हाइलाइट्स :
पिछले तीन साल में स्कूल छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या बढ़ी
लंबी दूरी के कारण छात्राओं को छोड़ना पड़ता है स्कूल
बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन मध्य प्रदेश से बेहतर
राज एक्सप्रेस। आज जहाँ एक तरफ भारत में कुछ लोग "हमारी छोरियाँ छोरों से कम नहीं हैं" जैसी सोच रखते हैं तो, वहीं कुछ लोगों की मानसिकता है कि, लड़कियां पढ़-लिख कर क्या करेंगी? इस सोच का पता तब चला जब, मध्य प्रदेश में लड़कियों की शिक्षा के आंकड़े सामने आये। जी हां, पिछले तीन सालों में ( 2016-17 में 2018-19) मध्य प्रदेश में आधी पढ़ाई करके स्कूल छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या तेजी से (MP School Dropout Girls) बढ़ी है। हालांकि, मध्य प्रदेश में लड़कियों को शिक्षा को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए पूर्व भाजपा सरकार द्वारा बड़ी संख्या में उपाय भी किये गए थे, परन्तु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि, इन उपायों पर सही से काम नहीं किया गया।
मानसून सत्र में आई यह बात सामने :
इस मानसून सत्र में लोकसभा में एक प्रश्न पूछे जाने पर उत्तर में यह बात सामने आई कि, जिन लड़कियों को होम राशन (THR) दिया गया था, उनकी संख्या 2016-17 में 1,22,230 से बढ़कर 2018-19 में 3,05,000 हो गई। इसके अलावा होम राशन (THR) सिर्फ किशोरावस्था वाली लड़कियों को ही दिया जाता है और किशोरावस्था वाली लड़कियों को स्कूलों छोड़ने के बाद मध्याह्न भोजन का लाभ नहीं मिलता है।
विशेषज्ञों का कहना :
विशेषज्ञों ने कई कारणों के आधार पर बताया कि, छात्रायें प्राथमिक या मध्य विद्यालय के बाद स्कूल क्यों छोड़ देती है। उनका कहना है कि, “स्कूल छोड़ने का एक कारण यह भी है कि, मध्य विद्यालय की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई के लिए एक गाँव से दूसरे गाँव में जाना पड़ता है, यह दूरी काफी लंबी होती है, साथ ही दूसरा कारण राज्य के कई ग्रामीण हिस्सों में बालिकाओं को शिक्षित न करने की सोच या फिर नौकरियों की तलाश में परिवारों को अपना घर छोड़ कर जाना पड़ता है ये भी एक कारण हो सकता है।
मंत्री ने बताया :
इस साल 29 जुलाई को लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, मंत्री ने जवाब देते हुए बताया कि, मध्य प्रदेश में 11 से 14 वर्ष की आयु की स्कूली लड़कियों की संख्या 2017-18 में 1,25,452 थी जो बढ़कर 2018-19 में 3,05,000 हो गई थी, परन्तु इन लड़कियों ने अब स्कूल छोड़ दिया है। हालाँकि, इस अवधि के दौरान बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का प्रदर्शन मप्र की तुलना में बेहतर रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की अधिक संख्या वाले राज्यों की सूची में चौथे स्थान पर रहा।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया :
"पिछले 15 वर्षों में स्कूली शिक्षा नजरअंदाज की गई थी। सत्ता में आने के बाद, हम स्कूली शिक्षा को पटरी पर लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। छात्राओं के स्कूल छोड़ने को एक चुनौती के रूप में लिया गया है और हम इसे सुधारने के तरीकों पर काम कर रहे हैं।"
स्कूल शिक्षा मंत्री
भोपाल के बाल अधिकार कार्यकर्ता सचिन जैन ने बताया कि,
"स्कूल छोड़ने वालों में से अधिकांश सीमांत वर्ग हैं। मुझे उम्मीद है कि, जो लड़कियां स्कूल से बाहर हो गई हैं, वे बाल तस्करी में नहीं फंसी हैं और बाल मजदूर का भी काम नहीं कर रही हैं।"
सचिन जैन
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