समीक्षा बैठक में खुलकर सामने आई जिम्मेदार विभागों की लापरवाही
हाइलाइट्स
न तो पेड़ लगे और न ही नलकूपों का हुआ सर्वेक्षण
एनजीटी के आदेशों के बाद भी नहीं हुआ परिपालन
अदालत ने नदी किनारे दोनों ओर पेड़ लगाने के दिये थे आदेश
समीक्षा बैठक में खुलकर सामने आई जिम्मेदार विभागों की लापरवाही
राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण की नई दिल्ली स्थित मुख्य पीठ ने एक याचिका में सुनवाई के दौरान पाया था कि, प्रदेश की 22 नदियां जिनमें सोन नदी भी शामिल हैं, नदी में मिलने वाले दूषित जल के उपचार के लिए एसटीपी, वृक्षारोपण के साथ नलकूपों के सर्वेक्षण के आदेश जारी किये थे, लेकिन अभी तक जिम्मेदार विभागों ने इस मामले में कोई पहल नहीं की। मंगलवार को भोपाल में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्यालय में आयोजित हुई केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली की वीडियो कांफ्रेंस में जिम्मेदार विभागों की कारगुजारियां खुलकर सामने आईं।
एक्शन प्लान की हुई समीक्षा
व्हीसी में सीपीसीबी के अधिकारियों ने एमपीपीसीबी के अधिकारियों के साथ ही विभिन्न संभागीय कार्यालयों में पदस्थ क्षेत्रीय अधिकारियों से नदियों के संरक्षण के लिए कार्य करने के लिए बनाये गये एक्शन प्लान की समीक्षा की और कार्य की प्रगति का जायजा लिया। निर्धारित समयावधि के दौरान कार्य को पूर्ण करने के निर्देश भी जारी किये गये।
लगेगा 10 लाख प्रतिमाह हर्जाना
इस दौरान सीपीसीबी के अधिकारियों ने बताया कि, अगर कोई भी नगरीय निकाय 31 मार्च तक एसटीपी का निर्माण नहीं करती है तो, उसे एनजीटी के आदेशों के तहत 10 लाख रूपये प्रतिमाह तक का हर्जाना अदा करना होगा। वीडियो कांफ्रेंस में जल संसाधन विभाग, वन विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग व बोर्ड मुख्यालय के अधिकारी मौजूद रहे।
नपा धनपुरी ने तैयार किया रोडमैप
क्षेत्रीय कार्यालय शहडोल के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव कुमार मेहरा व वैज्ञानिक डॉ. आनंद कुमार दुबे ने व्हीसी में बताया कि, धनपुरी नगर पालिका द्वारा एसटीपी निर्माण कार्य के लिए पर्यावरण सलाहकार की नियुक्ति की जा चुकी है, पाईप लाईन बिछाने का सर्वे जारी है, स्थल का चयन होना शेष है। एसटीपी निर्माण की तकनीकी रूप रेखा, डिजाइन एवं ड्राईंग का काम पूर्ण नहीं हुआ है।
बटुरा से जरवाही तक लगने थे वृक्ष
एनजीटी ने प्रकरण की सुनवाई के दौरान सोन नदी के बटुरा घाट को सबसे प्रदूषित माना था और आदेश एसटीपी लगाने के तो दिये गये थे, साथ ही सोन नदी के दोनों किनारे पर बटुरा रोड ब्रिज से जरवाही रोड ब्रिज तक वृक्षारोपण का कार्य करने का भी आदेश पारित किया था, लेकिन सीपीसीबी के अधिकारियों ने समीक्षा के दौरान पाया कि वृक्षारोपण का कार्य अभी तक शुरू नहीं किया गया है।
नलकूपों का नहीं हुआ सर्वेक्षण
याचिका में ही एनजीटी ने केन्द्रीय भू-जल आयोग को आदेश जारी किये थे कि, सोन नदी के किनारे पूर्व में निर्मित नलकूपों की स्टडी कर एक रिपोर्ट तैयार की जाये, लेकिन समीक्षा के दौरान केन्द्रीय भू-जल आयोग के द्वारा इस काम की भी शुरूआत नहीं की गई। प्रदेश सरकार ने 15 करोड़ रूपये की बैंक गारंटी केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली में अमानत के तौर पर जमा की है, अगर 31 मार्च तक उक्त कार्य नहीं हुआ तो, राज्य सरकार के 15 करोड़ की राशि राजसात हो जायेगी, लापरवाह अधिकारियों के चलते सरकार के खजाने में सेंध लग सकती है, अगर समय रहते जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया तो।
सोन नदी के एक्शन प्लान की समीक्षा में विभिन्न विभागों की कई खामियां सीपीसीबी को देखने को मिली है, जिसे समय पर दुरूस्त करने के निर्देश दिये गये हैं। वृक्षारोपण नहीं कराया गया है और नलकूपों की स्टडी रिपोर्ट भी अभी तैयार नहीं हुई है।
संजीव कुमार मेहरा क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल
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