रायसेन: कछुआ चाल से जारी ओवरब्रिज का निर्माण, इधर ग्रामीण परेशान
रायसेन, मध्यप्रदेश। वैसे तो सरकारें आती जाती रहती हैं परन्तु जो भी सत्ता पर काबिज होती है विकास की रट लगाने के साथ जनसमस्याओं के ढिंढोरा पीटती रहती है परन्तु इस सांची विश्व पर्यटक स्थल को ऐतिहासिक गुफा स्थल को जोड़ने के साथ ही लगभग 50 गांव को रेलवे गेट से छुटकारा दिलाने करोड़ों रुपए की लागत से ओवर ब्रिज निर्माण कार्य लगभग तीन साल से कछुआ गति से चलाया जा रहा है परन्तु निर्माण एजेंसी द्वारा ग्रामीणों के साथ उदयगिरि तक पहुंचने वालों को कोई डायवर्ट रोड नहीं बनाया जिससे लगातार तीन साल से लोगों को भारी समस्या से जूझना पड़ रहा है जिला प्रशासन भी सुध लेने की जरूरत नहीं समझ पा रहा है ।
जानकारी के अनुसार इस ऐतिहासिक नगरी से लगभग 50 गांव के साथ ही विश्व ऐतिहासिक उदयगिरि पर्यटक स्थल को जोड़ने के लिए सरकार ने ओवरब्रिज की मंजूरी देते हुए विधिवत रूप से निर्माण कार्य शुरू कर दिया था तब लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब रेलवे गेट के खुलने बंद होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा परन्तु शुरू में काम प्रारंभ होते ही लोगों ने सपने देखने शुरू कर दिए कि रेलवे गेट से छुटकारा मिल कर लोगों को ओवर ब्रिज की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी वरन लोगों के सपने तब चूर-चूर हो गए।
जब निर्माण शुरू हुये लगभग तीन साल का लंबा अरसा गुजर गया इतना ही नहीं इस निर्माण ने पचास गांव के हजारों किसानों मजदूरों तथा उदयगिरि पहुंचने वालों को मुसीबत में डाल दिया जिससे हर बारिश में लोगों को भारी कठिनाई का सामना तो करना ही पड़ता है बल्कि यहां से चलने वाले वाहनों के पलटी खाने तथा दलदल में फंसने से रोड जाम हो जाता है इतना ही नहीं इस रोड से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग तब और परेशान हो उठते हैं जब किसी गंभीर बीमारी से जकड़े मरीज अस्पताल पहुंचने के पहले ही दम तोड देते हैं इतना ही नहीं गर्भस्थ महिलाओं को भी ले जाने में मुसीबत उठानी पड़ती है जब उन्हें अस्पताल पहुंचाने की कवायद शुरू होती है जिससे मार्ग के बदतर हालत में ही महिलाओं को रास्ते में ही शिशुओं को जन्म देने के लिए बाध्य होना पड़ता है बल्कि कभी कभी गंभीर हालत में गर्भस्थ महिलाओं के प्राणपखेरू उड़ने के मामले भी सामने आ चुके हैं।
इस गंभीर संकट से लगातार आधा सैकड़ा से अधिक ग्रामीणों किसानों मजदूरों को समस्या से जूझना पड़ रहा है हर वर्ष प्रशासन को अवगत कराया जाता है परन्तु प्रशासन ने तो रेलवे विभाग को ही अवगत करा पाता है न ही निर्माण एजेंसी पर नकेल कस पाता है इतना ही नहीं नगरीय प्रशासन रेलवे विभाग का बहाना बना कर पल्ला झाड़ लेते हैं तो तहसीलदार कलेक्टर को सूचना देने का कहकर अपना पीछा छुड़ा लेते हैं कुछ ही दिन पूर्व नगर से गुजरने पर क्षेत्रीय सांसद रमाकांत भार्गव को भी लोगों द्वारा समस्या से अवगत कराया गया था परन्तु वह ही नेताओं वाले आश्वासन दिखवाते हैं कि तर्ज पर चलते रहते हैं निर्माण एजेंसी द्वारा ब्रिज की खुदाई करवाकर मिट्टी रोड पर डाल कर समस्या बढ़ा दी है जिससे इस मार्ग पर चलने वाले वाहनों को पलटते भी देखा जाता है बल्कि जीप कारों के साथ बाइको पर चलने वाले लोगों को फिसल ने से चोटिल भी होना पड़ता है हालांकि नियमानुसार शासन द्वारा किसी भी मुख्य मार्ग पर निर्माण शुरू करने के पूर्व डायवर्ट मार्ग बनाना होता है परन्तु यहां निर्माण एजेंसी लगातार तीन साल से कछुआ गति से तो निर्माण चला ही रही है बल्कि मिट्टी खुदाई कर सड़क पर डालकर पूरी तरह पचास गांव के किसानों मजदूरों ग्रामीणों को परेशानी में डाल दिया है इतना ही नहीं सम्बंधित न तो राष्ट्रीय राजमार्ग है, न ही रेलवे विभाग के अधिकारियों को ही इसे सुध लेने की फुर्सत है।
लोगों के सामने मात्र शासन प्रशासन को कोसने के अलावा कोई विकल्प ही नजर नहीं आ रहा है जिसका खामियाजा इस समय जब किसानों के किसानी काम चलते हैं जिससे वह भी प्रभावित होते हैं खामियाजा भुगतने पर मजबूर होना पड़ता है इन दिनों गुलगांव उदयगिरि पहुंचने के लिए रैल्वे ओवरब्रिज ने लौगो को मुश्किल में डाल रखा है हालांकि अभी तो बारिश की शुरुआत ही है लगातार भारी बारिश से लोगों को गंभीर संकट से जूझना पड़ता है ।
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