इंदौर, मध्य प्रदेश। सहजयोग इंदौर के समन्वयक सुरेन्द्र कुमार भिडे ने बताया कि सहज योग पूर्णत: नि:शुल्क है इसमे दक्षता पाने के लिए विश्व में कहीं भी कोई शुल्क नहीं लिया जाता। सहज योग सूक्ष्म शरीर तंत्र के चेतनामय हो जाने की घटना है, जो आत्मा से परमात्मा का मेल कही जाती है, ईश्वर से एकाकार होना ही योग है।
सहजयोग सामूहिकता पर कार्य करता है यह समाज को सामूहिक आनंद देता है। एक साधारण मनुष्य त्रिआयामी होता है क्योकि वह स्वयं को तीन स्तरों पर जान पाता है- शरीर के स्तर पर, बुद्धि के स्तर पर और मन के स्तर पर। परंतु जब योग की घटना घटित होती है तो वह चौथे आयाम मे प्रवेश करता है और आत्मा के स्तर पर भी अपने को पहचानने लगता है इसी को स्वतंत्र हो जाना कहते हैं, अर्थात स्व के तन्त्र को जानना। साथ ही लगातार साधना करते हुए जब उसका सहस्रार खुलता है तब वह प्रकाशित आत्मा,चित्त और प्रकाशित मस्तिष्क वाला होकर पंच आयामी हो जाता है।
अत: मनुष्य को चाहिए कि वह अपने व समाज के उत्थान के लिए सहज योग को जीवन में आत्मसात करे। यहीं मानवता को उन्नत करने का एक मात्र दिव्य तरीका है।
अंतर्राष्ट्रीय सहजयोग ट्रस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश राय ने बताया कि सहजयोग के विविध ध्यान एवं भजन के ऑनलाइन कार्यक्रम भारत के साथ-साथ विश्व के लगभग 90 देशों के सहजयोगी भाई-बहन अपने अपने घरों मे रहकर लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए ही भाग लेते हैं।
मध्यप्रदेश सहज योग समन्वयक दीपक गोखले ने बताया कि सहजयोग संस्था समय समय पर विशिष्ट ध्यान वेबीनार भी आयोजित करती है जिसके तहत ऑनलाइन स्टडी की कशमकश से जूझते शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए आए दिन विशेष सेमीनार आयोजित किए जाते हैं। मन की शान्ति, आत्मा के आनंद को जानना ही स्वयं की अनुभूति है, इसे प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है।
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