रीवा : प्राकृतिक और पर्यटन की दृष्टि से अलग ही पहचान है जिले की

म.प्र. में नदियों की सर्वाधिक संख्या होने के कारण ही मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है, तो जलप्रपातों की मल्लिका रीवा की धरती को कहा जा सकता है।
म.प्र. में प्राकृतिक और पर्यटन की दृष्टि से रीवा क्षेत्र में 4 जलप्रपात है।
म.प्र. में प्राकृतिक और पर्यटन की दृष्टि से रीवा क्षेत्र में 4 जलप्रपात है।राज एक्सप्रेस, संवाददाता।
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रीवा, मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश में नदियों की सर्वाधिक संख्या होने के कारण ही मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है तो जलप्रपातों की मल्लिका रीवा की धरती को कहा जा सकता है।

प्राकृतिक और पर्यटन की दृष्टि से रीवा क्षेत्र में 4 जलप्रपात है। वैसे भी इस क्षेत्र में प्राकृतिक छटा निराली ही नहीं अद्भुत भी है। रीवा का विश्व प्रसिद्ध सफेद शेर जहाँ प्रकृति का अनुपम उपहार है वहीं रीवा क्षेत्र में जलप्रपातों की बहूलता इस अंचल को पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षक बनाता है।

रीवा जिले के बहती, पुरवा, क्योंटी, एवं चचाई जलप्रपात तो इस समय लोगों के विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जलप्रपात को देखने के लिए लोगों की भीड़ को देखकर लगता है कि यहाँ की प्राकृतिक वैभव दर्शकों को समेटने पूर्ण सक्षम है। विन्ध्य पर्वत श्रृंखला रीवा के सोहागी ग्राम से ही प्रारंभ हो जाती है।

प्रयागराज की सीमा से लगे चाकघाट से मात्र 8 किलोमीटर (राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30) की दूरी से विंध्य पहाड़ी क्षेत्र की हरीतिमा लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करने लगती है। सोहागी पहाड़ पर ही अडगड नाथ शिव मंदिर परिसर में भगवान शिव के साथ ही माँ पार्वती, गणेश जी, श्री हनुमान जी एवं दुर्गा माता का मंदिर जहाँ धार्मिक भावना को संबल प्रदान करते हैं वहीं पहाड़ की चोटी के नीचे बसे गाँव एवं खेतों में फैली हरियाली एवं बलखाती नदियों का प्रवाह देखने लायक रहता है। मौर्यकालीन बौद्ध स्तूप, प्राचीन भित्ति चित्र एवं पत्थरों की गुफा पर्यटन के क्षेत्र में विशेष महत्व रखता है। इस स्थान पर महात्मा बुद्ध को जोड़कर भी देखा जाता है।

बरसात के दिनों में रीवा क्षेत्र के जलप्रपात अपने चरम पर होता है। ग्राम कटरा से पूरब दिशा में मऊगंज की ओर जाने पर बहुती प्रपात का नजारा दिखाई देता है। यह मध्य प्रदेश का सबसे ऊँचा झरना है।इसकी ऊंचाई 650 फीट बताई जाती है। ओड्डा नदी का पानी इस झरने के नीचे गिरता है और बाद में यह पानी तमसा नदी में जाकर मिलता है और आगे चलकर यही तमसा पतित पावनी गंगा नदी में मिल जाती है।

इस प्रपात के निचले हिस्से में एक प्रसिद्ध महात्मा जी रहते हैं। यहाँ के लोग एवं दूर-दूर के श्रद्धालु जन पहाड़ के नीचे जहाँ झरना गिरता है वहाँ जाते हैं और उनका दर्शन प्राप्त करते हैं। क्योंटी प्रपात कटरा के पश्चिम दिशा में सिरमौर रोड पर पड़ता है। क्योंटी प्रपात महाना नदी के जल से निर्मित होता है। जिसका पानी नीचे गिर कर तमस नदी में चला जाता है। क्योंटी प्रपात की ऊंचाई 336 फीट बताई जाती है।

क्योंटी प्रपात के समीप ही एक प्राचीन किला है जो अठारह सौ सत्तावन की क्राँति के दौरान महान क्राँतिकारी ठाकुर रणमत सिंह की शरण स्थली रही है। यह किला सैन्य शक्ति एवं सैन्य संचालन का अच्छा माध्यम किसी समय में रहा होगा, जिसको देखने के लिए दूर-दूर से दर्शक यहाँ आते हैं। पुरवा प्रपात रीवा से सेमरिया रोड पर स्थित है यहाँ 60 मीटर की ऊँचाई से बीहर नदी का पानी नीचे गिरता है और आगे चलकर यहघ पानी तमस नदी में मिल जाता है। यहाँ का प्रसिद्ध चचाई प्रपात अब इस स्थान पर विद्युत उत्पादन होने लगा है।

यहाँ भी बीहर नदी का पानी नीचे गिरता है। इसकी ऊँचाई 130 मीटर बताई जाती है।यहाँ का पानी भी तमस नदी में ही मिलता है। एक प्रकार से देखा जाए तो रीवा जिले के इन चारों जलप्रपात का पानी तमसा नदी से होकर गंगा नदी में मिल जाता है। यहाँ के सभी जलप्रपात अपने आप में अद्भुत और दर्शनीय है।

इस समय रीवा जिले के उपरोक्त चारों जलप्रपात सैलानियों की उपस्थिति में और भी आकर्षक दिखता है।यहाँ गर्जन सर्जन करते जलप्रपात का नीचे गिरते पानी की छोटी छोटी बूँदें धुआं बनकर ऊपर उड़ते दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है की झरने का गिरता पानी धुआँ सनकर प्रतिस्पर्धा करता दिखाई देता है। कभी धुआं प्रपात को ढंक लेता है तो कभी प्रपात अपनी गर्जन के साथ उस धुएं को नष्ट करने का प्रयास करता है।

इसी के साथ ही पूर्व फाल सेमरिया के पास स्थिति बसामन मामा के पास स्थिति है। जिसे चचाई फाल भी कहा जाता है। यहां पर भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। यहां पर पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने जरूर प्रयास करके जालियां आदि लगाकर इसकी सुरक्षा मुहैया कराई थी।

इसके साथ ही अन्य स्थानों के जल प्रपातों पर सुरक्षा का कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। पुलिस का कोई प्रबंध नहीं है। भारी संख्या में पहुंचने वाले सैलानी यहां स्वयं के जोखिम एवं स्वयं की सुरक्षा में प्रकृति का नजारा देखने आते हैं । जिला प्रशासन को जलप्रपातों पर पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यहाँ सुरक्षा के उपायों पर विचार करना चाहिए जो अभी तक कारगर ढंग से नहीं किया गया है।

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