अवैध उत्खनन करने वाले माफियाओं के हौसले बुलंद
राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के सिंगरौली में पूर्व सांसद और कांग्रेस पार्टी के नेता मानिक सिंह भी पंचायती रेत उत्खनन की दौड़ में शामिल हो गए हैं।पूर्व सांसद ने लगातार कई महीनों की कड़ी मशक्कत के बाद यह खदान हासिल की है नेता जी अकेले नहीं है इस कार्य में उनके साथ सत्ताधारी पार्टी के बड़े नेताओं के संरक्षण में कार्य की शुरुआत करने जा रहे हैं। बीते दिन सिंह रेत खदान पहुंचे थे और उनके साथ कई लोग भी दिखे।
20 खदानों की है स्वीकृति :
विदित हो कि मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में पंचायतों को लगभग 20 रेत खदानों की स्वीकृति है जिसमें पंचायतों के द्वारा रेत निकासी की जानी है पर जमीनी हकीकत यह है कि रेत निकासी में लगे कारोबारियों की चाँदी हो गई है। जानकारों की मानें तो इस रेत उत्खनन में एक बड़ा गिरोह संलिप्त है जिसे राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है।
संगठित गिरोह करता है काम :
रेत उत्खनन की लीज भले ही ग्राम पंचायत के नाम पर जारी किया गया है लेकिन ग्राम पंचायत के नाम पर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त सफेदपोश रसूखदार लोग रेत उत्खनन एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का कार्य कर रहे हैं ग्राम पंचायत मात्र एक मोहरा के रूप में काम कर रही है। खनिज विभाग सहित जो भी अधिकारी हैं जो इस अवैध रेत उत्खनन को लगाम लगा सकते हैं वह भी राजनीतिक संरक्षण और मोटी रकम के लेन-देन के कारण रेत माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
खाना-पूर्ति के लिए होती है कार्यवाही कभी-कभार :
प्रशासनिक अधिकारी एवं खनिज विभाग खाना पूर्ति के लिए एक-दो ट्रैक्टर पर कार्यवाही करता है और कार्यवाही उसी के ऊपर की जाती है जो अपने घर के लिए रेत लेकर आते हैं या ग्राम पंचायत एवं निजी निर्माण में उपयोग करने के लिए रेत लेकर आते हैं ।
सीमावर्ती उत्तर प्रदेश में भेजी जा रही है रेत :
अवैध रुप से रोजाना डंपर में लोड करके सैकड़ों गाड़ी सीमावर्ती क्षेत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश में खपायी जा रही है। आपको बताते चलें कि सीमा को पार करने के लिए रेत माफियाओं ने बकायदा हर जगह मोटी रकम महीने की सांठगांठ कर बांध रखी है और एक बार गाड़ी यूपी में दाखिल हुई तो फिर पूछने वाला भी कोई नहीं है पड़ोसी राज्य में रेत की बढ़ती कीमत व हाथों-हाथ बिकने वाली रेत इन दिनों लोगों के लिए सबसे अच्छा व्यवसाय बना हुआ है।
बड़े नेताओं की भूमिका हैं संदिग्ध :
रेत के हो रहे अवैध कारोबार में जहां पर शासन-प्रशासन एवं राज्य लेवल के बड़े नेताओं की भूमिका संदिग्ध हैं वहीं पर ग्रामीणों ने बताया कि रेत माफियाओं लगातार गुंडागर्दी के दम पर ग्रामीणों को डराया धमकाया जाता है तथा पत्रकारों एवं स्थानीय लोगों को मुँह बंद रखने की हिदायत दी जाती है लगातार रेत माफियाओं के बढ़ रहे वर्चस्व से शासन-प्रशासन की मिलीभगत जाहिर है क्योंकि रोजाना लाखों रुपए की रेत की तस्करी के पीछे किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले बुलंद हैं। स्थानीय सफेदपोश के संरक्षण में रसूखदार व्यक्ति शामिल हैं।
सेवा संस्थान की आड़ में भी हो रहा उत्खनन :
जिले में संचालित बजरंगी सेवा संस्थान के सुमंत बैस नाम के व्यक्ति इस कार्य में लिप्त पाए गए, जिस पर खनिज विभाग के द्वारा ट्रैक्टर को पकड़ा गया था और लाखों रुपये का जुर्माना भी वसूला गया था उक्त कार्यवाही के बाद पुनः अवैध रेत खनन की कार्यवाही के दौरान पकड़ा गया है। लगातार अवैध उत्खनन पर पकड़े जाने के बाद भी माफियाओं के हौसले बुलंद हैं ।
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