स्मार्ट सिटी ने नगर निगम को हैण्डओवर की पार्किंग

आर्थिक अनियमितता करने एवं नियमों का उल्लंघन करने के चलते कंपनी का ठेका निरस्त करने के साथ बैंक गारंटी जब्त करते हुए पार्किंग नगर निगम के सुपुर्द कर दी।
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पार्किंग Manish Sharma
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ग्वालियर, मध्यप्रदेश स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शहर की 24 पार्किंगों को ठेके पर दिया गया था। डेफोडिल टेक्नोलिजिस इंडिया नामक कंपनी इन पार्किंगों का संचालन कर रही थी। लेकिन आर्थिक अनियमितता करने एवं नियमों का उल्लंघन करने के चलते स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने कंपनी का ठेका निरस्त करने के साथ बैंक गारंटी जब्त करते हुए पार्किंग नगर निगम के सुपुर्द कर दी। कंपनी ने 24 में से मात्र 12 पार्किंगों का अधिग्रहण किया था। इनका संचालन अब नगर निगम को करना है। जल्द ही नगर निगम द्वारा पार्किंगों का अधिग्रहण कर संचालन शुरू किया जाएगा। नगर निगम को कंपनी द्वारा लगाए गए सभी उपकरण एवं वाहनों को भी जब्त करना है।

नगर निगम द्वारा शहर में 24 पार्किंगों का संचालन किया जा रहा था। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत इन पार्किंगों को आधुनिक बनाना था। इसके लिए वर्ष 2017-18 में टेण्डर आयोजित किए गए। यह टेण्डर डेफोडिल टैक्नोलिजिस इंडिया नामक कंपनी को मिला। कंपनी को 6 माह में सभी पार्किंगों को आधुनिक सिस्टम पर विकसित करते हुए संचालन करना था, लेकिन कंपनी ने तीन साल में मात्र 12 पार्किंगों का अधिग्रहण किया। टेण्डर एवं अनुबंध के हिसाब से कंपनी को प्रतिमाह 8 लाख 19026 रुपए नगर निगम को देना था।

इस हिसाब से पार्किंगों से प्रति वर्ष नगर निगम को 1 करोड़ रुपए की आय होती, लेकिन स्मार्ट सिटी के अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री द्वारा की गई अनदेखी एवं लापरवाही से नगर निगम को मात्र 5 लाख रुपए ही आय हुई। पार्किंग ठेकेदार द्वारा लगातार आर्थिक अनियमिताएं की गई। अनुबंध का पालन न करते हुए ठेकेदार ने 12 पार्किंगों का संचालन करना ही बताया, जबकि कंपनी द्वारा शहर के अधिकांश हिस्से से नो पार्किंग जोन में खड़े वाहनों का उठाना शुरू किया गया। इससे अवैध वसूली चालू हो गई जबकि कंपनी को उन्हीं जगहों से वाहन उठाने थे जहां स्मार्ट पार्किंग संचालित हो रही हैं। इसमें स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की भी मिली भगत थी।

इस भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत हुई और सांसद विवेक नारायण शेजवलकर द्वारा भी पार्किंग कंपनी का ठेका खत्म करते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए गए। लेकिन स्मार्ट सिटी अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। जब सूचना के अधिकार के तहत पार्किग से संबंधित अनुबंध और ठेकेदार द्वारा किए गए कुल भुगतान की जानकारी निकालकर तथ्यों के साथ शिकायत की गई तो स्मार्ट सिटी अधिकारियों को कार्यवाही के लिए मजबूर होना पड़ा।

स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह ने पार्किंग का टेण्डर निरस्त करते हुए कंपनी को बर्खास्त कर दिया और इस संबंध में पत्र नगर निगम आयुक्त को लिखा गया। साथ ही एक पत्र और लिखा गया जिसमें बताया गया है कि कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया है इसलिए पार्किंगों को नगर निगम अपने आधिपत्य में ले ले। कंपनी द्वारा जो भी सामान पार्किग संचालन में इस्तेमाल किया जा रहा था उसका भी अधिग्रहण करना है।

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