रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन करते मजदूर
रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन करते मजदूरराज एक्सप्रेस, संवाददाता

Shahdol : सुस्त प्रशासन व बसाढ़ नदी में खनिज माफिया का डेरा

शहडोल, मध्यप्रदेश : दर्जनों की संख्या में मजदूर पूरे दिन निकालते हैं रेत। स्थानीय पंचायतों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में विक्रय।
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शहडोल मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर उमरिया व शहडोल की सीमा क्षेत्र में बसे ग्राम पहड़िया से होकर गुजरने वाली बसाढ़ नदी में खनिज माफिया ने डेरा डाल रखा है, प्रतिदिन 2 से 3 दर्जन ट्रैक्टर रेत का अवैध उत्खनन करने में लगी हुई है, उमरिया मुख्यालय से दूर होने के कारण जिम्मेदार यहां नहीं पहुंच पाते, जिसका फायदा उठाया जा रहा है।

शहडोल, मध्यप्रदेश। मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पहड़िया से होकर गुजरने वाली बसाढ़ नदी इन दिनों खनिज माफियाओं की पहली पसंद बनी हुई है, स्थानीय पंचायतों के अलावा आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में रेत की खपत इसी नदी से पूरी हो रही है, शासन ने शहडोल और उमरिया में जिन कंपनियों को रेत का वैध ठेका दिया हुआ है, इस क्षेत्र से उन वैध खदानों की दूरी के कारण यहां पहुंचते-पहुंचते रेत की कीमत बढ़ जाती है, वहीं स्थानीय स्तर पर निकाली गई रेत की लागत व मूल्य कम होने के कारण बीते कुछ सप्ताहों से यहां रेत का अवैध उत्खनन और बिक्री उफान पर है।

खनिज विभाग को खबर नहीं :

जिस स्थान से रेत निकाली जा रही है, बसाढ़ नदी का वह घाट भले ही मुख्यालय और यहां के सोहागपुर थाने से महज 20 से 25 मिनट की दूरी पर हो, लेकिन यह क्षेत्र उमरिया जिले में आता है, जिस कारण यहां निगरानी और कार्यवाही का जिम्मा उमरिया खनिज व राजस्व विभाग को है, हालांकि जिस स्थान से रेत निकाली जा रही है, वहां से घुनघुटी चौकी की दूरी महज 12 से 15 किलोमीटर है, इस संदर्भ में उमरिया मुख्यालय स्थित खनिज विभाग को अवैध खनन की जानकारी तक नहीं है।

खड़े हो रहे सवाल :

बसाढ़ नदी से ट्रैक्टरों के माध्यम से अवैध रेत का उत्खनन कर परिवहन का कार्य बेखौफ कर रहे हैं। रेत माफिया लोग अब गुंडागर्दी, दादागिरी जैसे कार्य भी करने लगे हैं। ऐसे रेत माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। खनिज विभाग सहित राजस्व विभाग की उदासीनता के चलते रेत माफियाओं ने नदी का स्वरूप बिगाड़ दिया है, लेकिन जिम्मेदार कभी कार्यवाही की जहमत नहीं उठा पा रहे हैं। चर्चा है कि भ्रमण के नाम पर हर माह विभाग द्वारा हजारों रूपये का डीजल फूंक दिया जाता है, लेकिन रेत की हो रही चोरी अब उनके कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करने लगी है।

ग्राम पंचायतों में खप रही चोरी की रेत :

बसाढ़ नदी से निकलने वाली रेत जहां एक ओर खनिज विभाग को कटघरे में खड़ा कर रही है, वहीं पंचायत के होने वाले निर्माण कार्याे में चोरी की रेत खप रही है, मजे की बात तो यह है कि खनिज विभाग द्वारा आज तक जांच न तो खनिज माफियाओं पर कार्यवाही की गई और न ही कभी पंचायतों में लगने वाली रेत की रॉयल्टी की ही जांच की। चर्चा है कि अगर इस मामले में पंचायतों से रॉयल्टी की मांग कर ली जाये तो, रेत के अवैध कारोबार से खुलासा हो सकता है।

इनका कहना है :

मामला आपके माध्यम से संज्ञान में आया है, जल्द ही कार्रवाई की जायेगी।

सुश्री फरहत जहां, जिला खनिज अधिकारी, उमरिया

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