कैट द्वारा दालों पर लागू स्टॉक सीमा तत्काल वापस लेने का अनुरोध

उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा दालों पर स्टॉक सीमा को लेकर गत 2 जुलाई को जारी अधिसूचना से देशभर के खाद्यान्न कारोबारी खासे नाराज हैं। कारोबारियों का मानना है कि यह अधिसूचना मनमानी और अनुचित है।
कैट द्वारा दालों पर लागू स्टॉक सीमा तत्काल वापस लेने का अनुरोध
कैट द्वारा दालों पर लागू स्टॉक सीमा तत्काल वापस लेने का अनुरोधSyed Dabeer Hussain - RE
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हाइलाइट्स :

  • अधिसूचना से पूर्ण हितकारकों से नहीं लिया परामर्श

  • सरकार की अपनी खुद की नीति का सरासर उल्लंघन

  • केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को भेजा ज्ञापन पत्र

इंदौर, मध्यप्रदेश। उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा दालों पर स्टॉक सीमा को लेकर गत 2 जुलाई को जारी अधिसूचना से देशभर के खाद्यान्न कारोबारी खासे नाराज हैं। कारोबारियों का मानना है कि यह अधिसूचना मनमानी और अनुचित है। इतना ही नहीं यह अधिसूचना सरकार की अपनी खुद की नीति का सरासर उल्लंघन है, इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

यह जानकारी देते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के सेंट्रल इंडिया के चैयरमेन रमेश गुप्ता और इंदौर के अध्यक्ष आश्विन शाह ने देते हुए बताया कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के तहत दालों की स्टॉक सीमा थोक व्यापारियों के लिए 200 टन और खुदरा व्यापारियों के लिए 5 टन निर्धारित की गई है। कैट ने इस मुद्दे पर उपभोक्ता मामलों के मंत्री पियुष गोयल के समक्ष उठाया है। उन्हें एक ज्ञापन भेज कर उक्त अधिसूचना को प्राथमिकता के आधार पर वापस लेने का आग्रह किया है। गोयल को भेजे ज्ञापन में कहा है कि उक्त अधिसूचना भेदभावपूर्ण है, तथा देश में दालों के व्यापार की सामान्य व्यावसायिक प्रथाओं के खिलाफ है। अधिसूचना जारी करते समय संबंधित अधिकारियों द्वारा हितकारकों से कोई परामर्श नहीं किया गया, जो कि नीतिगत मुद्दे उठाने से पहले हितकारकों को विश्वास में लेने के प्रधानमंत्री मोदी की सलाह का सीधा उल्लंघन है। देशभर में करीब 5 लाख व्यापारी खाद्यान्न का व्यापार करते है, एवं करीब 23 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करते है। देश में विभिन्न दालों का सालाना उत्पादन करीब 256 लाख टन है और लगभग प्रति वर्ष 20 लाख टन दालों का आयात किया जाता है। देश में दालों का सालाना कारोबार लगभग 140 लाख करोड़ रु का होता है। वर्ष 2017 में एक अधिसूचना के जरिए सरकार ने यह अनिवार्य किया था कि सरकारी पोर्टल पर 6 प्रकार की दालें जिसमें मसूर, तुवर, चना, काबली चना और उड़द की स्टॉक अपलोड की जाएगी। जिसका व्यापारी विधिवत अनुपालन भी कर रहे हैं।

अधिसूचना सरकार की घोषणा का उल्लंघन :

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री भरतिया और महामंत्री प्रविन खंडेलवाल ने बताया कि सितंबर 2020 को सरकार ने स्पष्टरूप से घोषणा की थी कि आवश्यक वस्तु अधिनियम या स्टॉक सीमा तभी लागू की जाएगी, जब दालों की कीमत या तो 50 एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से 50 फीसदी अधिक होगी या फिर देश में आपातकालिन स्थिति होगी। सरकार की इस घोषणा की अवहेलना करते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वार 2 जुलाई को उक्त अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि मिलर्स को 15 मई 2021 के बाद प्राप्त माल के लिए कस्टम क्लीयरेंस की तिथि से 45 दिन के भीतर अपने स्टॉक को समाप्त करना होगा। देशभर में करीह 50 हजार से अधिक दाल मिलर्स है, जो दालों के प्रसंस्करण आदि गतिविधियों में सलंग्न है। आम तौर पर एक मिलर्स 3 से 5 हजार टन कच्ची दालों का स्टॉक रखता है।

वर्ष 1955 में तय की गई थी स्टॉक सीमा :

कैट ने आग्रह किया है कि स्टॉक सीमा निर्धारित करने वाली अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए, क्योंकि 200 टन का स्टॉक सीमा वर्ष 1055 में तय की गई थी, जब देश की आबादी केवल 25 करोड़ थी। लिहाजा, इस मायने से वर्तमान आबादी के लिए यह स्टॉक सीमा काफी तर्क हीन और अनुचित है। यदि सरकार को लगता है कि दालों पर स्टॉक सीमा लागू करना आवश्यक है तो मौजूदा आबादी के अनुपात से 2000 टन की स्टॉक सीमा थोक कारोबारियों के लिए निर्धारित की जा सकती है।

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