स्कूल बसों ने बढ़ाया किराया
स्कूल बसों ने बढ़ाया किरायाRaj Express

Gwalior : स्कूल बसों ने बढ़ाया किराया, बच्चों के अभिभावकों पर बढ़ेगा बोझ

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : डीजल महंगा होने से स्कूल बसों ने किराया बढ़ाकर मांगना किया शुरू। हर बच्चे पर पड़ सकता है 500 रुपए का अतिरिक्त बोझ।
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ग्वालियर, मध्यप्रदेश। पेट्रोल-डीजल के साथ ही सीएनजी के दामों में जिस तरह से इजाफा हो रहा है उसके कारण अब स्कूली बच्चों के अभिभावकों पर इसका बोझ पड़ सकता है। स्कूल बसों के साथ ही ऑटो व अन्य वाहनों ने अभिभावकों से किराया अधिक मांगना शुरू कर दिया है, जबकि किराया बढ़ाने की अनुमति आरटीओ से लेना पड़ती है, लेकिन बिना अनुमति के ही यह काम स्कूल बस संचालक कर रहे हैं, क्योंकि उनका कहना है कि जिस तेजी से डीजल के दाम बढ़े है उसके कारण किराया बढ़ाना अति आवश्यक हो गया है, क्योंकि अगर किराया नहीं बढ़ाया तो खर्चा निकलना मुश्किल हो जाएगा।

शहर में स्कूल-कॉलेज में बसों के अलावा ऑटो व वैन बच्चो के ले जाने में लगी हुई है। इसमें ऑटो सीएनजी से संचालित होते है जबकि बसें डीजल से। एकाएक जिस तेजी से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं उसके कारण जहां सवारी वाहनों ने बिना नई किराया सूची जारी हुए ही किराया बढ़ा दिया है। अब स्कूल बस संचालकों ने भी संबंधित स्कूल व कॉलेज संचालकों से किराया बढ़ाने की मांग कर दी है। स्कूल व कॉलेज संचालकों ने बच्चो से किराया बढ़ाकर देने के लिए कह दिया है। यहां बता दें कि जो बसें व अन्य वाहन स्कूल-कॉलेज में बच्चों के लिए लगे हुए हैं उनका किराया संबंधित स्कूल व कॉलेज संचालक ही लेते हैं और वह बच्चों की संख्या के हिसाब से बस संचालकों के देते हैं।दो साल कोरोना काल में स्कूल बस संचालकों को काफी नुकसान हो चुका है और वह अपने वाहन की किस्त तक नहीं भर सके थे, क्योंकि उनके वाहनो के पहिए थमे रहे थे।

सरकार ने माफ किया था तीन माह का टैक्स :

स्कूल बस संचालकों ने कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से मांग की थी कि उनके पास टैक्स भरने लायक राशि नहीं है, क्योंकि स्कूली बसें एक ही स्थान पर खड़ी हुई हैं। उनका तर्क था कि कई संचालकों ने तो नई बसें खरीदी थीं, लेकिन कोरोना काल के कारण उनके सामने किस्त जमा करने का संकट रहा था और उधार लेकर कई लोगों ने किस्त चुकाई थी। सरकार ने राहत देने का काम करते हुए स्कूल बसों का तीन माह का टैक्स माफ कर दिया थी। वैसे भी स्कूल बसों पर प्रति सीट टैक्स न के बराबर लगता है जिस कारण टैक्स माफ होने से उनको कोई खास राहत नहीं मिली थी।

किराया बढ़ाना ही एकमात्र विकल्प :

स्कूल बस संचालकों के सामने किराया बढ़ाना ही एक मात्र विकल्प है, क्योंकि डीजल के भाव जिस तेजी से उछाल मार रहे हैंं उसके कारण वर्तमान किराए से उनका खर्चा तक नहीं निकल रहा है। यही कारण है कि अब बच्चों से कह दिया गया है कि वह अपने अभिभावकों से किराया बढ़ाकर देने की बात बता देंं। सूत्र का कहना है कि हर बच्चे के अभिभावकों पर प्रति माह करीब 500 रुपए का अतिरिक्त खर्च बढ़ सकता है। वहीं सीएनजी से संचालित ऑटो चालकों ने भी किराया बढ़ाकर लेना शुरू कर दिया है। ऑटो चालकों का कहना है कि एक साथ सीएनजी पर प्रति किलो 10 रुपए कुछ ही दिन में बढ़ गए हैं, ऐसे में बिना किराया बढाए ऑटो चलाना मुश्किल हो गया है। अब यहां बता दें कि किराया बढ़ाने की अनुमति आरटीओ द्वारा दी जाती है और वह सूची जारी करते उसके बाद ही किराया बढ़ाया जा सकता है, लेकिन बिना आरटीओ की अनुमति के ही किराया बढ़ा दिया गया है।

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