मुहेर में लोगों का गला प्यासा, घर के सामने ड्रम रख करते हैं टैंकर का इंतजार

जिला मुख्यालय के शहरी क्षेत्र में शामिल होने के बावजूद आदिवासी व अनुसूचित जाति बहुल गांव मुहेर के नागरिकों को गर्मी में पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है।
मुहेर में लोगों का गला प्यासा, घर के सामने ड्रम रख करते हैं टैंकर का इंतजार
मुहेर में लोगों का गला प्यासा, घर के सामने ड्रम रख करते हैं टैंकर का इंतजारPrem N Gupta
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सिंगरौली। जिला मुख्यालय के शहरी क्षेत्र में शामिल होने के बावजूद आदिवासी व अनुसूचित जाति बहुल गांव मुहेर के नागरिकों को गर्मी में पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। हालत यह है कि गांव चारों तरफ से बड़ी कम्पनियों के कोयला खदान से घिरा है। मगर वहां के लोगों को नियमित पेयजल उपलब्ध कराने की सामाजिक जिम्मेदारी कोई भी कम्पनी सही तरीके से नहीं निभा रही। इस कारण वहां लोगों को तीन-तीन दिन बाद सीमित मात्रा में पेयजल व अन्य आवश्यकता के लिए पानी मिल रहा है।

ऐसी स्थिति में गांव के अधिकतर मोहल्लों में लोगों को पेयजल तक के लिए समस्या का सामना करना पड़ रहा है। समस्या का कारण वहां एक दो कम्पनी या नगर निगम की ओर से बहुत कम संख्या में टेंकर से पानी की आपूर्ति किया जाना है। या अनियमित व्यवस्था के कारण गांव के दूरदराज वाले और मुख्य आबादी वाले सभी मोहल्ले प्रभावित हैं। इनमें पोखरा टोला, बिलारी पाट, तेनू टोला, मुखियानी टोला व इनके आसपास के इलाके और वहां के नागरिक सर्वाधिक प्रभावित हैं।

मुहेर निवासी बृजेश जायसवाल तथा प्रमोद नामदेव, सुनील सिंह व अन्य ने बताया कि गर्मी में खपत बढ़ने के बावजूद आबादी के लिए जरूरत के अनुसार टेंकर से जलापूर्ति नहीं हो रही। बताया गया कि वहां एक-दो कम्पनी ही नियमित पानी का टेंकर भेज रही हैं। इस कारण हर मोहल्ले को तीन दिन या इससे भी अधिक समय बाद पानी मिल रहा है और इससे संकट के हालात हैं।

शिकायत है कि गोरबी बी ब्लॉक परियोजना व रिलायंस कम्पनी की ओर से गर्मी शुरू होने के बाद अब तक पानी की आपूर्ति शुरू ही नहीं की गई है। हालांकि इन पर भी वहां नियमित टेंकर से जल आपूर्ति की जिम्मेदारी है। गांव को नगर निगम की ओर से भी एक दिन में केवल दो टेंकर ही पानी सप्लाई हो रहा है जो मांग के मुकाबले काफी कम है। इस हालत और लोगों की परेशानी के दृष्टिगत गांव मुहेर के निवासियों ने वहां नियमित व पर्याप्त मात्रा में टेंकरों से जलापूर्ति की मांग की है।

हालांकि पिछले साल भी ऐसी ही हालत होने पर कम्पनियों की ओर से गांव में जलापूर्ति की स्थिति में सुधारने की बात कही गई थी मगर शिकायत है कि इस पर अमल नहीं किया गया। इस कारण मुहेर के लोगों के लिए इस बार फिर पेयजल के मामले में गर्मी का सीजन भारी पड़ रहा है।

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