भारत को राम ने उत्तर-दक्षिण, कृष्ण ने पूरब-पश्चिम और आदि गुरु शंकराचार्य ने चारों दिशाओं से जोड़ा- CM चौहान
हाइलाइट्स :
अद्वैत लोक के शिलान्यास के अवसर पर आयोजित ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम।
सीएम ने कहा, मनुष्य हो या पशु सभी में है एक ही चेतना।
सीएम ने संतों से हर-घर शंकर, घर-घर शंकर का प्रचार करने का निवेदन किया।
आने वाली पीढ़ियां अद्वैत दर्शन जाने इसके लिए बनाया जा रहा अद्वैत लोक।
भोपाल, मध्यप्रदेश। भगवान राम ने भारत को उत्तर-दक्षिण से जोड़ा, कृष्ण ने भारत को पूरब-पश्चिम से जोड़ा वहीं आदि गुरु शंकराचार्य ने भारत को उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम चारों दिशाओं से जोड़ा। यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिद्धवरकूट, ओंकारेश्वर में अद्वैत लोक के शिलान्यास के अवसर पर आयोजित 'ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम' में कही। इस कार्यक्रम में सीएम चौहान ने संतों, मनीषियों व विद्वानों के साथ युवा जागरण शिविरों पर आधारित 'अद्वैत युवा जागरण शिविर' और 'एकात्म धाम' व 'स्वप्न से शिल्प तक' पुस्तकों का विमोचन किया और आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
सीएम ने ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम में कहा, आज जो हो रहा है उसमें लौकिक कुछ नहीं सब कुछ अलौकिक है। यह कार्य कोई व्यक्ति या शासन नहीं कर रहा सब कुछ आदि गुरु शंकराचार्य की इच्छा से हो रहा है। आज आचार्य शंकर का जन्म पुनः धरती पर हुआ है। दुनिया में सभी समस्या का हल वेदांत के अद्वैत दर्शन में है। अगर आदि गुरु शंकराचार्य न होते तो भारत नहीं होता। भगवान राम ने भारत को उत्तर-दक्षिण से जोड़ा, कृष्ण ने भारत को पूरब-पश्चिम से जोड़ा। आदि शंकराचार्य ने भारत को उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम चारों दिशाओं से जोड़ा। विश्व के कल्याण की मंगल कामना करने वाले भारत में सभी के सुखी हों, निरोगी हों और सभी का कल्याण हो ऐसी कामना की जाती है। सभी में एक ही चेतना है। हम एक दुसरे के दुश्मन नहीं हो सकते। भगवान के 10 में से 3 अवतार पशु हैं। इसका सन्देश यह है कि, मनुष्य हो या पशु सभी में एक ही चेतना है।
आने वाली पीढ़ियां अद्वैत दर्शन को जाने इसके लिए अद्वैत लोक:
ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने आगे कहा कि, नदियों, पर्वत, पहाड़ों में सभी में एक ही सत्ता है। यह भाव अगर किसी के मन में आ जाए तो युद्ध ही नहीं होगा। मैं अंतरात्मा से मानता हूँ कि, शांति के पथ का दिग्दर्शन कोई कर सकता है तो वो अद्वैत वेदांत ही है। आचार्य शंकराचार्य जिनके कारण हम हैं आज उनकी प्रतिमा स्थापित की गई। एकात्मता का सन्देश देने वाली इस मूर्ती को देख लग रहा था जैसे आचार्य स्वयं हम सभी को आशीर्वाद दे रहे हों। आने वाली पीढ़ियां अद्वैत दर्शन को जाने इसके लिए यहाँ अद्वैत लोक बनाया जा रहा है। ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत संस्थान भी बनाया जा रहा है। अनेकों दर्शकों ने अद्वैतवाद को श्रेष्ठ माना है। एकात्म धाम में गुरुकुल भी बनाया जा रहा है जहां लोग आकर अद्वैत वाद सीखेंगे।
हर-घर शंकर, घर-घर शंकर का प्रचार:
सीएम ने संतों से हर-घर शंकर, घर-घर शंकर का प्रचार करने का निवेदन किया। उन्होंने कहा लोगों को अद्वैत वाद से जोड़ने के लिए संत एक-एक जिले का चयन करें। सीएम ने कहा, यह कोई कर्मकांड नहीं है। यहाँ जो कुछ हो रहा है शंकराचार्य की सहमति से हो रहा है। एकात्म लोक न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को एकत्मता का सन्देश देगा।
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