भोपाल, मध्य प्रदेश। उपचुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद अब मंत्री पद और विधानसभा अध्यक्ष को लेकर भाजपा में दावेदारी तेज हो गई है। विंध्य क्षेत्र से विधानसभा अध्यक्ष बनाये जाने की मांग उठ रही है। इस बीच प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की मांग का समर्थन किया है। वहीं कांग्रेस का कहना है महाकौशल को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।
बिसाहूलाल सिंह ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा कि हर व्यक्ति को अपने क्षेत्र से प्यार होता है। विंध्य के लोग चाहते हैं कि वहां से योग्य शख्स को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाए, मैं भी उनकी मांग का समर्थन करता हूं। आगे उन्होंने कहा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पूर्णकालिक विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचन होगा।
मंत्री विसाहूलाल सिंह की इस मांग का जबलपुर के दिग्गज नेता और भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने भी समर्थन किया है। उनका कहना है अब समय आ गया है जब भाजपा तमाम अंचलों में संतुलन बनाए क्योंकि यह संतुलन विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा के काम आएगा। विश्नोई ने कहा कि विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की मांग मैंने तीन महीने पहले भी उठाई थी। अजय विश्नोई का नाम भी विधानसभा अध्यक्ष की दौड़ में चल रहा है। इस पर विश्नोई का कहना है मैं खुद को इतने बड़े पद के लायक नहीं समझता और मैं केवल 60 दिन काम करना नहीं चाहता, बल्कि मैं साल के 365 दिन काम करने वालों में से हूं। विश्नोई का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखेंगे। यहां बता दें कि भाजपा 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी विजयी रही है। ऐसे हालात में अब भौगोलिक आधार पर राजनीतिक संतुलन बनाना भी पार्टी में अहम हो गया है। इसके लिए मंथन शुरू हो गया है। वहीं विधानसभा अध्यक्ष के लिए विंध्य और महाकौशल समेत अन्य क्षेत्रों से दावेदारी भी तेज हो गई है।
कांग्रेस विधायक ने की महाकौशल का कद बढ़ाने की मांग :
एक ओर भाजपा जहां विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस ने महाकोशल का कद बढ़ाने की मांग उठाई है। कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना का कहना है कमलनाथ सरकार ने जिस तरह से महाकौशल का कद बढ़ाया था उसी तरह भाजपा को भी इस ओर कदम आगे बढ़ाना चाहिए। वैसे भाजपा ने कभी भी इस अंचल पर विशेष गौर नहीं किया है। पिछली सरकार में अंचल का कद बढ़ा जहां मुख्यमंत्री के साथ-साथ तीन कैबिनेट मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष महाकोशल से आते थे, लेकिन इस दफा यह अंचल सूना पड़ा है।
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