सिंगरौली, मध्यप्रदेश। गोरबी ब्लाक बी के 8 गांव के हजारों विस्थापित लोगों को कोल परिवहन की रेल लाइन के नीचे बनाया गया अंडर पास भारी परेशानी दे रहा है। करीब एक साल पहले गोरबी बी ब्लाक परियोजना की ओर से 8 गांवों के लोगों को आने जाने की सुविधा देने के लिए अंडर पास बनाया गया था मगर आज उसमें वर्षा का पानी व कीचड़ भरा है और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रकार यह अंडर पास मुसीबत बन गया और अब इसमें से निकलना मुश्किल हो गया है। कीचड़ व पानी भरा होने के कारण इस जगह से निकलने वाले लोग फिसल कर गिर जाते हैं और काफी लोग चोट का शिकार हो रहे हैं।
इस प्रकार गोरबी ब्लाक बी के विस्थापित कम्पनी की ओर से अपनी समस्या की अनदेखी का शिकार है। शिकायत है कि विस्थापितों की कोई सुध ले रहा। गोरबी ब्लॉक बी विस्थापित ग्राम एवं उनके लोगों के हितों के लिए काम का दावा करता है मगर हकीकत में विस्थापितों की लगातार अनदेखी हो रही है। विस्थापित लोग इस सम्बंध में गोरबी ब्लॉक बी के अधिकारियों को लिखित एवं मौखिक जानकारी दे चुके। इसके बाद भी गोरबी ब्लॉक बी के विस्थापित 8 गांव को अब तक नियमानुसार पूरा लाभ नहीं मिल पाया। कम्पनी के सीएसआर के तहत होने वाले कार्यों में भी भ्रष्टाचार की शिकायतों की भी कोई सुनवाई नहीं की जाती।
ऐसी ही शिकायत है कि गोरबी ब्लॉक बी के विस्थापित ग्राम पड़री से सोलंग तक सड़क के डामरीकरण में भारी भ्रष्टाचार हुआ। गांव वालों ने एनसीएल ब्लॉक बी के ऑफिस जाकर इसकी शिकायत की थी पर उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी प्रकार ग्राम नौढ़िया में अंडर पास के निर्माण में भी गड़बड़ी की आशंका जताई गई है। यह अंडर पास विस्थापित 6 गांव के लोगों को मुख्य मार्ग व बाजार से जोड़ता है। मगर इसमें पानी निकलने की कोई व्यवस्था नहीं की गई और इस काम में भारी त्रुटि व अनियमितता की गई। इसलिए इस जगह से आने जाने में गांव वालों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है मगर इस समस्या पर न प्रशासन व ना ही एनसीएल प्रबंधन ध्यान दे रहे हैं।
शिकायत है कि अपने हितों के लिए विस्थापित गांव के लोग आवाज उठाते हैं तो उन पर प्रशासन द्वारा कई मुकदमे लाद दिए जाते हैं। ऐसी ही घटना नीलकंठ कंपनी के मामले में हुई जिसमें विस्थापितों के लिए आवाज उठाने वाले भास्कर मिश्रा व उनके सहयोगियों व विस्थापित गांव के लोगों पर मुकदमा करवा दिया गया। इसमें एनसीएल प्रबंधन व प्रशासन की काफी मिलीभगत भी रही। विस्थापितों का कहना है कि कांग्रेस से होने के कारण भास्कर मिश्रा की नीलकंठ कंपनी व एनसीएल ने कोई सुनवाई नहीं की। जबकि वह केवल विस्थापित हितों की बात कर रहे थे। अनदेखी का नमूना यह है कि 1992 में विस्थापितों को नौकरी देने का कार्य आज तक गोरबी ब्लॉक बी द्वारा पूर्ण नहीं किया गया है। इन समस्याओं से परेशान विस्थापित अपने आप को निर्बल मान जी रहे हैं। विस्थापित गांवों में एनसीएल के कारण जल स्तर लगभग समाप्त हो गया व कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। एनसीएल का गंदा पानी पर्यावरण को प्रदूषित करता है तथा डस्ट और ब्लास्टिंग का दंश विस्थापित गांव के लोग झेल रहे हैं। इस प्रकार सत्ता पक्ष कभी विस्थापितों की आवाज बनने का प्रयास नहीं करता। यह हमेशा से चला आ रहा है। विस्थापितों के मार्ग को अवरुद्ध करना या उस में बाधा डालना गैर कानूनी श्रेणी में आता है पर एनसीएल ब्लॉक बी के इंजीनियरों पर कौन मामला पंजीबद्ध कराएगा और विस्थापितों को आवागमन में परेशानी से कौन निजात दिलाएगा। यह बड़ा सवाल है। इस प्रकार ग्राम नौढ़िया में निर्मित अंडर पास में पानी रूक जाने के कारण लोगों के निकलने का कोई मार्ग नहीं है तो साथ ही सड़क पर चारों तरफ मिट्टी हो गई। इस के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विस्थापित गांवों के परेशान लोगों ने एनसीएल ब्लॉक बी अफसरों से समस्या से छुटकारा देने की मांग की है तथा प्रशासन से मामले में संज्ञान लेकर अंडर पास निर्माण में हुई गड़बड़ी की जांच कर कार्यवाही की मांग की गई है। विस्थापितों ने प्रशासन व एनसीएल प्रबंधन को कार्रवाई नहीं किए जाने पर जन आन्दोलन की चेतावनी भी दी है।
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