बालाघाट, मध्य प्रदेश। खनिज संपदा से परिपूर्ण बालाघाट जिले की आय अब रेत से बढ़ती नजर आ रही है, रेत का ठेका प्राप्त कर जिले की स्वीकृत खदानों से रेत खनन कर रही कम्पनी न सिर्फ ज़िले में रेत की आपूर्ति कर रही है, बल्कि बेहतर कार्यकुशलता का परिचय देते हुए अप्रत्याशित ढंग से राजस्व में वृद्धि करते हुए इतिहास रचने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है। मैनेजिंग डायरेक्टर पवन पाठक की कुशल रणनीति का लाभ न सिर्फ इनकी कम्पनी को मिल रहा है, बल्कि इनकी कुशलता से बालाघाट जिले के साथ-साथ मध्यप्रदेश सरकार को भारी राजस्व की प्राप्ति हो रही है। रेत खनन और परिवरहन की सुव्यवस्थित व्यवस्था कड़ी दर कड़ी जोड़कर तैयार की गई है, जिससे जिले के विकास में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष दोनों ही रूपों से लाभ मिलता नजर आ रहा है।
इतिहास रचता बालाघाट :
बालाघाट जिले की खनिज संपदा से देश व प्रदेश को लाभ तो मिलता ही था, अब रेत से भी अच्छी खासी कमाई मिलने लगी है। वन बाहुल्य जिला होने के साथ साथ यह जिला नक्सल प्रभावित भी है, तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए रेत खनन में सलंग्न कम्पनी श्री पाठक के नेतृत्व में इतिहास रचने के करीब पहुंच गई है, पहली बार रेत का परिवहन रेल्वे रेक से करना जिले के लिए किसी उपलब्धी से कम नहीं है। तिरोड़ी से नागपुर के अजनी तक रेत लेकर मालगाड़ी दौड़ी, जिसका लाभ रेल्वे को भी हुआ, साथ ही प्रदेश सरकार को लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। प्राप्त जानकारी अनुसार 58 वैगन रेत के परिवहन से रेल्वे को लगभग 13 लाख रुपये की कमाई हुई है। रचना मिनरल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन पाठक की कार्यकुशलता व कम्पनी में कार्यरत सभी कर्मियों की दूरदर्शिता ने बालाघाट का नाम इतिहास में दर्ज करा दिया साथ ही दक्षिणी पूर्व मध्य रेल्वे के लिए कमाई का रास्ता भी खोल दिया। रेत की कमी के चलते नागपुर क्षेत्र में घर बनाने की चाह रखने वालों की जेबों पर डाका डाला जा रहा था, मनमाने दामों में रेत बेची जा रही थी, जिससे मध्यम वर्गीय परिवार परेशान थे, इस समस्या से निकालने में बालाघाट जिले की रेत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
रोजगार के अवसर में इजाफा :
रेत का व्यापार कर रही फर्म लगातार जिले के बेरोजगारों को रोजगार मुहैया करा रही है, उद्योग विहीन इस जिले के हजारों युवा रेत घाटों में काम करके रोजगार प्राप्त कर चुके हैं, नक्सल जैसी समस्याओं के साथ जिले की भगौलिक सरंचना चुनौती से कम नहीं है, लेकिन श्री पाठक की प्रबन्धन शैली ने समस्याओं को कम कर जिले के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है, बहुत बड़ी संख्या में लोगों को काम मिल रहा है जिससे उनकी आर्थिक स्थितियों में बदलाव हो रहा है, रेत खनन से लेकर भंडारण व परिवहन में लाखों मजदूर सलंग्न हैं। योग्यता अनुरूप जिले के युवा कम्प्यूटर आपरेटर सुपरवाइजर आदि बनकर भी रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, यह सब बेहतर तालमेल के बूते संभव हो पाया है। सुव्यवस्थित ढंग से प्रकृति को कम नुकसान पहुंचाए रेत खनन का कार्य जारी है जिसका न सिर्फ ज़िले में इस्तेमाल किया जा रहा बल्कि देश के विभिन्न स्थानों तक यह रेत पहुंच रही है। गुणवत्तापूर्ण बालाघाट की रेत मध्यप्रदेश के दूसरे जिलों में भी पहुंच रही है, बालाघाट ज़िला लगातार प्रदेश को मिलने वाले राजस्व में इजाफा कर रहा है।
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