नर्क से बद्तर है शहडोल जेल
नर्क से बद्तर है शहडोल जेलराज एक्सप्रेस, संवाददाता

बंदी की आप-बीती : नर्क से बद्तर है शहडोल जेल

शहडोल, मध्यप्रदेश : जिला जेल में बंदियों को सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। स्वच्छ पानी और खाने के लिए भी यहां लगती है रिश्वत। रूपया है तो, जेल में भी मिलेगी हर सुविधा।
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जेलों की हालत किसी से छिपी नहीं है, जेल में हर सुख सुविधा मुहैया होती है, बस उसकी रेट लिस्ट फिक्स है। जेल में हालात बद से बदतर हैं, ये सभी जानते हैं, क्षमता से अधिक बंदी जेलों में हैं। यह हाल जिला जेल का है, जेल में बंदियों के खाने में गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है।

शहडोल, मध्यप्रदेश। जिला जेल में बंदियों को सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। जेल में मोबाइल और कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं है, लेकिन एक बंदी ने जो आंखों देखा हाल जो बताया वो हैरान करने वाला था। जेल के हालातों की बारीकी से पड़ताल करने के लिए जब सुरागकसी की तो नाम और पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक बंदी ने जानकारी दी। हाईप्रोफाइल केसों में निरुद्ध बंदियों को यहां कई सुख सुविधाएं उपलब्ध हो रही है। बंदी के मुताबिक सप्ताह में जब नॉनवेज खाने का मन होता है, उपलब्ध करा दिया जाता है और बाकी कैदियों को खाना भी सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है।

धूम्रपान की विशेष सुविधा :

जेल में बंदी जब आता है तो मशक्कत के नाम पर उसकी रसीद काट दी जाती है। मशक्कत के नाम पर अच्छी खासी रकम ऐंठ ली जाती है। इसके बाद शुरू होता है बैरक से लेकर खाने, पीने, कपड़े आदि का सिलसिला। बंदी के मुताबिक जब भी जेल में परिजन मिलने आते हैं तो कमाई शुरू हो जाती है। मिलाई के दौरान जो भी सामान परिजन बंदियों को देकर जाते हैं। उसका कुछ हिस्सा जेल के सिपाहियों द्वारा रख लिया जाता है। वहीं यदि परिजन पैसे देकर जाते हैं तो कमीशन के नाम पर उनसे पैसे ले लिए जाते हैं। जब भी चेकिंग की जाती है तो कभी भी बंदियों के सामान में रुपये पैसे नहीं मिलते हैं। ये रुपये वहां मौजूद सिपाहियों द्वारा रख लिए जाते हैंं। धूम्रपान करने वालों के लिए भी विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं।

नहीं भरता पेट :

जानकारों की माने तो जेल मैन्यूवल के अनुसार कैदियों को दोपहर को एक बढिय़ा सब्जी व छह रोटी और रात को एक सूखी सब्जी, उसके साथ तरी वाली सब्जी व छह रोटी देनी होती है। कैदियों की मानें तो खाद्य पदार्थो को तैयार करवाने मे कोताही बरती जाती है। उचित सामग्री का प्रयोग न किए जाने से पानी कहीं और सब्जी कहीं और होती है। इससे भोजन निगला ही नहीं जाता है। इस आलम में कैदियों का पेट नहीं भरता।

दहशत में कैदी :

कुछ दबंग कैदियों ने इसके लिए बाकायदा गरीब कैदी रखे होते हैं, जो उन्हे स्वादिष्ट भोजन तैयार करके खिलाते हैं और खुद खाते हैं। यहीं नहीं, अमीर कैदियों को अंदर ही दूध इत्यादि भी पहुंचा दिया जाता है। जेल में मिलने वाले गुणवत्ता रहित खाने के अगर कोई परेशान है तो, वह है गरीब कैदी। सूत्रों की मानें तो अधिकारियों द्वारा जेल की चेकिंग तो की जाती है, मगर दहशत के चलते कोई भी कैदी इस बारे मुंह खोलने को तैयार नहीं होते।

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