हाइलाइट्स :
कोरोना काल में पॉलीथिन में दे रहे दवाईयां।
सरकार की रोक के बावजूद हो रहा उपयोग।
जिम्मेदार अधिकारियों ने साध रखी है चुप्पी।
शहडोल, मध्य प्रदेश। प्रदेश में 2016 से पॉलीथिन के उत्पादन, परिवहन, विक्रय, भण्डारण व उपयोग पर पूर्णत: प्रतिबंध भले ही लगा दिया गया है, लेकिन महज यह प्रतिबंध कागजों में ही संचालित हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वॉयरस पॉलीथिन में 16 घंटे तक जीवित रहता है, सबकुछ जानने के बाद दवा व्यापार से जुड़े व्यवसायी कागज से बने पाउच और थैले का उपयोग न करके पॉलीथिन में दवाईयां बांटकर खुद ही संक्रमण परोस रहे हैं। निजी चिकित्सालयों का भी यही हाल है, इतना ही नहीं जब मरीज दवा लेकर चिकित्सक के पास जांच कराने के लिए पहुंचता है तो, चिकित्सक भी उसे कितने बार किस टाईम खान है बता देते हैं, लेकिन पॉलीथिन से होने वाली हानि के बार में जागरूक नहीं कर रहे हैं।
हर दूसरे चिकित्सक की सेटिंग :
आमतौर पर तीनों ही जिलो में हजारों की संख्या में दवा की दुकाने संचालित हो रही है, जहां पर चिकित्सक दवा लिखने के बाद मरीज को दुकान का पता बताता है कि उसकी लिखी हुई दवाई वहीं पर मिलती है, दवा दुकानदारों से चिकित्सकों की सांठ-गांठ किसी से छुपी नहीं है, लगभग सभी दवा दुकानों में पॉलीथिन में ही दवाईयों का वितरण किया जा रहा है, अगर जांच की जाये तो, यह पूरा मामला सामने आ जायेगा।
जिम्मेदार भी पॉलीथिन में ले रहे दवाई :
जिम्मेदार औहदे पर बैठे अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधि भी जब दवा खरीदने के लिए मेडिकल स्टोर पहुंचते हैं तो, उनके द्वारा इसका विरोध भी नहीं किया जाता, पॉलीथिन में दवा लेकर वह चले आते हैं। कुल मिलाकर पर्यावरण के लिए हानिकारक पॉलीथिन पर शासन की रोक के आदेश अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मालूम है कि नहीं यह तो, वह खुद ही जाने। लगभग दवा दुकानों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैx, जिसमें यह देखा जा सकता है कि दवाईयां पॉलीथिन में दी जा रही है कि नहीं।
संक्रमण को दे रहे आमंत्रण :
कोरोना काल में मरीज मेडिकल स्टोर दवा लेने सार्वधिक जा रहे हैं, वहीं यह जानने के बावजूद कि रेड जोन से आने वाली प्रतिबंधित पॉलीथिन से संक्रमण भी फैल सकता है, उसके बावजूद दवा दुकान के संचालक चंद रूपयों के खातिर मरीजों को संक्रमण परोस रहे हैं। कोरोना वॉयरस 16 घंटे तक पॉलीथिन में मौजूद रहता है, इसके अलावा पशुओं और पर्यावरण के लिए भी पॉलीथिन घातक है, सबकुछ जानने के बावजूद 4 सालों में भी पॉलीथिन के उपयोग और बिक्री में किसी प्रकार की गिरावट नहीं आई।
सजा और जुर्माने के प्रावधान :
प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने के साथ ही जुर्माने और सजा का प्रावधान भी निर्धारित किया है और कार्यवाही के अधिकार स्थानीय नगर पालिका व राजस्व विभाग को दिये हैं, लेकिन फोटो खिचवानें तक की कार्यवाही दोनों ही विभागों द्वारा की जाती है। अगर विभाग केवल मेडिकल दुकानों की ही जांच कर लें तो, कई क्विंटल पॉलीथिन बरामद हो सकती है और शासन को राजस्व के साथ ऐसा करने वाले दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही भी हो सकती है, लेकिन कार्यवाही के नाम पर छोटे ठेले वालों पर कार्यवाही कर कोरम पूर्ति कर ली जाती है।
इनका कहना है :
शासन द्वारा पॉलीथिन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया गया है, कार्यवाही के अधिकार स्थानीय नगर पालिका को सौंपे गये हैं, विभाग के द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान और छापामार कार्यवाही भी संयुक्त टीम के द्वारा की जाती है, कई स्थानों पर बड़ी मात्रा में पॉलीथिन जब्त की गई है, मेडिकल दुकानदारों को कागज से बने हुए बैग इस्तेमाल करने चाहिए, जो कि पर्यावरण हित में हैं।
संजीव कुमार मेहरा, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल
तीनों जिले के कलेक्टरों को निर्देश जारी किये जायेंगे कि अभियान चलाकर दवा दुकानदारों के खिलाफ कार्यवाही करें और उन्हें जागरूक भी करें कि कागज से बने पेपर पाउच का इस्तेमाल करें।
नरेश पाल, संभागायुक्त, शहडोल
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