत्काल भेजे साथ ही जो भवन बना है उसमें कितनी  दुकाने है ओर उनसे कितनी आय होती है साथ ही उसमें से किस पर कितना खर्च किया गया है। यह जानकारी 7 दिन के अंदर भेजने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसके बाद भी शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है,क्योंकि सवाल यह उठ रहा है कि अब हिसाब -किताब कैसे बनाया जाएं।

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