सिंगरौली, मध्य प्रदेश। सिंगरौली रिलायंस कोल ब्लॉक अमलोरी के ओवर बर्डन का मलबा किसानों के घरों व खेतों में एक बार फिर कहर बन कर टूट पड़ा, जिससे वहाँ के किसानों का जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है। बता दें कि, बीती रात हुई तेज बारिश में रिलायंस का पहाड़ जैसे खड़ा ओवर बर्डन का मलबा बहकर अमलोरी गांव के भुईहारी टोला में भारी तबाही मचाया है।
जानकारी के लिये बता दें कि बेतरतीब पहाड़ जैसे खड़ा रिलायंस कोल माइंस ओवर बर्डन का मलबा रात में बह कर लोगों के घरों व खेतों में पट गया। इतना ही नहीं रिलायंस के बहे ओवर बर्डन के मलबे ने उक्त गांव के कुंआ, तलाब, नदी, नाले तक को अपने आगोश में समेट लिया है। इस इलाके में हुये तबाही का यह मंजर देख हर कोई आवाक है। बताते हैं कि अमलोरी गांव के आसपास का समूचा इलाका रिलायंस ओबी के जद में आ चुका है! जबकि अभी पूरी वर्षात बाकी है।
जिला प्रशासन की टीम ने घटनास्थल का किया मुआयना
रिलायंस ओवर बर्डन के भयावह मंजर को देखने व जांच करने पहुची जिला प्रशासन की टीम ने खेतों में जाकर किसानों की बर्वाद हुई फसल व मकानों के क्षतिग्रस्त होने का मुआयना करते हुये अपर कलेक्टर डीपी बर्मन, एसडीएम ऋषि पवार,तासिलदार हितेंद्र वर्मा, हल्का पटवारी धीरेश त्रिपाठी सहित रिलायंस कंपनी के परियोजना निदेशक उमेश महतो, रबि मिश्रा(राजस्व) समेत सीएसआर व सिक्योरिटी के अधिकारियों एवं प्रभावित किसानों के समक्ष एक पंचनामा तैयार किया गया तथा अपर कलेक्टर श्री बर्मन द्वारा तहसीलदार को निर्देशित किया गया कि जल्द ही प्रभावितों का कंपनसेशन तैयार कर मुआवजा दिलाया जाये।
अपर कलेक्टर ने कंपनी के अधिकारियों को चेताया, कहा जल्द करे समस्या का समाधान
अपर कलेक्टर डीपी बर्मन ने आये हुये कंपनी के अधिकारियों को चेताया कि ओवर बर्डन बहने से किसानों का नुकसान संबंधित ऐसी कोई भी शिकायत अब नहीं आनी चाहिए,वर्ना कड़ी कार्रवाई की जावेगी। उन्होंने कहा बरसात सर पर है जितना जल्दी हो सके इस समस्या का निदान करें। उपस्थित किसानों की मांग पर उन्होंने कंपनी के समक्ष दो ऑप्शन रखे गए। पहला मांग थी कि कंपनी प्रभावित किसानों की भूमि का भूअर्जन करे या फिर कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार इनके जमीन की रजिस्ट्री कराई जाये। आये हुये कंपनी के अधिकारियों द्वारा जमीन की रजिस्ट्री कराने पर सहमति बनी, लेकिन किसानों की एक और मांग थी कि प्रत्येक किसानों के घर मे से एक लड़के को कंपनी में नौकरी दी जाये, जिस पर नौकरी को लेकर कंपनी वालों की सहमति नहीं बन पाई। दोनों पक्ष कंपनी और किसानों को आपस में बैठ कर सहमति बनाने के लिये एक सप्ताह का समय दिया गया है।
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