Poor Quality Food in MCU : MCU के खाने का वीडियो वायरल, छात्रों ने लगाया स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का आरोप
हाइलाइट्स
माखनलाल के कैंटीन में बने पूड़ी सब्जी का वीडियो हो रहा वायरल।
छात्रों ने विश्विद्यालय पर लगाया स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप।
हॉस्टल के खाने का टेंडर MCU ने किया कैंसिल।
Poor Quality Food in MCU : भोपाल, मध्यप्रदेश। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की कैंटीन द्वारा छात्रों को परोसे गए खाने का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में छात्र प्लेट में पूड़ी और सब्जी लिए दिखा रहे हैं, जिसमें आलू की सब्जी में सिर्फ पानी नजर आ रहा है। इसके साथ ही कई बार विश्विद्यालय में खाने को लेकर शिकायत की जा चुकी है, लेकिन इस सम्बन्ध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। छात्रों का कहना है कि, विश्विद्यालय छात्रों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
दरअसल, विश्वविद्यालय की कैंटीन और हॉस्टल के खाने को लेकर छात्र लगातार शिकायत कर रहे हैं। इसी बीच बीते दिन सोमवार को एक छात्र ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से खाने की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किये है। इसके बाद विश्विद्यालय ने इस संबंध में एक्शन लेते हुए मनोज जैन को दिए गए हॉस्टल के खाने का टेंडर कैंसिल कर दिया। टेंडर कैंसिल होने और नए टेंडर का काम शुरू करने के दरमियान मेस संचालक मनोज जैन ही भोजन व्यवस्था का कार्यभार संभालेंगे।
विश्वविद्यालय के छात्रों के अनुसार
विश्वविद्यालय के छात्रों ने बताया कि, कैंटीन के सब्जी में सिर्फ मसाले वाला पानी मिलता है। चाय भी पीने लायक नहीं मिलती है। सोमवार को बनी सब्जी का हमने वीडियो भी बनाया है। जिसमे पानी और मसाला साफ तौर पर देखा जा सकता है। जब कैंटीन के ऑनर से इसकी शिकायत की गई तो, उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में ऐसा बन गया है। छात्रों ने यह भी बताया कि जब कुलपति से शिकायत करने की बात कही तो कैंटीन ऑनर का कहना था, कि जिससे मन उससे शिकायत कर दो, जहाँ मन वहाँ कर दो, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। छात्र ने यह भी बताया कि, इसके पहले भी विश्वविद्यालय कैंटीन के खाने में कभी मेढ़क तो कभी सब्जी में कीड़े निकल चुके हैं। लगातार शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। विश्विद्यालय प्रशासन छात्रों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
कैंटीन के संविदाकार ने बताया कि, जिन्होंने वीडियो बनाया है वे पत्रकारिता के छात्र और नेता टाइप के लोग हैं। कैंटीन मे चाय पीकर पैसे नही देना चाह रहे थे। पैसे ना देना पड़े इसलिए उन्होने यह काम किया। यह बिल्कुल फर्जी है ऐसा कुछ नही है। हमारा 15 हजार रूपए महीना 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ ठेका हुआ था। अगर हम पैसे नही लेंगे, तो कर्मचारियों को सैलरी कैसे देंगे। जब पूछा गया कि आपका ठेका कब तक के लिए था, तो उन्होने बताया कि हमारा ठेका 31 अगस्त 2023 से समाप्त हो चुका है। टेंडर ना जारी होने के कारण हमारी कंपनी ही काम कर रही थी।
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