शहडोल : जेल प्रबंधन की रंगदारी से परेशान कैदी

शहडोल, मध्यप्रदेश : कैदी को धीरज तिवारी और छत्रपाल के द्वारा दबाव दिया जाता है कि काम नहीं करना है तो, साहब को 10000 या 20000 देना होगा।
जेल प्रबंधन की रंगदारी से परेशान कैदी
जेल प्रबंधन की रंगदारी से परेशान कैदीSantosh Tandon
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शहडोल, मध्यप्रदेश। जिला जेल में प्रवेश पर हवाला बंदी हो या सजा पाया बंदी मुलाकात के समय कैदी धीरज तिवारी, कैदी छत्रपाल सिंह के द्वारा नये बंदी से मारपीट की जाती है ताकि बंदियों में भय व्याप्त हो, भोपाल निवासी अभिषेक कुनवाल ने आरोप लगाया है कि नये बंदियों को बैरकों से निकाल कर जेल परिसर के अंदर झाडू, पोछा, सफाई एवं शौचालय साफ करवाया जाता है, मना करने पर कैदी धीरज तिवारी, छत्रपाल के द्वारा बंदियों के साथ मारपीट की जाती है और काम कराया जाता है, तीसरे दिन कैदी को धीरज तिवारी और छत्रपाल के द्वारा दबाव दिया जाता है कि काम नहीं करना है तो, साहब को 10000 या 20000 देना होगा।

खाते में भी लेते रूपया :

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि बंदी डर कर अपने घर का नम्बर धीरज को देते हैं, उसके बाद धीरज उनके घर पर फ़ोन करवा कर मुलाकात में बुलवाते हैं और मुलाकात खिड़की से पैसे लेते हैं, तब उनका काम छुड़वाया जाता है, यदि बंदी के परिजन मुलाकात में नहीं आ पाते तो , कैदी धीरज तिवारी उनकी बात टेलीफ़ोन से करवा कर सिपाहियों के संबंधित लोगों के खाते में रकम मंगाया जाती है।

हर नशे का दाम तय :

मुलाकात में महिला प्रहरी निकिता पाठक को लगाया है जो विगत 6 माह से वहीं पर कार्यरत हैं, जबकि जेल विभाग भोपाल द्वारा निर्देश हैं कि हर माह ड्यूटी बदल दी जाये, परन्तु जेल प्रशासन द्वारा अपने अवैध कार्यो को संचालित करवाने के लिए प्रहरी को यही रखा है, मुलाकात खिड़की से जेल प्रशासन के खास कैदी धीरज तिवारी और छत्रपाल को रखा गया है, जहां से बंदियों के परिजन गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, गांजा, मोबाइल मादक पदार्थ नाइट्रा, अलफज़ोलम, चरस इत्यादि सामान मुलाकात खिड़की से कैदी धीरज तिवारी और छत्रपाल को देते हैं, सभी मादक पदार्थ एवं उपकरणों की कीमत तय की गई है, जो कि खिड़की में पदस्थ महिला प्रहरी निकिता पाठक कैदी धीरज तिवारी एवं छत्रपाल सिंह तय कर रूपये एवं सामान लेकर बंदियों को उपलब्ध कराते हैं।

गेट कीपर भी लेता है कमीशन :

मेन गेट में गेट कीपरों से मिलीभगत इन दो कैदी से कर ली जाती है और फिर 2 से 6 दोपहर की ड्यूटी में बंदियों के परिजनों को फ़ोन कर सामान (झोला) बुला लिया जाता है, 500 रूपये देकर गेट कीपर परिजनों से झोला लेता है, जिसमे नमकीन, बिस्कुट एवं नशे का सामान मीट तक अंदर पहुंचा देते हैं, जिसमें कैदी धीरज और छत्रपाल द्वारा सभी कार्यो का वारा न्यारा किया जाता है।

इन्हें मिल रही व्हीआईपी सुविधा :

जिला जेल में विचाराधीन बंदी हो या सजायाफ्ता जेल प्रशासन पैसे लेकर व्हीआईपी व्यवस्था करा देते है, जैसे घर का खाना नमकीन, बिस्कुट पर्सनल सामग्री उपलब्ध करा दी जाती है, जिसका चार्ज 10000 से 20000 लिया जाता है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गांजे के आरोपी स्वाधीन खटुआ एवं दीपू सिंह को व्हीआईपी सुविधा दी जा रही है, इसी तरह पैसे लेकर धीरज तिवारी बंदियों को हॉस्पिटल में भर्ती करवा रहा है, इसके साथ पूर्णत: जेल में वसूली से व्हीआईपी सुविधाओं के लिए जेल प्रशासन कैदी धीरज के माध्यम से वसूली कराया जा रहा है, जिसकी कई बार शिकायते भी की गई, लेकिन जेल प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती।

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