राज एक्सप्रेस। ग्रेसिम उद्योग में तीसरे दिन भी ठेका श्रमिकों का प्रदर्शन जारी रहा, जो मजदूर पूर्व से उद्योग में काम कर रहे थे उसमें से एक की तबियत खराब होने से अब शेष श्रमिक भी धीरे-धीरे बाहर आने लगे हैं। श्रमिकों के काम पर नहीं जाने से उद्योग की मशीनों के चक्के थमने लगे हैं। प्रशासन व श्रमायुक्त के बाद चर्चा के दौरान हल नहीं निकलने पर शनिवार को भी ठेका श्रमिकों ने हड़ताल जारी रखी।
प्रबंधक द्वारा श्रमिकों को मनाने की कोशिश जारीः
ग्रेसिम उद्योग की तीसरे दिन भी हड़ताल जारी रही, इस संबंध में जो श्रमिक हड़ताल के पूर्व से ही प्लांट में काम कर रहे थे। उन्हें प्रबंधक द्वारा ज्यादा पैसे का लालच व अन्य सुविधा उपलब्ध कराकर उद्योग चलाने का प्रयास किया गया लेकिन श्रमिक नहीं माने। सूत्रों के अनुसार शनिवार की सुबह तक 11 में से 5 मशीनों के चक्के थम चुके हैं। शनिवार को सुलह नहीं हुई तो शाम तक उद्योग की सभी मशीनें बंद हो सकती हैं।
हड़ताल खत्म करने के लिए एडीएम और प्रबंधक के बीच हुई बैठकः
हड़ताल समाप्त कराने के लिए प्रशासन ने शुक्रवार को प्रयास करते हुए एडीएम आरपी तिवारी, अपर श्रमायुक्त मेघना भट्ट, एएसपी अंतरिक्ष सह कनेश ने उज्जैन से आकर ग्रेसिम खेल परिसर में उद्योग प्रबंधक के साथ आंदोलनकर्ता ठेका श्रमिकों एवं कांग्रेस नेता सुबोध स्वामी की बीच चर्चा कराई थी। इसमें पांच में से दो मांग प्रबंधक मान गये थे लेकिन वेतनवृद्धि की मांग को लेकर प्रबंधक ने स्पष्ट कहा कि जो समझौता हो चुका है उसमें कोई फेरबदल नहीं हो सकता है। इसको लेकर प्रशासन की पहल भी विफल हो गई।
व्यापारी संगठनों में बंद को समर्थन देने की घोषणा कीः
पहले दौर की बैठक विफल होने के बाद आक्रोशित श्रमिकों ने शनिवार की सुबह छह बजे से पॉवर हाउस गेट पर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन कर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। आंदोलन की आगवानी कर रहे अशोक मीणा, रमेश गौतम, कमलेश शंखवार, रतनसिंह ने रविवार को नागदा बंद का आह्वान कर व्यापारियों से इसमें सहयोग करने की अपील की। श्रमिकों के आंदोलन को व्यापारिक संगठनों और किराना व्यापारी संघ के संरक्षक मनोज, नागदा व्यापारी संघ के दिनेश अग्रवाल सहित अन्य कुछ संगठन के व्यापारियों ने मजदूर हित में समर्थन देने की घोषणा की है।
भाजपा नेता और विधायक सहित कांग्रेस नेता पहुंचे मजदूरों के बीचः
शुक्रवार की रात को क्षेत्रिय विधायक दिलीपसिंह गुर्जर भी मजदूरों के बीच पहुंचे और उन्हें विश्वास दिलाया कि, वह उनका हक दिलाएंगे। उन्होंने अधिकारियों से भी चर्चा कर मजदूरों का हर संभव सहयोग करने के निर्देश दिए।
उद्योग के चक्के अब थमने लगेः
हड़ताल के चलते उद्योग की मशीनों के चक्के धीरे-धीरे थम रहे हैं पर प्रबंधक कि ओर से इसकी पुष्टि नहीं की जा रही है इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने पर वह पल्ला झाड़ रहे हैं। एक बात की चर्चा श्रमिकों में जोर-शोर से चल रही है कि समझौता हो गया। यह बात उठ रही है कि जिन लोगों के हितलाभ के लिए समझौता हुआ है उन्हें ही लिखित समझौते की कापी क्यों नहीं दी जा रही है। इसको लेकर श्रमिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
75 प्रतिशत ठेका श्रमिकों से चल रहा है उद्योगः
उद्योग प्रबंधक द्वारा ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए स्थायी व बदली श्रमिकों की धीरे-धीरे छंटनी कर उनकी जगह ठेका श्रमिकों से कम पैसा देकर काम कराया जा रहा है। उद्योग में 75 प्रतिशत ठेका श्रमिकों से काम कराया जा रहा है। ठेका श्रमिकों को सात से आठ हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं इतने रुपयों में तो उन्हें आसानी से कहीं भी काम मिल सकता है इसलिए वह आंदोलन से नहीं डरते, वहीं स्थायी व बदली श्रमिकों को इतना पैसा कहीं नहीं मिल पाता।
15 हजार तो दुकान पर चाय देने वाले को मिल रहे शहर में :
उद्योग में काम करने वाले ठेका श्रमिकों को सात से आठ हजार रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है जबकि शहर में कुछ चाय की दुकान तो ऐसी हैं जहाँ श्रमिक सिर्फ दुकानों पर जाकर चाय वितरण करता है उससे 15 हजार रुपए दुकानदार द्वारा वेतन दिया जा रहा है 8900 रुपए स्थायी व बदली श्रमिक की सीटीसी बढ़ाई गई है ठेका श्रमिक भी वहीं काम करते हैं जो स्थायी व बदली करते है तो फिर इनके 25, 40 व 60 क्यों बढ़ाए गए हैं।
इनका क्या है कहनाः
शनिवार को अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया, रविवार को नागदा बंद की घोषणा की है। व्यापारियों से भी अपील की है श्रमिकों की दुख की घड़ी में सहयोग करें।
(रमेश गौतम, ठेका श्रमिक - ग्रेसिम उद्योग)
हम श्रमिकों के हर दुख-सुख में साथ हैं यदि उन्होंने नागदा बंद की घोषणा की है हम उनका समर्थन करेंगे।
(दिनेश अग्रवाल, संरक्षक - नागदा व्यापारी संघ)
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