हाइलाइट्स :
कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा एक्शन।
जेपी अस्पताल से किया गया था हमीदिया रेफर।
भोपाल। समय से एम्बुलेंस और फिर ऑक्सीजन न मिलने से एक गर्भवती महिला की जान चली गई। अब गलती करने वाले का पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित हुई है लेकिन परिवार को हुई हानि की कोई भरपाई नहीं है। अगर समय से इस महिला को एम्बुलेंस और ऑक्सीजन मिला होता तो शायद एक जान बचाई जा सकती थी। डॉक्टर्स के प्रयास से महिला का बच्चा तो बचा लिया गया लेकिन महिल की मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार महिला का नाम सुमन है। इनके पति उच्च शिक्षा कमिश्नर निशांत वरवड़े के ड्राइवर हैं। उनकी सिजेरियन डिलीवरी होनी थी। इसके लिए सुमन को जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहाँ जब सुमन की हालत गंभीर हो गई तो उन्हें हमीदिया रेफर किया गया। हमीदीय जाने के लिए पहले तो एम्बुलेंस नहीं मिली और जब मिली तो पता चला कि, ड्राइवर गायब है। करीब 15 - 20 मिनट बाद ड्राइवर एम्बुलेंस के पास पहुंचा।
अब तक सुमन की हालत और गंभीर हो चुकी थी। जब सुमन को एम्बुलेंस में लेकर आये तो डॉक्टर्स ने ऑक्सीजन लगाने के लिए कहा लेकिन एम्बुलेंस में तो ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं था। बिना ऑक्सीजन के तड़पते हुए सुमन को जैसे तैसे हमीदिया अस्पताल लेकर आये तो डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया कि, माँ और बच्चे में से केवल एक को ही बचाया जा सकता है।
अब सुमन का बच्चा 14 दिन का हो गया है। बिना मां के बच्चा कैसे ही पलता होगा। क्योकि, यह मामला उच्च शिक्षा कमिश्नर के ड्राइवर से जुड़ा है इसलिए इसकी जाँच के लिए NHM की एमडी प्रियंका दास ने उच्च स्तरीय कमेटी बनाई। इस कमेटी में जीपे के डॉक्टर कमलेश देवपुजारी, NHM की डॉ. अर्चना मिश्रा, भोपाल संभाग की जॉइंट डायरेक्टर मीरा चौधरी, GMC गायनी के पूर्व HOD अरुण कुमार और हमीदिया के इमरजेंसी मेडिसिन की प्रोफ़ेसर रूचि टंडन शामिल हैं। कमेटी अभी जाँच कर रही है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एक्शन लिया जाएगा।
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