Shahdol : धान खरीदी केंद्रों पर रखी सैकड़ों क्विंटल धान पानी से हुई तर
मंगलवार की सुबह जिले में हुई बारिश ने धान खरीदी केंद्रों की अव्यवस्था की पोल खोल कर रख दी। विभिन्न धान खरीदी केंद्रों में रखी सैकड़ों क्विंटल धान प्रबंधकों की लापरवाही व अदूरदर्शिता के कारण भींग गई किसानों द्वारा कड़ी मेहनत के बाद उगाई गई धान जब उनके सामने भीगती और खराब होती रही तो, काश्तकारों के ऊपर मानो बिजली सी गिर गई।
शहडोल, मध्यप्रदेश। संभागीय मुख्यालय के समीप सिंहपुर से लेकर पड़मनिया खुर्द, रसमोहनी के अलावा बुढार, जयसिंहनगर, ब्यौहारी, गोहपारू सहित कई विकास खंडों में धान खरीदी केंद्रों में मंगलवार को हुई करीब 1 से 2 घंटे की बारिश की वजह से खुले में रखे धान पानी से सरोवर हो गई , इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पानी से कई क्विंटल धान खराब हो गई है इसका खामियाजा कहीं ना कहीं किसानों को ही भुगतना पड़ेगा। बीते कुछ दिनों से ही मौसम विभाग आज तथा मंगलवार को भारी बारिश तथा मौसम परिवर्तन की घोषणा कर चुका था। बावजूद इसके संबंधित विभाग के द्वारा लापरवाही बरतते हुए दूरदर्शिता का परिचय दिया गया, उस कारण काश्तकारों के द्वारा कड़ी मेहनत के बाद पैदा किया गया अनाज सड़ने की कगार पर आने वाले दिनों में पहुंच जाएगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
लापरवाही किसकी, भुगतेगा कौन :
मंगलवार को हुई बारिश में सिर्फ पड़मनिया खुर्द ही नहीं बल्कि, शहडोल ही नही संभाग के तीनों जिलों में जमकर बारिश हुई, जिसमें धान खरीदी केन्द्रों पर रखी हुई धान पानी से सराबोर हो गई। मंगलवार की दोपहर शहडोल से महज 8 किलोमीटर दूर पड़मनिया खुर्द में की गई ग्राउण्ड रिपोर्टिंग में देखा गया कि सैकड़ों क्विंटल धान इसी केन्द्र पर पानी से भींग गई। धान बेचने के लिए केन्द्र पर आये किसान दो-दो दिनों से अपनी पारी के इंतजार में ठहरे हुए थे, खुद के द्वारा लाई गई पन्नी धान के बोरों से सटाकर लगाई गई थी, जिसमें काश्तकार बारिश से खुद को बचाते नजर आये।
भीग गया कई टन धान :
पड़मनिया खुर्द स्थित धान खरीदी केन्द्र में 12 ग्राम के किसानों से धान खरीदी की जा रही थी, जिसमें सिंहपुर, बोडरी, दुलहरा, मिठौरी, चटहा, सेमरिहा, पड़मनिया खुर्द, पड़मनिया कला, कंचनपुर, पडऱी, पड़रिया, मानपुर एवं मानपुर वीरान हैं, पूर्व में ही यहां खरीदी केन्द्र में चर्चा रही कि प्रबंधक सहित प्रभारी द्वारा किसानों से आर्द्रता के नाम पर लूट की जा रही है, रही सही कसर मंगलवार की बारिश ने पूरी कर दी, झमाझम हुई बारिश में सैकड़ो टन धान भींग गई, भविष्य में खराब होने वाली धान का नुकसान किसके हिस्से में जायेगा। पूर्व में भी आर्द्रता के नाम पर वजन काटा जा रहा था, अब तो, उस प्रतिशत को भी बारिश के नाम पर और बढ़ाया जा सकता है।
मेहनत पर फिरा पानी :
पड़मनिया खुर्द में जब पानी शुरू हुआ तो, पूर्व से बचाव के लिए त्रिपाल की व्यवस्था का आलम यह था कि उससे आधी धान भी नहीं ढाकी जा सकी। प्रबंधक जयंती मिश्रा अन्य को साथ लेकर बाजार की ओर दौड़ लिये, लेकिन उनके वापस आते-आते काश्तकारों की मेहनत पर बारिश का पानी-पानी फेर चुका था। धान को बचाने का सिर्फ दिखावा बाकी रह गया था, जो बाद में पूरा किया भी गया, लेकिन त्रिपाल के नीचे भींग चुकी धान आने वाले दिनों में क्या गुल खिलायेगी, काश्तकारों के द्वारा कई महीनों तक किये गये अथक परिश्रम के बाद पैदा की गई धान का हश्र क्या होगा, यह तो जिम्मेदार ही जानें।
न अलाव-न छत, हिस्से आई सिर्फ ठिठुरन :
मंगलवार का पूरा दिन तो, पानी से खुद को बचाने में चला गया, काश्तकार किसी धान खरीदी केन्द्र में एक दिन से तो, कहीं-कहीं दो से तीन दिनों से अपनी धान तुलने के इंतजार में डेरा डाले हुए थे, मंगलवार के दिन में हुई बारिश ने उनकी धान भिंगा दी, लेकिन उससे भी बड़ी परेशानी रात को आई जब खरीदी केन्द्र के जिम्मेदार तो ताला लगाकर अपने घरों को चले गये, लगभग सून-सान क्षेत्रों में स्थित इन केन्द्रों मे पानी गिरने के बाद बढ़ी ठंड और ठिठुरन के बीच बिना अलाव के पन्नियों से खुद को ढके हुए काश्तकारों के ऊपर मानों पानी नहीं, बल्कि आफत की बारिश आ गिरी हो।
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