हाइलाइट्स –
जियो टैगिंग का गोरखधंधा
कुआं, आवास निर्माण में धांधली
जमीन किसी की, फोटो किसी और का
राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में जियो टैगिंग के जरिये आम ग्रामीण जनता के हितों से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिले में एक कुआं और आवास निर्माण में इस कदर धांधली उजागर हुई है कि, पीढ़ियों पुराना कुआं अब राजस्व के रिकॉर्ड से ही गायब हो चुका है। जानिये राज की बात राज एक्सप्रेस के साथ....
कपिल धारा योजना में बंदरबांट –
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (National Rural Employment Guarantee Act, 2005) के तहत गारंटी के साथ धोखाधड़ी करने का यह मामला शाजापुर जिले की ग्राम पंचायत लसुल्डिया जगमाल का है।
यहां पुस्तैनी कुएं में कुएं के वास्तविक अधिकारी को जानकारी दिए बगैर महज पक्की सीमेंटेड बाउंड्री बनाकर जिला प्रशासन को गलत सूचना प्रदान कर दी गई।
यह है मामला –
दरअसल ग्राम पंचायत लसुल्डिया जगमाल के पिपल्या नौलाय में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत कपिल धारा योजना के अंतर्गत कुआं निर्माण का कार्य स्वीकृत किया गया था। इस कार्य की स्वीकृति का लाभ हितग्राही जितेंद्र सिंह पिता रामचंद्र को दिया गया जिसका यह बोर्ड गवाह है।
बोर्ड पर अंकित है –
योजना से जुड़े हितग्राही और कार्य के बारे में बोर्ड पर जानकारी दर्ज की गई है कि कपिल धारा योजना के तहत कुआं निर्माण साल 2019 में किया गया है जिसका हितग्राही जितेंद्र सिंह है।
संयुक्त परिवार का अधिकार –
पिपल्या नौलाय गांव के जिस कुएं की बात की जा रही है वह सालों से संयुक्त परिवार का हिस्सा रहा है। पीढ़ियों से संयुक्त परिवार के सदस्य अपने खेतों में आपसी समन्वय के आधार पर कुएं के पानी से सिंचाई करते आ रहे हैं।
हालांकि गोपाल का आरोप है परिवार के सदस्यों के बीच जब जमीन का सहमति के आधार पर बंटवारा हुआ, तो यह कुआं परिवार के सदस्य गोपाल सिंह भील के हिस्से में आया। अब कुआं था गोपाल की जमीन पर लेकिन इस कुएं को साल 2019 में बना होना बताने की साजिश रची गई। इस साजिश में योजना का लाभ रिश्तेदार भाई जितेंद्र सिंह को प्रदान कर दिया गया।
हक से वंचित कर दिया –
इस बात की जानकारी लगने के बाद से ही कुएं का असल मालिक गोपाल सिंह अपने हक को पाने के लिए तमाम विभागों में इस बात की शिकायत कर चुका है लेकिन साल 2021 में अब तक तो उसकी शिकायत पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है।
गोपाल का आरोप है कि उसके कुएं को ग्राम के रोजगार सहायक राहुल शर्मा जिसके पास ग्राम पंचायत सचिव पद का प्रभार भी है, ने रिकॉर्ड में धोखाधड़ी कर न केवल रिश्ते के भाई जितेंद्र सिंह के नाम दर्शा दिया, बल्कि जिला प्रशासन के साथ भी धोखाधड़ी की।
शासकीय प्रक्रिया में धांधली के कारण गोपाल अब अपने हक की सरकारी योजनाओँ का लाभ पाने से वंचित हो गया है, क्योंकि एक तो उसके कुएं पर किसी दूसरे को योजना का लाभ दे गया, दूसरा अब कागजों पर भी कुआं हाथ से सरकता देख उसे दूसरी योजनाओँ का भी लाभ नहीं मिल पाएगा, क्योंकि कुआं न होने पर जमीन शासकीय रिकॉर्ड में असिंचित मानी जाएगी।
नंबर का बंदरबांट -
गोपाल ने जमीन के संबंध में जो दस्तावेज मुहैया कराए हैं उसके मुताबिक 757 नंबर की जमीन जितेंद्र की है, कालू सिंह के नाम 756 नंबर की जमीन है। इस जमीन को जितेंद्र ने कालू सिंह से खरीदने की जानकारी दी है, जिसका (जमीन) नामांतरण नहीं हुआ और फिर भी जितेंद्र को कपिल धारा योजना का लाभ दे दिया गया।
इसी तरह गोपाल के दस्तावेज कहते हैं कि गोपाल की 755-764 नंबर की जमीन पर पहले प्रदान की गई राजस्व नकल के मुताबिक कुआं मौजूद था, लेकिन अब मामला तूल पकड़ने के बाद कागजों पर कुआं ही गायब कर दिया गया।
गोपाल का कहना है कि शिकायत के बाद हाल ही में जांच करने आए पटवारी ने सरकारी जमीन को मिलाकर उसकी जमीन की नाप-जोख की और कुएं को उसकी दूसरी जमीन क्रमांक पर दर्शाने की जानकारी दी है। जानिये ऐसा क्यों किया गया।
राज की बात -
गोपाल का कहना है कि पहले राजस्व रिकॉर्ड में 755 नंबर जमीन पर कुआं होना दर्शाया गया था। अब जांच में रोजगार सहायक को फंसता देख वर्तमान पटवारी अतुल तिवारी ने हाल ही में निरीक्षण के दौरान कुआं ही गायब कर दिया।
गोपाल के मुताबिक पटवारी के निरीक्षण में जो नाप तौल हुई वो भी गलत नियमों के आधार पर। इसमें सरकारी जमीन से जमीन नाप कर कुएं को गोपाल की दूसरी जमीन क्रमांक 764 पर सरका दिया गया।
गोपाल का आरोप है कि यह बंदरबांट इसलिए की जा रही है क्योंकि उसने जमीन क्रमांक 755 के पुराने रिकॉर्ड के आधार पर कुआं निर्माण में धांधली की शिकायत वरिष्ठ विभाग को की थी। अब जांच होगी तो 755 नंबर पर जब कुआं ही नहीं रहेगा तो जांच प्रभावित हो जाएगी।
गोपाल के मुताबिक न केवल कुआं उसका है, बल्कि जिस जमीन पर कपिल धारा योजना में कुआं बनाने की अनुमति दी गई वहां भौतिक रूप से कोई कुआं है ही नहीं।
गोपाल की मानें तो कपिल धारा योजना में कुआं बनाने की स्वीकृति उसके रिश्तेदार जितेंद्र को जिस जमीन पर दी गई थी वहां कुआं न होने के कारण ही उसके (गोपाल के) पुराने कुएं को नव निर्मित बताकर कपिल धारा योजना के लिए कागजों में जितेंद्र के नाम दर्शा दिया गया।
गोपाल के गंभीर आरोप –
गोपाल सिंह का कहना है कि शासकीय योजना में निर्माण कार्य प्रक्रिया के बारे में फोटो आदि के जरिये जियो टैगिंग के माध्यम से सरकार को कार्य की प्रगति रिपोर्ट पेश की जाती है। इस रिपोर्ट को शासन को प्रस्तुत करते समय पुराने कुएं की फोटो जियो टैगिंग में लगाकर नया खनन होना बता दिया गया।
गोपाल का कहना है कि उसके द्वारा फर्जी मामले की शिकायत करने के कारण रोजगार सहायक राहुल शर्मा और योजना का हितग्राही उसका रिश्तेदार भाई जितेंद्र अब पुलिस चौकी में झूठी शिकायत कर उस पर दबाव बना रहे हैं।
किसने क्या कहा –
इस योजना के बारे में रिश्ते-नातेदारों और अधिकारियों से जब चर्चा की तो तब कई रोचक जानकारियां निकलकर सामने आईँ।
यह बोला हितग्राही ने -
हितग्राही जितेंद्र सिंह ने जमीन और कुआं खुद का होना बताकर धोखाधड़ी की बात को गलत करार दिया। जितेंद्र का कहना है कि यह जमीन उसने कालू सिंह से खरीदी है, रजिस्ट्री हो गई है हालांकि इस जमीन का नामांतरण अभी उसके नाम नहीं हुआ है क्योंकि इस पर कालू सिंह द्वारा केसीसी पर लोन लिया गया था!
जितेंद्र का कहना है कि रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत कपिल धारा योजना में यह नया कुआं (लोगों के मुताबिक कुआं सालों पुराना है) बना है। न केवल कुएं की खुदाई कराई गई है बल्कि उसको सीमेंट से दीवार बनाकर मजबूती भी प्रदान की गई है। जितेंद्र का दावा है यह कुआं दो सालों में बन गया है। जब पता किया कि जितेंद्र की बात में कितना दम है, तो स्थिति उलट नजर आई।
खुद परिजन ने स्वीकारा -
जिस हितग्राही जितेंद्र पर धोखाधड़ी कर कपिल धारा योजना का लाभ लेने का आरोप लगा है और आरोपी जितेंद्र जिस कुएं का निर्माण दो साल पहले होना बता रहा है, स्वयं उसके पिता रामचंद्र भील ने उसके दावे की कलई खोल कर रख दी।
जितेंद्र के पिता का कहना है कि यह कुआं सालों पुराना है, साल 2019 में इसका निर्माण होने की बात गलत है। पिता ने जब यह सच स्वीकार किया तो बेटा अपने पिता को कैमरे के सामने ही चुप रहने का दबाव बनाने लगा।
हालांकि इस बारे में जब पड़ताल की गई तो लगभग 60 वर्षीय ग्राम कोटवार हरि सिंह ने बताया कि वो इस कुएं को अपने बचपन से देखते आए हैं। साल 2019 में कुएं का निर्माण होने की जानकारी क्यों दी गई यह उसकी समझ से परे है।
गांव में होने वाले सरकारी निर्माण कार्यों में मौका स्थिति की जानकारी जुटाते समय ग्राम पंचायत सचिव आदि के द्वारा मुझे कोई सूचना नहीं दी जाती है। जिस कुएं पर कपिल धारा योजना का लाभ हितग्राही जितेंद्र सिंह को प्रदान किया गया है, इसकी जानकारी जुटाते समय भी मैं उपस्थित नहीं था।
हरि सिंह, ग्राम कोटवार, ग्राम पंचायत, लसुल्डिया जगमाल, पिपल्या नौलाय, जिला शाजापुर
Geo Tagging पर सवाल -
तमाम आरोपों से सवाल उठ रहे हैं कि क्या बगैर शासकीय नियमों को पूरा किये जितेंद्र सिंह को ग्राम पंचायत के नुमाइंदों ने गलत तरीके से योजना का लाभ दे दिया? इस बंदरबांट में पुराने ग्राम सचिव भगवान सिंह और पटवारी संजय गोठी की भूमिका भी शक के दायरे में है।
ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक एवं मौजूदा प्रभारी सचिव राहुल शर्मा पर ग्राम पंचायत में Geo Tagging के जरिये धांधली के कई गंभीर आरोप लगे हैं। कुएं का यह एक मामला ही नहीं बल्कि आवास निर्माण में भी व्यापक तौर पर धांधली हुई है। बानगी देखें।
किसी दूसरे के मकान की तस्वीरें -
दरअसल जिस मकान के लिए मादूजी (MP4698580) को आवास निर्माण के लिए लोन स्वीकृत किया गया था उसका निधन हो चुका है। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि मृतक के बेटे धुलाजी के साथ सांठगांठ कर रोजगार सहायक एवं ग्राम पंचायत के प्रभारी सचिव ने आवास निर्माण किश्त गलत तरीके से निकाल ली।
ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन पर मकान बना ही नहीं बल्कि किसी और के बने हुए मकान की तस्वीरें लगाकर जियो टैगिंग में गलत जानकारी दी गई और लोन की राशि का आहरण कर लिया गया।
अधिकारियों का कहना –
इस बाबत जब मोहन बड़ोदिया जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी विष्णु कांता गुप्ता से संपर्क साधा गया तो उन्होंने स्वयं को कोरोना वायरस पीड़ित होना बता कर चर्चा करने में असमर्थता व्यक्त की।
हालांकि कोरोना क्वारंटाइन से जूझ रहीं पीड़ित सीईओ इस बीच आदर्श जनपद पंचायत का दर्जा मिलने से संबंधित मीटिंग में जरूर पहुंचीं, कुछ देर रुकीं फिर घर जाकर क्वारंटीन हो गईँ।
जिला पंचायत मुख्य कार्य पालन अधिकारी मिशा सिंह ने मामले में शिकायत मिलने और उस के बारे में जांच जारी होने की जानकारी दी है। राज एक्सप्रेस द्वारा ग्राम पंचायत में कई और गड़बड़ियों के बारे में अवगत कराए जाने पर उन्होंने पूर्व से लंबित संबंधित जांच प्रतिवेदन में बताई गई सूचना को जुड़वाने की राय दी।
इन जानकारियों को जांच प्रतिवेदन में जुड़वाए हुए एक सप्ताह से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन कार्रवाई की प्रगति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही। ऐसा इसलिए क्योंकि लॉक डाउन फिर से लागू हो चुका है।
यह बात अलग है कि विभाग की लचर कार्रवाई का फायदा उठाकर लॉकडाउन में शिकायतकर्ता गोपाल पर शिकायत वापस लेने का पर्याप्त दबाव जरूर बनाया जा रहा है। रोजगार सहायक एवं ग्राम पंचायत के प्रभारी सचिव राहुल शर्मा पर जियो टैगिंग में घपले के लगे तमाम आरोपों के बारे में देखिये हमारे वीडियो जियो टैगिंग का गोरखधंधा; Geo Tagging ka Gorakhdhandha में -
विभाग की सुस्त कार्य प्रणाली से अंदाज लगाना आसान है कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद ही मामले का निराकरण संभव हो पाएगा, तब तक आरोपी वर्ग के लिए बचने के रास्ते एक तरह से खुले रहेंगे।
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