Special Story: सरकार निर्वाचन में 50% हिस्सेदारी- नेतृत्व जिम्मेदारी 10% से कम, MP में महिला मतदाता 50 फीसदी
हाइलाइट्स :
बीते चार विधानसभा चुनाव में सिर्फ 10 प्रतिशत ही महिला विधायक।
राजनीतिक दल नहीं करते महिला नेतृत्व पर भरोसा।
मध्यप्रदेश में सिर्फ 21 महिला विधायक।
सरकार में सिर्फ तीन महिलाओं को मंत्री पद।
मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीट।
राजएक्सप्रेस। मध्यप्रदेश। राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण पर मंच से चाहे जितनी बड़ी बातें करते रहें लेकिन हकीकत इससे इतर है। बीते 27 साल से लोकसभा और विधानसभा चुनाव में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का बिल (विधेयक) लंबित है इस पर अब तक निर्णय नहीं हो सका है। मध्यप्रदेश की बात की जाए तो बीते चार विधानसभा चुनाव में 10 प्रतिशत से कम ही महिला विधायक विधानसभा में चुन कर आयीं। मौजूदा सरकार में भी मात्र 3 महिला विधायकों को मंत्री पद दिए गए। इसी तरह राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव की जिम्मेदारी हो या संगठन की, महिलाओं के नेतृत्व को हमेशा नज़रअंदाज किया जाता रहा है।
मध्यप्रदेश में 31 मंत्रियों में केवल 3 ही महिला :
मध्यप्रदेश में कुल 31 मंत्री हैं इनमें से भी केवल 3 ही महिलाओं को मंत्री पद दिया गया है। इनमें यशोधरा राजे सिंधिया को खेल एवं युवा कल्याण मंत्री, मीना सिंह जनजातीय कार्य विभाग, उषा ठाकुर संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री। इस प्रकार देखा जाए तो मंत्रिपरिषद में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है। चौकाने वाली बात तो यह है कि, जिस प्रदेश में आधी आबादी महिला मतदाताओं की हो उस प्रदेश में महिला बाल विकास मंत्री ही नहीं है।
साल 2003 से अब तक हुए चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व :
मध्यप्रदेश में पिछले पांच विधानसभा चुनाव में महिला विधायकों की संख्या पर गौर किया जाए तो यह ज्ञात होता है कि, अब तक महिला विधायकों की अधिकतम संख्या 22 और न्यूनतम संख्या 18 रही है। साल 2018 में 2,899 कैंडिडेट्स ने 230 विधानसभा सीट के लिए चुनाव लड़ा था जिनमें से मात्र 250 महिला उमीदवार थीं। इन 250 महिला उम्मीदवारों में से 17 महिला उमीदवार ही चुनाव जीत सकीं थीं। इन 17 विधायकों में से 9 भाजपा की विधायक थीं और 6 कांग्रेस की। उपचुनाव के बाद महिला विधायकों की संख्या में बढ़ौतरी हुई। अब प्रदेश में कुल 21 महिला विधायक हैं, जिनमें से 14 भाजपा, 6 कांग्रेस और 1 बसपा से है।
साल -विधानसभा चुनाव में महिला विधायकों की संख्या
2003- 19
2008- 22
2013- 18
2018 - 21
चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षण :
मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है, लेकिन विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं के लिए आरक्षण की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। लोकसभा में महिला आरक्षण से सम्बंधित बिल पिछले 27 सालों लंबित है। इस बिल को पहली बार साल 1996 में लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन उस समय यह बिल पास नहीं हो पाया था। इसके बाद इस बिल को कई बार लोकसभा में पेश किया गया लेकिन आज तक यह बिल पास नहीं हो सका है।
मध्यप्रदेश में 50 प्रतिशत आबादी महिला मतदाता की :
मध्यप्रदेश में इस बार मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। प्रदेश में लगभग 5 करोड़ 44 लाख मतदाता हैं। इनमें से लगभग 2 करोड़ 81 लाख पुरुष और लगभग 2 करोड़ 62 लाख महिला मतदाता हैं। इस हिसाब से प्रदेश में 50 प्रतिशत महिला वोटर हैं, लेकिन 230 सदस्यों वाली विधानसभा में केवल 21 महिला विधायक हैं। यानि महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम। इस विधानसभा में भाजपा के 127 विधायक हैं इनमें से मात्र 14 महिलाऐं हैं। कांग्रेस के 92 विधायक हैं इनमें से 6 महिला विधायक हैं। एक महिला विधायक बसपा से है। इस तरह यह कहना उचित होगा कि, पितृसत्तातमक सोच आज भी राजनीति में अपनी पकड़ बनाए हुए है। महिलाओं की समान भागीदारी की बात हर राजनीतिक दल द्वारा की गई, परन्तु नीति निर्णयन के शीर्ष स्तर में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने का कार्य किसी भी दल ने गंभीरता से नहीं किया।
मध्यप्रदेश में अब तक 2 महिला राज्यपाल रहीं :
मध्यप्रदेश में पहली महिला राज्यपाल सरला ग्रेवाल थीं। इनका जन्म 4 अक्टूबर 1927 को हुआ था। 1952 में सरला ग्रेवाल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रवेश किया और उस समय इस सेवा में आने वाली वे भारत की दूसरी महिला अधिकारी थी। ग्रेवाल मध्यप्रदेश के राज्यपाल के पद पर 1 मार्च 1989 से 5 फरवरी 1990 तक थीं। प्रदेश की दूसरी महिला राज्यपाल आनंदीबेन मफतभाई पटेल थीं। आनंदीबेन 1 जुलाई 2020 से कार्यवाहक राज्यपाल और 24 जुलाई 2020 से 8 जुलाई 2021 तक मध्यप्रदेश की राज्यपाल रहीं।
प्रदेश में अब तक एक महिला मुख्यमंत्री :
प्रदेश की एक मात्र महिला मुख्यमंत्री उमा भारती थीं। उमा भारती साल 2003 में पहली बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुईं थीं। उमा भारती 8 दिसंबर 2003 से 23 अगस्त 2004 तक मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। उमा भारती ने 4 मई, 2006 को विधान सभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था।
मौका मिला तो कर के दिखाया बेहतर प्रदर्शन :
मध्यप्रदेश में बीते नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई। चुनाव में 60 प्रतिशत महिला उम्मीदवार जीत कर आई। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि, महिलाओं को जब भी मौका मिला उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता और योग्यता को साबित किया है। यह भी देखा गया है कि, चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद इन महिला प्रतिनिधियों ने जमीनी स्तर पर भी उत्कृष्ट कार्य किया है।
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