ग्वालियर : निगम चुनाव से पहले ही कांग्रेस के अंदर रार

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : टिकिट बांटने की हमें मिल जाएं जिम्मेदारी इसको लेकर चल रहा द्वंद्व। भितरघात का लगा रहे आरोप, कौन ने भितरघात किया नहीं दी सूची।
निगम चुनाव से पहले ही कांग्रेस के अंदर रार
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ग्वालियर, मध्य प्रदेश। निकाय चुनाव से पहले ही कांग्रेस के अंदर आपस में रार शुरू हो गई है। संगठन को मजबूत करने एवं कांग्रेस का महापौर कैसे बनाया जाएं इसको लेकर पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ला ने जब वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ बैठकर मंथन किया तो तत्काल दूसरे दिन शहर कांग्रेस ने बैठक बुलाकर यह स्पष्ट कर दिया कि भितरघात करने वालो को निकाय चुनाव में टिकिट नहीं दिया जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि भितरघात अगर किया है तो फिर दक्षिण व ग्वालियर पूर्व में कांग्रेस कैसे जीत गई। इसके साथ ही उन भितरघात करने वालों की सूची अभी तक क्यों नहीं दी गई। वैसे यह पूरा खेल टिकिट की दुकान चमकाने के लिए खेला जा रहा है।

उप चुनाव में ग्वालियर पूर्व कांग्रेस ने जीती ओर ग्वालियर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीते थे। उप चुनाव में ग्वालियर में क्यों हार हुई इसको लेकर शहर कांग्रेस को समीक्षा करना चाहिए थी, लेकिन उक्त समीक्षा इसलिए नहीं की गई, क्योंकि अगर बैठक बुलाई जाती तो फिर शहर कांग्रेस अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर उंगली उठती, यही कारण है कि समीक्षा बैठक बुलाने से शहर कांग्रेस अध्यक्ष कतराते रहे। अब निकाय चुनाव नजदीक आ गए है तो एक बार फिर महापौर टिकिट की आस जाग गई है ओर इसके लिए रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। कांग्रेस संगठन को मजबूत करने पर फिलहाल कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। महापौर कई दशकों से भाजपा का बनता आ रहा है इस बार कांग्रेस से अपना महापौर बनाएं इसको लेकर पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ला ने अपने निवास पर वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई तो उक्त बैठक में कुछ लोगों को न जाने के लिए कहा गया था।

शुक्ला ने बैठक में दिए निर्देश :

बैठक में शुक्ला ने सभी से कहा था कि टिकिट किसी को भी मिले हम सभी को एकजुट होकर काम करना होगा ताकि दशकों से महापौर पद से वंचित कांग्रेस की हार का सिलसिला इस बार टूट जाएं। इस बैठक के बाद शहर कांग्रेस अध्यक्ष खैमे में हलचल मच गई, इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि शहर कांग्रेस अध्यक्ष को यह लगने लगा कि बालेन्दु शुक्ला अपनी पत्नी के लिए महापौर का टिकिट दिलाने का प्रयास कर रहे है, जबकि शुक्ला पहले ही साफ कर चुके है कि मैरे यहां से कोई भी चुनाव में नहीं उतरने वाला। अब इस स्पष्टता के बाद शहर कांग्रेस अध्यक्ष को कौन सा डर सता रहा है। बताया गया है कि शहर कांग्रेस अध्यक्ष अपनी पत्नी को महापौर का टिकिट दिलाने की लॉबिंग कर रहे है, यही कारण है कि शुक्ला द्वारा ली गई बैठक के दूसरे दिन ही कांग्रेस कार्यालय पर बैठक बुलाई, लेकिन इसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को नहीं बुलाया गया था।

भितरघात अब कैसे याद आ गया :

चुनाव में भितरघात करने वालो को टिकिट नहीं दिया जाएगा इसका फैसला तो बैठक मेें कर लिया, लेकिन विधायक प्रवीण पाठक को दो साल बाद भितरघात कैसे याद आ गया। अगर भितरघात किया गया था तो उसकी सूची अभी तक क्यों नहीं प्रदेश कांग्रेस के पास भेजी गई ओर अगर भेजी गई है तो फिर उस मामले को लेकर दुबारा बोलने की क्या जरूरत पड़ गई। कई कांग्रेसियों का कहना है कि अगर भितरघात किया गया होता तो कांग्रेस कैसे जीत गई थी। अब सवाल तो कई है, लेकिन निकाय चुनाव को देखते हुए हर कांग्रेसी अपना पॉवर सेंटर बनाने में जुट गया है। सूत्र का कहना है कि बैठक में जो निर्णय लिया गया था उसके तहत विधायक चाहते हैं कि उनके क्षेत्र में उनके हिसाब से पार्षद के टिकिट दिए जाएं। अब अगर विधायक के हिसाब से टिकिट दिए गए तो फिर कांग्रेस के अंदर कई पॉवर सेंटर विकसित हो जाएंगे। संगठन को मजबूत करने पर ध्यान न देकर हर बड़ा नेता अपना पॉवर सेंटर विकसित करने के प्रयास में है।

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