Sagar : अब तक पटरी पर नहीं लौट सकी बदहाल रेल यातायात व्यवस्था

सागर, मध्यप्रदेश : बीना- कटनी रेल मार्ग पर केवल एक पैंसेजर ट्रेन, यात्रियों को हो रही परेशानी, इस ट्रेन का भी किराया बढ़ा दिया गया है, वहीं सुविधाएं न के बराबर हैं।
अब तक पटरी पर नहीं लौट सकी बदहाल रेल यातायात व्यवस्था
अब तक पटरी पर नहीं लौट सकी बदहाल रेल यातायात व्यवस्थासांकेतिक चित्र
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सागर, मध्यप्रदेश। कोरोना काल की पहली लहर से बदहाल हुई रेल यातायात व्यवस्था अब तक पटरी पर नहीं लौट सकी है। हालत यह है कि बीना- कटनी रेल मार्ग पर आने-जाने वाले यात्रियों को केवल एक पैंसेजर ट्रेन की सुविधा है। इस ट्रेन का भी किराया बढ़ा दिया गया है, वहीं सुविधाएं न के बराकर हैं। सागर रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म क्रमांक दो से टिकट वितरण बंद है। यदि लोगों को टिकट लेना है तो उन्हें फुटओवर ब्रिज से घेरकर पहले प्लेटफार्म क्रमांक एक पर जाने पड़ता है। इसके चलते प्लेटफार्म क्रमांक दो से आने वाले यात्री परेशान होते हैं। ट्रेन के आने-जाने की सूचना देने वाले डिस्प्ले भी बंद रहते हैं। पूछताछ पर भी कोई मौजूद नहीं रहता।

यात्रियों का कहना है कि ट्रेन का किराया दोगुना हो गया। वहीं आने-जाने के लिए केवल एक ट्रेक मेमू चलती है, जो हर स्टेशन पर रुकती है। गनेशगंज रेलवे स्टेशन से सफर करने वाले एड. जगमोहन सिंह ने बताया कि वर्तमान में बीना-कटनी के बीच केवल एक ट्रेन ही चलाई जा रही है। इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। गनेशगंज क्षेत्र से सैकड़ों लोग पहुंच ट्रेन से सागर जाते थे, जहां वे दिनभर मेहनत मजदूरी करके शाम को लौट आते थे, लेकिन वर्तमान में जो ट्रेन चल रही है। उसका किराया तो तीस रुपये कर दिया है, लेकिन बीना की ओर से यह ट्रेन तो दोपहर करीब 11.30 बजे आती है। रात में यह 10 बजे के करीब है। सुबह सागर की ओर जाने के लिए एक भी साधन नहीं है। इससे लोग परेशान होकर बसों से आते-जाते हैं। वहीं ट्रेन में अधिक किराया देने के बाद भी सुविधा नहीं है।

लॉकडाउन के बाद बीना-कटनी लाइन पर मेमू ट्रेन चलाई गई है। इस ट्रेन से आने जाने वाले पास की स्टेशनों के यात्री 6 से 7 गुना तक रुयये दे रहे हैं। जानकारी के मुताबिक सागर से मकरोनिया के पहले पांच रुपये किराया था, जो अब तीस हो गया है। इसी तरह लिधौराखुर्द, गिरवर, शाहपुर, रतौन, नरयावली, ईशुरवारा रेलवे स्टेशनों का किराया जहां पहले अधिकतम दस रुपये था, उसका किराया 30 रुपये दे रहे हैं। लॉकडाउन के पहले तक इन स्टेशनों पर भोपाल-बिलासपुर एवं बीना-कटनी पैंसेजर ट्रेन आवागमन का प्रमुख साधन थीं। कम किराया होने की वजह से अप-डाउन करने वाले कर्मचारी, व्यापारी, स्कूल कॉलेज एवं अन्य लोग भी इन्हीं पैसेंजर ट्रेनों से प्रतिदिन आवाजाही करते थे, लेकिन यह ट्रेनों बंद होने से लोग खासे परेशान हैं। हालांकि ट्रेनें बंद होने से रेलवे को भी राजस्व का घाटा हो रहा है।

पूरी नहीं हो रही राज्यरानी एक्सप्रेस चलाने की मांग :

दमोह रेलवे स्टेशन से चलने वाली राज्यरानी एक्सप्रेस शुरू कराने की मांग अरसे से लोगों द्वारा की जा रही है, लेकिन इसको अभी तक चालू नहीं किया गया। लोगों का कहना है कि दमोह से चलने वाली सबसे यह महत्वपूर्ण एक्सप्रेस है जो दमोह व सागर जिले के लोगों को सुबह साढ़े दस बजे तक भोपाल पहुंचा देती थी। लोग अपने-अपने काम करके शाम के समय वहां से चलकर देर रात तक घर पहुंच जाते थे, लेकिन लंबे समय से मांग करने के बाद भी इसे न चलाने से लोग परेशान हैं। अब भोपाल जाने वाले लोग तीगुने किराया खर्च कर बसों से भोपाल आते-जाते हैं, जिससे परेशानी होती है।

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