ब्योहारी, मध्य प्रदेश। जनपद पंचायत क्षेत्र के जमुनी ग्राम पंचायत में इन दिनों उपसरपंच-सचिव द्वारा सरपंच को धोखे में रखकर बिना निर्माण कार्यों का भुगतान किया गया है। जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने कलेक्टर को करते हुए बताया कि ग्राम पंचायत में आदिवासी सरपंच होने का फायदा उठाकर सामान्य वर्ग का उपसरपंच एवं सचिव द्वारा मिलीभगत कर अवैध वृक्षारोपण कराकर भुगतान करवा रहे हैं जबकि जो लोग ग्राम पंचायत के अंदर मजदूर वर्ग के हैं जो पंचायत के निर्माण में कार्य करते हैं, उनके खातों को छोड़कर अपने निजी लोग जो कि कभी पंचायत में झांकने तक नहीं आते हैं, ऐसे लोगों के खातों में वृक्षारोपण के भुगतान को डालकर प्रशासन की नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायत में हितमूलक कार्यों के बारे में जानकारी मांगने पर सचिव स्वामीदीन जायसवाल के द्वारा स्पष्ट मना कर दिया जाता है कि उपसरपंच राकेश मिश्रा ने मना किया है, जब तक वह नहीं कहेंगे तब तक मैं किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दूंगा। इस प्रकार हित मूलक ग्राही सेवाओं का ना मिलने के कारण ग्रामीणों ने शहडोल कलेक्ट्रेट में पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाते हुए उप सरपंच व सचिव पर कड़ी कार्यवाही एवं जांच के लिए आवेदन दिया है।
आरसीसी रोड के निर्माण में भ्रष्टाचार :
ग्राम पंचायत क्षेत्र में मतहा का तालाब में आरसीसी रोड का निर्माण किए जाने पर सचिव द्वारा न ही किसी ग्रामीणों के मनरेगा के जॉब कार्ड में मास्टरों पर हाजिरी लगाई जाती है और ना ही उनके खातों में मनरेगा के तहत मिलने वाले भुगतान को दिया जाता है, ग्रामीणों का कहना है कि दैनिक मजदूरी के रूप में मात्र 100 रुपये ही रोजी दिया जाता है और ग्राम पंचायत के मनरेगा द्वारा मिलने वाले लगभग 190 हाजिरी को काम न करने वाले लोगों के खाते में चढ़ा कर भुगतान करा लिया जाता है, ग्राम वासियों की मजबूरी है कि बेरोजगारी इस कदर बढ़ गई है कि वह शिकायत न करके 100 की रोजी में ही काम करने को मजबूर है, जिसकी शिकायत ग्रामीणों द्वारा की गई है।
अपात्र को दिया जा रहा पशुओं का सेट :
ग्राम पंचायत में उप सरपंच और सचिव की मनमानी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि पात्र हितग्राहियों को पशुओं का सेट न देकर बड़े-बड़े पक्के मकानों वाले सामान्य लोगों को पशु सेट से नवाजा जा रहा है, जबकि पात्र हितग्राही आवेदन करने के बावजूद भी अपने आप को ठगा महसूस करते हैं, उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र होने व आदिवासियों के ऊपर शोषण के रूप में इस कार्य को किया जाता है जो कि एक भारी शोषण के रूप में माना जाना चाहिए और तत्काल उपसरपंच और सचिव जो कि आदिवासी सरपंच को धोखे में रखकर हितमूलक कार्यों पर अंकुश लगाकर मनमाफिक कार्य कर आदिवासियों एवं कमजोर लोगों पर राज करने वाले उपसरंपच व सचिव पर सख्त कार्यवाही तत्काल करनी चाहिए, जिससे पद की गरिमा व कीमत समझी जा सके।
यह हुए शामिल :
पंच बंदु बाई कोल, पंच सिया बाई कोल, प्रेमलाल कोल, पंच गीताबाई कोल, राम कुमार कोल, पूनउवा कोल, रामलाल कोल, भुवनेश्वर प्रसाद द्विवेदी पंच सहित दर्जनों लोगों ने सरपंच-सचिव के कारनामों पर कार्यवाही की मांग की है।
इनका कहना है :
कार्य में लापरवाही बरतने पर उक्त सचिव पर कार्यवाही की गई, इस मामले में भी यदि दस्तावेज मिलते हैं तो, जांच व कार्यवाही अवश्य की जायेगी।
प्रेरणा सिंह, सीईओ, जनपद पंचायत, ब्यौहारी
मेरे ऊपर लगाये गये आरोप निराधार हैं, मैंने इंजीनियर मूल्यांकन के आधार पर भुगतान किया है।
स्वामीदीन जायसवाल, सचिव ग्राम पंचायत, जमुनी
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