शिक्षकों के प्रशिक्षण का विरोध
शिक्षकों के प्रशिक्षण का विरोधSyed Dabeer Hussain - RE

Madhya Pradesh : परीक्षाओं के बीच प्रशिक्षण से हांफने लगे शालाओं के शिक्षक

भोपाल, मध्यप्रदेश : अब हर सप्ताह बच्चों को पढ़ाने की बजाय शिक्षकों को अध्ययन दिया जा रहा है। अध्यापन के बीच शिक्षकों के प्रशिक्षण तत्काल बंद होना चाहिए।
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भोपाल, मध्यप्रदेश। वार्षिक परीक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने की बजाय शिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित होने से टीचर विरोध में खड़े हो गये हैं। इस मामले में स्वयं जिला शिक्षा अधिकारियों ने भी नाराजगी जाहिर की है। इनका तर्क है कि इस समय एक-एक मिनिट टीचर की कक्षा में जरूरत है। शिक्षक पर बच्चों को उत्कृष्ट बनाने का भारी दबाव है। फिर ऐसे समय में इस ट्रेनिंग की क्या जरूरत है।

राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल संभाग के शिक्षकों को पीजीबीटी कॉलेज में शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहा है। प्रायमरी और मिडिल दोनों विंगों के शिक्षकों को इस प्रशिक्षण में बुलाया गया है। इस मामले में भोपाल सहित रायसेन, विदिशा, सीहोर, हरदा साहित कई जिलों में शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि इस समय हर मिनिट शिक्षक की कक्षाओं में जरूरत है, क्योंकि पांचवीं और आठवीं की परीक्षाओं को बोर्ड पैटर्न पर संपादित करवाना है। इसी समय राज्य शिक्षा केन्द्र ने शिक्षकों को प्रशिक्षण में बुला लिया है। इससे बच्चों के अध्यापन का जबर्दस्त नुकसान हो रहा है। पढ़ाई का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, वह भी प्रभावित हो रहा है।

जवाबदारों पर होना चाहिए कार्यवाही :

शासकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष राकेश दुबे का कहना है कि विभाग की नीतियों ने शिक्षकों के बीच घबराहट पैदा कर दी है। बच्चों को लक्ष्य के अनुसार पढ़ाना, विभाग के अन्य आदेशों का पालन करना और अब स्वयं पढ़ना, यह कहां का न्याय है। दुबे कहते हैं कि प्रशिक्षण देकर एक प्रकार से अधिकारी शिक्षकों का अपमान कर रहे हैं। वहीं संघ के कार्यकारी अध्यक्ष उपेन्द्र कौशल कहते हैं कि केन्द्र साल भर के प्रशिक्षण का प्रोग्राम तय करता है। जो शिक्षक नहीं पहुंचते हैं, उन पर कार्यवाही की जाती है। यह तरीका पूरी तरह से गलत है। लगातार प्रशिक्षण से ही बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है।

भोजन-यात्रा भत्ता का साधन बनी ट्रेनिंग :

रिटायर्ड शिक्षक एवं वरिष्ठ कर्मचारी नेता मुरारीलाल सोनी कहते हैं कि यह प्रशिक्षण भोजन और यात्रा भत्ता के अलावा घूमने का साधन बने हैं। सोनी कहते हैं कि सालाना करोड़ों खर्च होने के बावजूद प्रशिक्षण ले रहा शिक्षक बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षक नहीं दे पा रहा है। इसका जवाब भी अधिकारियों को देना चाहिए।

परांपरा ही तोड़ दी अधिकारियों ने :

मप्र शिक्षक संघ के प्रांतीय सचिव राजीव शर्मा का कहना है कि पूर्व में शिक्षकों को जब ग्रीष्म अवकाश दिया जाता था। तब इनके प्रशिक्षण आयेाजित किए जाते थे। अधिकारियों ने यह परंपरा ही तोड़ दी। अब हर सप्ताह बच्चों को पढ़ाने की बजाय शिक्षकों को अध्ययन दिया जा रहा है। श्री शर्मा कहते हैं कि अध्यापन के बीच शिक्षकों के प्रशिक्षण तत्काल बंद होना चाहिए।

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