राहत का आखिरी इंटरव्यू: मेरा हिंदुस्तान मोहब्बत और भाईचारे का है मकतब
इंदौर, मध्यप्रदेश। दुनिया के मशहूर और मारूफ शायर राहत इंदौरी दुनिया से अलविदा कह गए हैं, बता दे कि उन्होंने राज एक्सप्रेस के चीफ रिपोर्टर शाहिद कामिल से मुलाकात कुछ गुजिशता साल हुई थी। जब वह राजधानी में एक मुशायरे में शिरकत करने के लिए आए थे तब उन्होंने मुलाकात के दौरान कहा था मैं अपने बुजुर्गों का हिंदुस्तान देखना चाहता हूं मैं किताबों में पढ़ा और बुजुर्गों से सुना हिंदुस्तान का ख्वाब देखता हूं मेरा हिंदुस्तान गंगा जमुनी तहजीब ग़कवारा है मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मैं किस हिंदुस्तान का ख्वाब देख रहा हूं और यह सच होगा कि नहीं, लेकिन मेरा हिंदुस्तान तो प्यारा मोहब्बत और भाईचारे का मकतब है।
राज एक्सप्रेस के चीफ रिपोर्टर शाहिद कामिल ने बताया कि एक बार उन्होंने किसी खबर के मामले पर बात करना चाही और मेरा फोन शायद बिजी चल रहा था या लग नहीं रहा था तो उन्होंने जब फोन लगा तो तब उन्होंने मुझसे सबसे पहले यह जुमला बोला इतना तो मैं अगर कोशिश करता अल्लाह से मुलाकात हो जाती, राहत इंदौरी साहब ने बातचीत के दौरान कहा था कि मैं जिस हिंदुस्तान की तलाश कर रहा हूं उस हिंदुस्तान को मैंने किताबों में पढ़ा है, बुजुर्गों से सुना है मैं जो तसव्वुर कर रहा हूं वह हिंदुस्तान मुझे मिलेगा या नहीं मिलेगा यह तो पता नहीं लेकिन मैंने उसकी तस्वीर अपने दिलो-दिमाग में बना रखी है।
उन्होंने बड़ी बेबाकी से सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि देखिए उर्दू अलीगढ़ से चलकर फैजाबाद हैदराबाद होती हुई न्यूयॉर्क और वाशिंगटन पहुंच गई है उर्दू अखबारों रिसाले विदेशों में भी शायर हो रहे हैं उर्दू की मिठास और मूल्य लोगों को खूब भा रही है यह सीरीज जवान है और इसका दायरा दुनिया भर में बढ़ता जा रहा है मौजूदा दौर की हुकूमत से आप कितना तक रखते हैं क्या उसकी नीतियां और उसके फैसले बेहतर है तो उस बात पर तो थोड़ा रुक कर फिर मुझ मुस्कुराते बोले मैना मोदी से कोई उम्मीद करता हूं और ना ही किसी अन्य पार्टी से उम्मीद रखता हूं पार्टियां अपने सियासी दायरे में काम करती हैं किसी एक शख्स को सबको संतुष्ट करना नामुमकिन है मेरा यह मानना है कि हिंदुस्तान तरक्की करें और दुनिया में मोहब्बत और एकता की मिसाल बने जब उनसे यह पूछा गया कि आजकल अदब की दुनिया में भी तलवारें खिंची हुई है इस पर उनका कहना था कि 70 साल से देखा जा रहा है कि अदब की दुनिया में फिर के बने हुए हैं।
दरअसल सब एक राय नहीं हो सकते सबकी अपनी-अपनी राय होती है अदब बा अदब हो गया है इसके लिए बेहतर यह होगा कि अपना काम अलग होकर करते रहो अपने साथ वाले लोगों के साथ जो आप से इत्तेफाक और एक राय है भाई का मानना था कि सूबे में उर्दू को वह दर्जा मिला या नहीं मिला इसके लिए वह क्या कहते हैं तो इस बात पर थोड़ा सोचकर वे कहते हैं कि उर्दू की तरक्की और उसकी हिफाजत के लिए सरकार पर इल्जाम लगाना बेहद ही नाम नासिक से मैं तो यह कहता हूं कि उर्दू की तरक्की उसके बोलने वाले उसके लिखने वालों और उनके लोगों के हाथों में है जो उर्दू सेवा से वास्ता है इसलिए मैं किसी पर इल्जाम लगाना नहीं चाहता एक और सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि देखिए सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करके इन फैसलों को मानना इसलिए जरूरी है कि यह जज हजरत ने दिए हैं बात मेरी जाति राय की नहीं है मैं यही कहूंगा कि नैतिक और सामाजिक तौर पर यह दोनों मामले कहीं ना कहीं हमारे सामाजिक मूल्यों को खंडित करते हैं।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।