श्योपुर आयुर्वेद विभाग में स्टॉफ की कमी, लोगों को नहीं मिल रहा समुचित इलाज

अंग्रेजी दवाईयों से परेशान लोग फिर से आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथी के प्रति आकर्षित तो हो रहे हैं, लेकिन ऐसे लोगों की अपेक्षाएं पूरी करने के लिए आयुर्वेद विभाग के पास पर्याप्त स्टॉफ नहीं है।
आयुर्वेद विभाग में लोगों को नहीं मिल रहा समुचित इलाज
आयुर्वेद विभाग में लोगों को नहीं मिल रहा समुचित इलाज श्योपुर संवाददाता
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श्योपुर मध्यप्रदेश। अंग्रेजी दवाईयां खा-खाकर भी रोग ठीक नहीं होने से परेशान लोग फिर से आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथी के प्रति आकर्षित तो हो रहे हैं, लेकिन ऐसे लोगों की अपेक्षाएं पूरी करने के लिए आयुर्वेद विभाग के पास पर्याप्त स्टॉफ नहीं है। आश्चर्य की बात तो यह है जिले के 15 आयुर्वेदिक औषधालयों,2 यूनानी एवं 2 होम्योपैथी औषधालयों के लिए 71 का स्टॉफ स्वीकृत हैं, किन्तु वर्तमान में कार्यरत महज 50 प्रतिशत स्टॉफ से भी कम ही है। जिस कारण आयुर्वेदिक अस्पताल खोलने की शासन की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है।

वर्तमान में हजारों लोग ऐसे हैं, जिन्हें अंग्रेजी दवाई सूट नहीं करती है और वे देशी दवा लेकर अपने शरीर को स्वस्थ्य रखे हुए हैं। लेकिन ऐसे मरीजों को आयुर्वेदिक अस्पतालों में समुचित एवं समय से इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह स्टॉफ का टोटा है। पर्याप्त स्टॉफ नहीं होने की वजह से कई आयुर्वेदिक औषधालयों के ताले नहीं खुलने की शिकायत ग्रामीणों द्वारा अक्सर मीडिया सहित विभागीय अधिकारियों से की जाती रही है। लेकिन विभागीय अफसर भी यह सब जानते हुए स्टॉफ की किल्लत के कारण खामोश बने रहते हैं।

सूत्रों के अनुसार आयुर्वेदिक विभाग में वर्षों पहले शासन ने श्योपुर जिले में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक चिकित्सकों, आयुर्वेदिक कंपाउण्डर, होम्योपैथिक कंपाउण्डर, यूनानी कंपाउण्डर, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, दवासाजों के 71 पद स्वीकृत किए थे। यह तब की स्थिति है, जब जिले की जनसंख्या काफी कम थी। वर्तमान में जिले की संख्या बढकर दोगुनी हो गई है, लेकिन स्वीकृत पदों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।

रोचक तथ्य तो यह है कि पदों में बढ़ोतरी तो दूर स्वीकृत पदों में से 40 पद आज भी रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में उपलब्ध स्टॉफ मरीजों को कितनी चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराता होगा? इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ.अशोक कुमार चौरसिया कहते हैं कि भले ही स्वीकृत स्टॉफ से कम अमला पदस्थ हो। लेकिन इसके बाद भी पंजीकृत मरीजों को पूरा उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।

स्वीकृत पदों को भरने में गंभीर नहीं प्रशासन

राज्य सरकार पुरानी देशी पद्धति से लोगों को उपचार मुहैया कराने के लिए भले ही आयुर्वेद को बढावा देने का ढिंढोरा पीटती हो, लेकिन इस क्षेत्र में स्टॉफ की जबरदस्त किल्लत शासन की इस मंशा पर संदेह पैदा करती है। विडंबना की बात तो यह है कि सरकार का स्वीकृत पदों को भरने की दिशा में कोई ध्यान नहीं है। परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित कई आयुर्वेद औषधालयों में ताले पड़े हुए हैं। नागरिकों का कहना है कि सरकार को आयुर्वेद को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए नई भर्ती करना चाहिए, ताकि खाली पड़े पदों को भरा जा सके।

50 प्रतिशत स्टॉफ से भी कम कार्यरत

इस मामले में श्योपुर के जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. गुरु प्रसाद वर्मा का कहना है कि, वर्तमान में कुल स्वीकृत स्टॉफ के विरुद्ध 50 प्रतिशत स्टॉफ से भी कम कार्यरत हैं। स्वीकृत पदों को भरने के लिए समय-समय पर विभागीय अफसरों को पत्र व्यवहार किया जाता रहा है। चूंकि यह राज्य स्तरीय मामला है इसलिए जिला स्तर पर इन पदों को भरा नहीं जा सकता है। वैसे जरूरतमंद लोगों को उपचार मुहैया कराने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी जा रही है।

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